अरविंद केजरीवाल के खास आदमी ने ही उनके करीबी प्रिंसिपल सेक्रेटरी का काम लगा दिया. राजेंद्र कुमार के ऑफिस में सीबीआई ने हवा में रेड नहीं मारी. ये किस्सा सभी तो सुनाते नहीं हैं, मगर 'दी लल्लनटॉप' वाले छिपाते नहीं है.
तो बात ये है कि राजेंद्र कुमार के खिलाफ शिकायत करने वाले बंदे का नाम है आशीष जोशी. कभी केजरीवाल के 'थिंक टैंक' में थे. पहले पब्लिक सर्वेंट थे, बाद में AAP से जुड़ गए.
चुनाव से पहले पार्टी ने दिल्ली के विकास का 70-सूत्री एजेंडा बनाया था और छोटी-छोटी ढेर सारी पब्लिक मीटिंग की थीं. इस कवायद को नाम दिया गया था 'दिल्ली डायलॉग'. इसके सबसे बड़े चेहरे थे आशीष खेतान और नंबर दो पर थे आशीष जोशी. जब AAP सरकार बनी तो दिल्ली डायलॉग को कमिशन का रूप दे दिया गया. चेयरमैन हुए केजरीवाल, खेतान बने वाइस प्रेसिडेंट और आशीष जोशी बने 'मेंबर सेक्रेटरी'.
लेकिन बताते हैं कि खेतान और जोशी में ठन गई. वॉलंटियर्स को डायलॉग कमिशन में नियुक्त करने का मसला था शायद. खेतान केजरीवाल के ज्यादा करीबी थे. फिर खबर आई कि दिल्ली सरकार ने आशीष जोशी को कमिशन से बेदखल कर दिया है. वजह ये बताई कि आशीष ऑफिस में सिगार पीते और च्युइंगम चबाते देखे गए थे. न खाता न बही. जो बाबू साहब कहें वही सही.
तो बस आशीष जोशी ने बदला लिया है. राजेंद्र कुमार केजरीवाल के सबसे करीबी अफसरों में से हैं. तो आशीष ने दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो में इसी साल जून में शिकायत दी. शिकायत ये थी कि राजेंद्र कुमार ने 2002 से 2014 के बीच कुछ कंपनियों को ठेके दिलवाकर उन्हें फायदा पहुंचाया. एसीबी ने कंप्लेन फॉरवर्ड कर दी सीबीआई को और पट्ठों ने छापा मार दिया.
अब ये हमको नहीं पता भाई कि दिल्ली सचिवालय में राजेंद्र का कमरा खंगाला गया या केजरी बाबू के दफ्तर की फाइलें भी उलटी-पलटी गईं. मीडिया की एंट्री बैन थी भाई. क्या है वो राज जो फाइलों में उलझा है?