2020 के दिल्ली दंगे के मामले में कोर्ट से कपिल मिश्रा को बड़ी राहत
दिल्ली दंगों में कपिल मिश्रा को सेशंस कोर्ट से राहत, मजिस्ट्रेट के FIR-जांच आदेश को 10 नवंबर 2025 को रद्द किया
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दिल्ली के कानून मंत्री कपिल मिश्रा को 2020 के दिल्ली दंगे वाले मामले में राउज़ एवेन्यू डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से राहत मिल चुकी है. उन पर आरोप थे कि उन्होंने दंगों के ठीक पहले ऐसे भाषण दिए जिनसे कि एक घंटे के भीतर ही दंगों की शुरुआत हुई.
आपको याद होगा कि दंगों को भड़काने का इलज़ाम बहुत से लोगों पर लगा. उमर खालिद और शरजील इमाम जैसे लोग पिछले पांच साल से जेल में दिल्ली दंगों को भड़काने के आरोप में बंद हैं. लेकिन एक नाम शुरुआत से ही भारतीय जनता पार्टी के कपिल मिश्रा का भी आया. आरोप लगे कि दिल्ली दंगों से ठीक पहले उन्होंने CAA-NRC के प्रोटेस्ट साइट्स पर भीड़ इकठ्ठा किया. इसके बाद उन्होंने ऐसा भाषण दिया जिसे सीधे तौर पर सांप्रदायिक कहा जा सकता है. और इसके ठीक बाद 23 और 24 फरवरी 2020 को दिल्ली के कुछ जगहों पर दंगे भड़क गए. कुल 53 लोगों की जान गयी.
कपिल मिश्रा के भाषण के हिस्से सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए, कहा जाने लगा कि विवादित भाषण और दंगों के बीच एक घंटे का फर्क था. लेकिन कपिल मिश्रा पर किसी भी तरह की कार्यवाही की शुरुआत नहीं हुई. फिर आया साल 2024. मुहम्मद इल्यासी नाम के एक शख्स ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में पिटीशन दायर की. पिटीशन में कपिल मिश्रा के दिल्ली दंगों में संभावित भूमिका में जांच की बात कही गयी थी. अप्रैल 2025 में सुनवाई हुई और दिल्ली के राउज़ एवेन्यू कोर्ट के मैजिस्ट्रेट ने अपना फैसला सुनाया. फैसले में कहा गया कि कपिल मिश्रा ने ‘हम और वो’ वाली राजनीति की है. उन्होंने “एक तरफ हम और दूसरी तरफ मुसलमान” जैसी बातें अपने स्पीच में कही, और इसके एक घंटे बाद दंगों की शुरुआत हुई. मैजिस्ट्रेट ने अप्रैल 2025 में ये भी कहा था कि चूंकि कपिल मिश्रा एक पब्लिक फिगर हैं, एक जन प्रतिनिधि हैं, तो उनको किसी भी बात को बोलने से पहले ज़्यादा सोचना चाहिए. ऐसा इसलिए भी क्योंकि लोग उनकी कही बातों से ज़्यादा आसानी से प्रभावित हो सकते हैं. यहां तक कि दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एस. मुरलीधर ने भी ये बात कही थी कि दिल्ली पुलिस ने एक तरफ उमर खालिद जैसे लोगों को तो गिरफ्तार कर लिया, लेकिन जिसके भाषण के ठीक एक घंटे बाद दंगे शुरू हुए, उसके खिलाफ किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई.
फैसला देते हुए मैजिस्ट्रेट ने दिल्ली पुलिस को कपिल मिश्रा के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए कहा. लेकिन लाज़मी है कि फैसले से असंतुष्ट कपिल मिश्रा को ये स्वीकार्य नहीं था. ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए वो पहुंचे सेशंस कोर्ट. कब? अप्रैल 2025 में ही.
अब 10 नवम्बर 2025 को सेशंस कोर्ट का फैसला आया है. फैसले में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के मामले की जांच करने वाले फैसले पर रोक लगा दी है. यानी, अब कपिल मिश्रा के खिलाफ कोई FIR दर्ज नहीं होगी, कोई इन्वेस्टिगेशन नहीं होगी.
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