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मणिपुर में BSF जवान की मौत, आदिवासी समूह ने अमित शाह पर क्या आरोप लगा दिए?

रात के अंधेरे में ऑपरेशन चला रहे थे जवान, फिर अचानक...

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मणिपुर में नहीं थम रही हिंसा, एक BSF जवान की मौत. (फोटो- इंडिया टुडे)
6 जून 2023 (Updated: 6 जून 2023, 15:15 IST)
Updated: 6 जून 2023 15:15 IST
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मणिपुर (Manipur) के सेरोऊ (Serou) इलाके में 5-6 जून की दरमियानी रात को सुरक्षाबलों और विद्रोहियों के ग्रुप के बीच फायरिंग हुई. इस दौरान एक BSF जवान के मारे जाने की खबर सामने आई है. वहीं असम राइफल्स के दो जवान भी घायल हुए हैं. उन्हें विमान से मंत्रीपुखरी ले जाया गया है. इस बात की जानकारी खुद सेना ने एक बयान में दी है.

सेना के स्पीयर कोर ने ट्वीट में जानकारी दी,

असम राइफल्स, BSF और पुलिस ने मणिपुर में सुगनू/सेरोऊ के क्षेत्रों में एरिया डोमिनेशन ऑपरेशन चलाया. 5-6 जून की रात सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के समूह के बीच रुक-रुक कर गोलीबारी होती रही. सुरक्षाबलों ने प्रभावी ढंग से जवाबी कार्रवाई की. इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी है.

सेना के अधिकारियों ने बताया कि आर्मी, असम राइफल्स, पुलिस और CAPF ने 3 जून को मणिपुर के पहाड़ी और घाटी इलाकों में एरिया डोमिनेशन ऑपरेशन शुरू किया था.

सुगनू में 15 गांव-चर्च फूंके!

इंडिया टुडे NE की रिपोर्ट के मुताबिक, ITLF (Indigenous Tribal Leader Forum) ने 5 जून को मामले पर बयान दिया. फोरम ने बताया कि 4 जून को मणिपुर में सुगनू के इलाकों में 15 गांवों, 15 चर्चों और 11 स्कूलों में उपद्रवियों ने आग लगा दी. दावा किया गया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मणिपुर यात्रा के बाद से राज्य में हिंसा और बढ़ गई है, जिसके चलते 10 लोग मारे गए. 

रिपोर्ट के मुताबिक, 30 मई को चंदेल के आठ कांगपोकपी के सात गांवों में आगजनी की गई. वहीं, 4 जून की रात को यूनाइटेड कुकी लिबरेशन फ्रंट (UKLF) के उग्रवादियों ने सेरोऊ में कांग्रेस विधायक के रंजीत सिंह के घर समेत लगभग 100 छोड़े हुए घरों को जला दिया. इसके जवाब में ग्रामीणों ने सुगनू में एक छोड़े हुए कैंप में आग लगा दी. खबर है कि वहां UKLF के उग्रवादियों ने शरण ली थी. इस घटना की पुष्टि पुलिस अधिकारियों ने भी की.

Serou-Sugnu on Map (Credit- India Today)

हिंसा की शुरुआत 3 मई को हुई जब मैतेई समुदाय को ST श्रेणी में शामिल करने की मांग के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (ATSU) ने रैली आयोजित की थी. मणिपुर में लगभग 53 फीसदी आबादी मैतेई लोगों की है जो मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं नागा और कुकी जाति के लोगों की जनसंख्या का 40 फीसदी है, जो पहाड़ी जिलों में रहते हैं. 

शांति बहाल करने के लिए पूरे राज्य में सेना और असम राइफल्स के लगभग 10,000 जवानों को तैनात किया गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, जातीय हिंसा में अबतक लगभग 98 लोगों की जान चली गई और करीब 310 लोग घायल हुए हैं. फिलहाल, करीब 37,450 लोग 272 रिलीफ कैंपों में रह रहे हैं.

राजधानी में पड़ रहा असर!

मणिपुर हिंसा का असर दिल्ली में रहने वाले मैतेई और कुकी समुदाय के छात्रों के बीच संबंधों पर पड़ रहा है. वो एक दूसरे से दूरी बनाने लगे हैं. रिपोर्ट कहती है कि मणिपुर के छात्र मुख्य रूप से JNU के पास मुनिरका और दिल्ली विश्वविद्यालय के पास विजय नगर में रहते हैं. JNU के एक M.Sc. फिजिक्स के छात्र ने इंडिया टुडे से कहा,

पहले कई मैतेई और आदिवासी छात्र एक-दूसरे के दोस्त थे लेकिन अब वो एक-दूसरे से बचते हैं क्योंकि वैचारिक मतभेद उनके बीच विवाद की वजह बन सकते हैं.

इससे पहले, 6 मई को दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस में मैतेई और कुकी छात्रों के बीच झड़प की खबर सामने आई थी. फिलहाल वहां स्थिति शांत है लेकिन कई छात्रों के मन में डर बना हुआ है. 

मणिपुर हिंसा को रिपोर्ट करने के लिए दी लल्लनटॉप की टीम पिछले कुछ दिनों से ग्राउंड पर है. हिंसा पर विस्तृत रिपोर्ट आपको हमारे सभी प्लेटफार्म्स पर मिलेगी. 

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: मणिपुर को 'जलने' से बचाने के लिए अमित शाह का ये प्लान काम करेगा?

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