मनोज मुंतशिर ने अंग्रेज़ी कविता का अनुवाद कर अपने नाम से छाप दी!
सोशल मीडिया पर हल्ला कट गया है. लोगों का कहना है कि ये सरासर चोरी है.
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एक इवेंट के दौरान मनोज मुंतशिर. दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर उनकी वायरल
कविता का स्क्रीनग्रैब.
अब मनोज मुंतशिर की वो कविता पढ़िए-राष्ट्रभक्त .भारतीय संस्कृति के अनन्य समर्थक, घोर धार्मिक, सबसे महान फ़िल्मी गीतफरोश @manojmuntashir जी कमाल करते हैं. वाणी प्रकाशन @Vani_Prakashan से प्रकाशित उनकी पुस्तक 'मेरी फ़ितरत है मस्ताना' की एक कविता उन्होंने अभी लिखी पर उसका अनुवाद वर्षों पहले ही इंग्लिश में हो गया ! pic.twitter.com/mGgxPeqizc
— m.k.s (@SavaiyaM) September 20, 2021
तुम कभी उदास हो रोने का दिल करे, मुझे कॉल करनाशायद मैं तुम्हारे आंसू न रोक पाऊं पर तुम्हारे साथ रोऊंगा ज़रूरकभी अकेलेपन से घबरा जाओ तो मुझे कॉल करनाशायद मैं तुम्हारी घबराहट न मिटा पाऊं पर अकेलापन बांटूंगा ज़रूरकभी दुनियां बदरंग लगे तो मुझे कॉल करनाशायद मैं पूरी दुनिया में रंग न भर पाऊं पर ये दुआ ज़रूर करूंगा कि तुम्हारी जिन्दगी खूबसूरत होऔर कभी ऐसा हो कि तुम कॉल करो और मेरी तरफ से जवाब ना आएतो भाग के मेरे पास आ जाना, शायद मुझे तुम्हारी ज़रूरत होएक्चुअली ये कविता रॉबर्ट जे. लेवरी की 2007 में आई किताब Love Lost में पहली बार छपी थी. इस कविता का नाम था- Call Me. इस किताब के लिखे जाने के पीछे एक बड़ा रोचक किस्सा है. लेवरी ने बेहद कम समय के अंतराल पर अपने बेटे और अपनी वाइफ को खो दिया था. उनकी पत्नी को ब्रेस्ट कैंसर था और उनकी उम्र मात्र 32 साल थी. ऐसे में लेवरी को समझ नहीं आया कि इस अथाह दुख का सामना कैसे करें, उससे बाहर कैसे आएं. ऐसे में उन्होंने पोएट्री का रुख किया. Love Lost Love Found नाम की एक किताब लिखी. इस किताब में उन्होंने वो सारी बातें लिखीं, जो वो कहना चाहते हैं. इस चीज़ ने उन्हें उस दुख से बाहर निकलने में बहुत मदद तो नहीं की मगर उन्हें उम्मीद दी. कि वो इस परिस्थिति से बाहर आ सकते हैं. रॉबर्ट जे. लेवरी की कविता Call Me आप नीचे पढ़ सकते हैं-
If one day you feel like crying...call meI don't promise thatI will make you laughBut I can cry with you.If one day you want to run awayDon't be afraid to call me.I don't promise to ask you to stop,But I can run with you.If one day you don't want to listen to anyonecall mei promise to be there for youbut i also promise to remain quietBut...If one day you calland there is no answer...come fast to see me..Perhaps I need you.अब लोगों का सवाल ये है कि लेवरी ने ये कविता 2007 में ही लिख दी थी. मगर मनोज मुंतशिर की किताब 'मेरी फितरत है मस्ताना' 2019 में वाणी प्रकाशन से छपी. और उस किताब में मनोज ने इस कविता का हिंदी वर्ज़न अपने नाम से छापा. कमाल की बात ये कि 'मुझे कॉल करना' नाम की इस कविता और रॉबर्ट जे. लेवरी की 'कॉल मी' में ज़्यादा अंतर नहीं है. अगर आप 'कॉल मी' को गूगल ट्रांसलेट की मदद से हिंदी में ट्रांसलेट करेंगे, तो नतीजा लगभग मनोज मुंतशिर की कविता 'मुझे कॉल करना' की शक्ल में बाहर आएगा. हमने इस बारे में मनोज मुंतशिर से बात कर, उनका पक्ष जानने की कोशिश की. हमने उन्हें कॉल किया, मगर कोई जवाब नहीं मिला. फिर हमने अपनी क्वेरी उन्हें मेल से भेजी. वहां भी हमें कोई जवाब नहीं मिला. अब तक मनोज की तरफ से इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है.