घर में संडास बनवाने के लिए बकरी बेची, पत्नी की पायल गिरवी रखी
'गहने तो कुछ भी नहीं, अपनी बहुओं के लिए हम पूरी झोपड़ी बेच देते.'
बकरे के नाम पर आदमी को बकरा बना दिया.
घर में संडास बनवाना कोई ऐसा काम नहीं, जिसके लिए आदमी को हीरो बना दिया जाए. क्योंकि ये तो हर व्यक्ति का फ़र्ज़ होता है. किसी भी समाज में रहने के लिए ये तो न्यूनतम, बुनियादी जरूरत है. लेकिन जिस व्यक्ति के पास अपनी बुनियादी जरूरतें पूरे करने के ही पैसे न हों, वो भला क्या करेगा?
घर में संडास बनवाने से जहां गांवों के पैसे वाले लोग भी कतराते हैं, इस दिहाड़ी मजदूर ने अपनी बकरी बेच और पत्नी की पायल गिरवी रख संडास बनवाया.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की खबर के मुताबिक, उदयपुर में रहने वाले कांतिलाल रोत के घर स्वच्छ भारत अभियान के कुछ वर्कर आए थे. जिन्होंने कांतिलाल को साफ़-सफाई और खुले में टट्टी करने के नुक्सान बताए. ये भी बताया कि टॉयलेट बनवाने क्यों जरूरी हैं. संडास बनवाने के लिए 12 हजार रूपये का भी वादा किया.
कांतिलाल को 4-4 हजार रुपयों की पहली दो किस्तें मिली भीं. लेकिन कंस्ट्रक्शन के बीच में पैसे ख़त्म हो गए. तब कांतिलाल ने 5 हजार रुपयों में अपनी एक बकरी बेच दी. फिर 4 हजार रुपयों में पत्नी की पायल गिरवी रख दी. कांतिलाल की मां का कहना है कि उनकी बहुओं को खुले में जाने में दिक्कत होती थी. 'गहने तो कुछ भी नहीं, अपनी बहुओं के लिए हम पूरी झोपड़ी बेच देते.'
डूंगरपुर मुनुसिपल कॉर्पोरेशन के चेयरमैन केके गुप्ता ने कांतिलाल के परिवार को सम्मानित किया. उनकी बची हुई क़िस्त दी. और 4 हजार रूपये पत्नी की पायल गिरवी से छुड़ाने के लिए दिए.