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Instagram और WhatsApp खो सकते हैं मार्क जकरबर्ग, ये केस मेटा को डुबा देगा?

Meta Antitrust Trial: अमेरिकी अदालत में मेटा और FTC के बीच एक एंटीट्रस्ट केस चल रहा है. आरोप है कि मेटा ने Instagram और WhatsApp को खरीदकर कंपटीशन खत्म कर दिया. अगर Mark Zuckerberg ये केस हारते हैं तो क्या होगा? यहां पढ़ें.

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Meta Antitrust Trial, Instagram, WhatsApp
Meta एंटीट्रस्ट केस में मार्क जकरबर्ग की गवाही होगी.
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मौ. जिशान
14 अप्रैल 2025 (Updated: 14 अप्रैल 2025, 06:32 PM IST) कॉमेंट्स
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अमेरिका की एक अदालत में Mark Zuckerberg की कंपनी मेटा (पहले फेसबुक) के खिलाफ एक लैंडमार्क एंटीट्रस्ट केस चल रहा है. इसका फैसला सोशल मीडिया की दुनिया पर गहरा असर डाल सकता है. मुकदमा यह तय करेगा कि क्या Meta ने Instagram और WhatsApp को खरीदकर सोशल नेटवर्किंग सेक्टर में अपनी मजबूत पैठ बनाने के लिए अवैध तरीके अपनाए थे. अगर ये साबित हो गया तो मेटा को इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप पर से अपना मालिकाना हक छोड़ना होगा. यानी ये दोनों प्लेटफॉर्म मेटा की छत्रछाया से आजाद हो जाएंगे.

क्या है मामला?

दी न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में कोलंबिया जिले के लिए यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज जेम्स बोअसबर्ग सोमवार, 14 अप्रैल को एक ऐतिहासिक मुकदमे की सुनवाई शुरू करेंगे. यह मामला अमेरिकी फेडरल ट्रेड कमीशन (FTC) और मेटा के बीच चल रहा है.

FTC का आरोप है कि मेटा ने जानबूझकर अपने कंपटीटर्स- इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप को खरीदकर उन्हें खत्म कर दिया ताकि वो सोशल मीडिया मार्केट में अपनी दबदबा बनाए रख सकें. अगर कोर्ट FTC के पक्ष में फैसला करता है, तो मेटा को इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप को बेचने के लिए मजबूर किया जा सकता है.

मोनोपॉली को लेकर कोर्ट के सामने जो बड़ा कानूनी सवाल होगा वो ये है कि, क्या इसने (मेटा) अपने रास्ते में आने वाले स्टार्टअप का अधिग्रहण करके प्रभुत्व बनाए रखने के लिए कानून तोड़ा?

इस मुकदमे में मार्क जकरबर्ग की लगभग सात घंटे की गवाही होने की उम्मीद है. जकरबर्ग के अलावा मेटा के पूर्व सीनियर ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) शेरिल सैंडबर्ग और इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप के फाउंटर्स की भी गवाही होगी.

क्या है मेटा का पक्ष?

मेटा का कहना है कि उसे कंपटीशन का सामना करना पड़ता है और TikTok, Snap, Reddit जैसी कंपनियों से कड़ी टक्कर मिल रही है. मेटा के प्रवक्ता क्रिस स्ग्रो ने कहा,

हमें भरोसा है कि कोर्ट में पेश किए गए सबूत यह दिखाएंगे कि इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप का अधिग्रहण कंपटीशन और कंज्यूमर्स के लिए फायदेमंद रहा है.

मेटा के एक प्रवक्ता ने BBC को बताया,

FTC ने हमारे अधिग्रहणों की समीक्षा की और मंजूरी दी, और इसके 10 साल बाद इस मामले में कमीशन (FTC) की कार्रवाई यह संदेश देती है कि कोई भी डील कभी भी फाइनल नहीं होती है.

FTC की दलील: 'बाय ऑर बरी' स्ट्रेटेजी

FTC का आरोप है कि मेटा ने 'बाय ऑर बरी' (Buy or Bury) यानी 'खरीदो या दफनाओ' की स्ट्रेटेजी अपनाई. इसका मतलब है कि एक कंपनी संभावित कंपटीटर्स को या तो 'खरीद' लेती है, या उन्हें 'कमजोर' करके 'खत्म' कर देती है. FTC यह साबित करने की कोशिश कर रहा है कि अगर मेटा ने इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप को नहीं खरीदा होता, तो सोशल मीडिया की दुनिया में उसकी पकड़ उतनी मजबूत नहीं रहती.

अपने पक्ष को ठोस करने के लिए FTC जकरबर्ग के 2008 में लिखे एक ईमेल को भी पेश कर सकता है. आरोप है कि इस ईमेल में जकरबर्ग ने लिखा था,

कंपटीशन करने से बेहतर है खरीदना.

इसके अलावा बताया जा रहा है कि 2012 में एक मेमो में उन्होंने लिखा था कि इंस्टाग्राम को खरीदने के पीछे उनका मकसद 'संभावित प्रतिस्पर्धी को बेअसर करना' था.

इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप खोने का डर

इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप के बिना मेटा की पावर में भारी गिरावट आ सकती है. मेटा ने इंस्टाग्राम को 2012 में 1 बिलियन डॉलर में और वॉट्सऐप को 2014 में 19 बिलियन डॉलर में खरीदा था. उस समय दोनों ऐप्स छोटे थे, लेकिन अब ये मेटा के लिए बेहद जरूरी बन गए हैं.

लैंडमार्क केस और चैलेंज

यह मुकदमा अमेरिकी एंटीट्रस्ट कानून के लिए एक गंभीर परीक्षा साबित हो सकता है. अगर FTC जीतता है, तो यह कंपनियों के लिए एक चेतावनी हो सकती है कि वे अपने कंपटीटर्स को खरीदकर अपने बिजनेस सेक्टर में मोनोपॉली नहीं बना सकते. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि FTC को यह साबित करना मुश्किल होगा कि मेटा इन कंपनियों के बिना भी इतनी ज्यादा ताकतवर हालत में होता.

आखिरकार क्या होगा?

मुकदमा लंबा चलेगा और जो फैसला भी होगा, उसकी गूंज लंबे समय तक सुनाई देगी. ज्यूडिशियल डिपार्टमेंट के एंटीट्रस्ट डिवीजन के पूर्व सीनियर ऑफिसर जीन किमेलमैन ने कहा,

यह इस बात का एक क्रिटिकल टेस्ट केस है कि क्या एंटीट्रस्ट कानूनों का इस्तेमाल नए सिरे से कंपटीशन को खत्म करने के लिए किए गए मर्जर को खत्म करने के लिए किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि सरकार की जीत से कंज्यूमर्स को फेसबुक पर आए बिना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर स्विच करने के लिए ज्यादा ऑप्शन और अवसर मिलेंगे.

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