2 जून 2016 (Updated: 2 जून 2016, 08:35 AM IST) कॉमेंट्स
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महाराष्ट्र सरकार के रेवेन्यू मिनिस्टर एकनाथ खड़से. पहले दाऊद इब्राहिम के साथ फोन कॉल्स को लेकर खबरों में रहे. अब सरकारी जमीन खरीदने को लेकर लफड़े में फंसते नजर आ रहे हैं. सरकारी जमीन को कम पइसों में खरीदने का मसला है. बीजेपी ने मामले में रिपोर्ट मांगी है. आगे जानिए आखिर ये पूरा मामला है क्या.
दरअसल, महाराष्ट्र सरकार के रेवेन्यू मिनिस्टर एकनाथ खड़से 90 बरस के अब्बास उकनी की मदद कर रहे थे. इस नेक काम को कानून ‘सरकारी जमीन हड़पने’ का मामला बता रहा है. इस में खड़से ‘तीसरी पार्टी’ हैं. सरकारी कंपनी महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन और अब्बास उकनी पहली दो पार्टियां हैं.मामला क्या है?1.पुणे के भोसारी में तीन एकड़ जमीन है. ये औद्योगिक क्षेत्र है. बहुत महंगी जमीन है. सरकारी वैल्यूएशन के मुताबिक, इसकी कीमत 25630 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर है. यानी इसकी कुल कीमत 31.01 करोड़ रुपये है. इसको बेचने पर सरकारी स्टैंप ड्यूटी कुल 1.75 करोड़ रुपये आएगी. स्टैंप ड्यूटी जमीन खरीद-बिक्री पर सरकारी टैक्स है, जो राज्य सरकार को जाता है.
2. इस जमीन के मालिक 90 बरस के अब्बास उकनी हैं. उनके पिता रसूलभाई उकनी ने 1966 में गनपत लांडगे से इस जमीन को 1966 में खरीदा था.
3.1968 में तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने इस जमीन को पब्लिक सेक्टर महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन के लिए सुरक्षित कर दिया.
4. 2010 में अब्बास उकनी ने जमीन को बेचने की इच्छा जताई. करीब 500 लोगों से संपर्क किया. महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन ने इस बात पर ऐतराज जताया.
5. इसी बीच उकनी खड़से के संपर्क में आए. खड़से सरकार में मंत्री हैं. इतनी महंगी जमीन खरीदने पर जवाब देना पड़ेगा. अप्रैल 2016 में खड़से ने पत्नी मन्दाकिनी और ‘दामाद’ गिरीश चौधरी के नाम पर इस जमीन को खरीद लिया.
6.खड़से ने कुल 3.75 करोड़ रुपये चुकाए. पर स्टैंप ड्यूटी के तौर पर 1.37 करोड़ रुपये दिए.
दिक्कत कहां है?1. कोई भी इंसान सरकारी रेट से नीचे रेट पर जमीन नहीं बेच सकता है. सरकार ने ये कानून बनाया है, जिस से ‘कालेधन’ को रोका जा सके. नहीं तो लोग करोड़ों रुपयों की जमीन को लाखों में दिखाकर स्टैंप ड्यूटी बचा लेंगे. खड़से ने यहां पर वही किया है. 31.01 करोड़ की जमीन को 3.75 करोड़ में ख़रीदा है. फिर ऊटपटांग तरीके से 1.37 करोड़ की स्टैंप ड्यूटी चुकाई है. ऐसा लगता है स्टैंप ड्यूटी देकर अपने काम को सही साबित करने की कोशिश की गई है.
2. जब कोई व्यक्ति जमीन की कीमत सरकारी रेट से कम लगाता है तो मामला डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर तक जाता है. इस मामले में वहां के सब-रजिस्ट्रार दिनकर लोनकर ने कलेक्टर से संपर्क नहीं किया.
3.फिर खड़से ने अपने डिपार्टमेंट के कानून का इस्तेमाल करना शुरू किया. जब सरकारी कंपनी इंडस्ट्री के लिए किसी व्यक्ति से जमीन लेती है तो मार्केट रेट से ज्यादा कीमत चुकाती है. इसका कम्पेंसेशन मिलता है. खड़से ने अपने परिवार के लोगों के महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कार्पोरेशन से कम्पेंसेशन के लिए भी जुगाड़ लगाना शुरू कर दिया.
4. इसके अलावा, खड़से सरकार में रेवेन्यू मिनिस्टर हैं. पद ग्रहण करते समय उन्होंने शपथ ली होगी- ‘संविधान के प्रति निष्ठा’ और ‘कर्तव्यों का निर्वाह’. इस मामले में दोनों को दरकिनार किया है खड़से ने. संविधान के प्रति निष्ठा रखते हुए इन्हें कम कीमत लगाकर गैर-कानूनी काम नहीं करना चाहिए था. कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए सरकारी जमीन की खरीद बिक्री में पहले अपने फाइनेंस मिनिस्टर को इंफॉर्म करना चाहिए था. इन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए ये जमीन ले ली है.
5.यही नहीं, इंडिया टुडे ने इनका स्टिंग ऑपरेशन किया है. इसमें वो इस मामले के व्हीसल-ब्लोअर हेमंत गावंडे को धमकाने के लिए पुलिस पर दबाव बना रहे हैं.
खड़से का क्या कहना है?
खड़से कहते हैं कि एक 90 साल का बूढ़ा आदमी अब्बास उकनी पैसों की जरूरत में था. मैंने तो बस उसकी मदद की है. मैंने कई ‘जमीन हड़पने’ के मामले उजागर किए हैं. मैं ऐसा कैसे कर सकता हूं?
हमारा क्या कहना है?
खड़से किसी स्कूली बच्चे की तरह सफाई दे रहे हैं. उनकी केंद्र सरकार काले धन के खिलाफ जंग छेड़े हुए है. थोड़ा उसी का ख्याल कर लेते. अभी हम लोग इनकी दाऊद इब्राहिम से फोन वाली बात भूले नहीं हैं. संविधान और कानून से तो इनकी दुश्मनी है. अच्छा-भला एक बूढ़े आदमी की मदद कर रहे थे, संविधान और कानून बीच में आ गया.
(ये स्टोरी दी लल्लनटॉप से जुड़े ऋषभ श्रीवास्तव ने लिखी है)