रिटायर्ड बैंक कर्मी को 4 दिन तक 'डिजिटल अरेस्ट' कर रखा, 1.73 करोड़ रुपये लूट लिए
पिछले कुछ दिनों में उन्हें कई कॉल आए. फोन करने वाले ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल भेजने की धमकी दी, उन्हें चार दिनों तक ‘डिजिटल नज़रबंदी’ में रखा और उन्हें कुल 1.73 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया.
उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक रिटायर्ड बैंक कर्मचारी के साथ 1.73 करोड़ रुपये का फ़्रॉड हुआ है. ठगों ने उन्हें चार दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में भी रखा. उनकी शिकायत के आधार पर मेरठ साइबर थाने में केस दर्ज कर लिया गया है.
लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, पीड़ित का नाम सूरज प्रकाश है. मेरठ के सिविल लाइंस इलाक़े में रहते हैं. पिछले कुछ दिनों में उन्हें कई कॉल आए, जिसमें फोन करने वाले ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल भेजने की धमकी दी, उन्हें चार दिनों तक ‘डिजिटल नज़रबंदी’ में रखा और उन्हें कुल 1.73 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया.
कैसे लूटे इतने रुपये?मेरठ पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में पीड़ित ने बताया कि 17 सितंबर को उन्हें पहली कॉल आई थी. कॉल करने वाले ने ख़ुद को टेलिकॉम विभाग का अधिकारी बताया था और उन्हें चेतावनी दी कि उनके सभी रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर ब्लॉक किए जा रहे हैं. फिर उसने ये भी बताया कि उनके आधार कार्ड से कैनरा बैंक की एक शाखा में खाता खोला गया है, जिसमें 6.80 करोड़ रुपये ट्रांसफ़र किए गए हैं.
पीड़ित का विश्वास जीतने के लिए ठग ने उन्हें उनकी पर्सनल डिटेल्स बताईं. ये कहते हुए कि ये जानकारी उनके बैंक अकाउंट से निकाली गई है. फिर उन्हें बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग के ज़रिए उनके खाते में बहुत बड़ी रक़म आई है.
इसके ठीक बाद सूरज को उनके वॉट्सऐप नंबर पर एक और कॉल आया. इस बार कॉल करने वाले ने दावा किया कि उनके ख़िलाफ़ मुंबई में एक रिपोर्ट दर्ज की गई है. उन्हें जेल भेजने की धमकी दी और उन्हें घर से बाहर निकलने या किसी से मिलने से साफ़ मना कर दिया.
पीड़ित ने पुलिस को बताया कि वो बेहद डर गए क्योंकि कॉल करने वाला लगातार उन्हें फ़ोन कर रहा था. उन पर प्रेशर बना रहा था कि अगर वो कुछ पैसे भेज दें, तो उनका नाम क्लीयर कर देगा.
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18 सितंबर को पीड़ित ने 3.8 लाख रुपये, फिर 5 लाख रुपये ट्रांसफर किए. 20 सितंबर को 90 लाख रुपये ट्रांसफर किए. इसके अगले दिन 45 लाख रुपये और 30 लाख रुपये की दो किस्तें ट्रांसफ़र कीं.
SP क्राइम मेरठ अवनीश कुमार ने बताया कि पीड़ित की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है और कार्रवाई की जा रही है. मेरठ साइबर थाने के प्रभारी सुबोध सक्सेना ने जानकारी दी है कि संबंधित बैंकों को आरोपी के खाते को फ़्रीज़ करने के लिए रिपोर्ट भेज दी गई है.
क्या है डिजिटल गिरफ़्तारी? एक नई तरह की धोखाधड़ी, जिसमें पीड़ित से वीडियो कॉल पर संपर्क किया जाता है, उन्हें धमकाकर या लालच देकर घंटों, दिनों या हफ़्तों तक कैमरे के सामने रखा जाता है. आमतौर पर रिटायर्ड या काम कर रहे पेशेवरों को निशाना बनाया जाता है, क्योंकि उनके बचत खातों में अच्छी-ख़ासी रक़म होती है.
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