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कविवर बादशाह की नयी कविता पढ़ी आपने?

जिसमें खोला है बादशाह ने म्यूजिक इंडस्ट्री और दलाल मीडिया का राज़. और छुपी है एक धमकी उनके दुश्मनों के लिए.

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प्रतीक्षा पीपी
15 दिसंबर 2015 (Updated: 19 दिसंबर 2015, 09:04 PM IST) कॉमेंट्स
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पढ़िए देश के महान, युवा, उत्तराधुनिक, ओजस्वी कवि बादशाह की नयी कविता जो उन्होंने कल ही अपने पाठकों को समर्पित की. कठिन शब्दों के अर्थ के लिए कविता के नीचे स्क्रॉल करें. स्वैग से भरपूर मुझे कला का गुरूर कम्पटीशन से आगे चलने वालों से कोसों दूर मेरी बिमर 220 पर रियर व्यू मिरर में कोई नहीं दिख रहा मेरा माल बिक रहा मुझे मत सिखा तू खुद देख तू क्या लिख रहा बादशाह के आगे कोई भी तो नहीं टिक रहा स्वैगर-चेक, गाड़ी-चेक, तेरी बंदी-चेक पैसा-कैश, करूं कैश क्यों करूं यूज कार्ड मैं पैसे की बात न हो तो कृपया जाएं भाड़ में गला ख़राब पर जुबान खराब नहीं सर में दर्द लेकिन दिमाग खराब नहीं पीता नहीं लेकिन फिर भी मेरे बार में जो न हो बेटे ऐसी कोई भी शराब नहीं शो पे शो मेरे रहे हैं हो मुझसे जलने वाले अपने होश रहे खो रहे खो मुझे देख रहे वो अपना आपा उनके बच्चे देखते हैं मुझमें अपना पापा स्यापा ले लिया मैंने रैप करके मेरे पीछे पड़ गयी दुनिया देखो मेरे रैप कर के दो टाइम की रोटी नहीं मिलती लोगों को रैप करके लेकिन मैंने कमाए करोड़ों बेटे रैप कर के क्योंकि फरक है, लोगों के रैप बासी लेकिन मेरा रैप जैसे ताज़ी काजू की बर्फी पर चांदी का वरक है लंबी ये सड़क है तुम्हारी गाड़ी स्लो मेरे पास मरसीडीस वो भी दो दो एक में मैं, एक में मेरे यार-दोस्त ज्यादा लोग नहीं बस यही दो-चार दोस्त क्योंकि ज्यादा लोगों से मेरी बातचीत नहीं है पर जित्तों से भी बातचीत है बातचीत सही है इंडस्ट्री साफ है पर इंडस्ट्री वाले हैं गंदे मुंह के भाई पर दिल के काले हैं बंदे किसी को प्रॉब्लम में देख के हो जाते अंधे मेरा रैप उनके गले में पड़ने वाले फंदे मैं अपने काम से काम रखूं फ़ालतू की बातें नहीं पैसे की हो बात तो फिर बातों में ध्यान रखूं गुर्दे में जान रखूं आतम-सम्मान रखूं चले जब रातों को सोने न दें मुझसे जलने वालों को ऐसी मैं ज़बान रखूं रैप घमासान लिखूं बड़ा सा मकान रखूं जलने वाले जो न बोलें मैं वो बातें सुनने वाले कान रखूं छोटा वायुयान रखूं तेरे करियर को मिट्टी करने वाले रैपों की दुकान रखूं कभी भी न फटने वाली ___ रखूं अपनी ऊपर टांग रखूं दोस्तों पर देने वाली जान रखूं https://www.youtube.com/watch?v=FFFU9DNh36c कम ज्यादा नहीं, सब रखूं ठीक ठीक मैं सुनूंगा नहीं तू थक जायेगा चीख चीख मैं, मैं बना हूं जिंदगी से सीख सीख तभी मैं हूं स्ट्रांग स्ट्रांग और तू है वीक वीकहर वीक मेरे बारे में कुछ न कुछ छापें इन्टरनेट, मैगजीन्स अखबार वाले मुझसे इंटरव्यू में पूछें ऐसे से सवाल जैसे मेरे लिए बुना जा रहा हो कोई जाल जैसे मुझसे सुनना चाहें कुछ सनसनीखेज जैसे क्या सच में मैंने गाने लिखे हनी के कैसे कैसे रिश्ते मेरे सोनी म्यूजिक कंपनी के न जाने ऐसे कितने सवाल फनी से पर मैं सब समझता हूं आखिर उनका काम है नाम न लूंगा क्योंकि आखिर उनका नाम है महंगा बड़ा दाम है दिमाग के आराम का फालतू के पंगों में मैं पड़ता नहीं खामखां इट्स योर बॉय बादशाह नाम सबको याद है मुझसे जलने वाला अगले साल बर्बाद है- कविराज 'बादशाह' शब्दार्थ: स्वैग: जब आप हों चवन्नी पर कॉन्फिडेंस रूपए वाला रखते हों. बिमर: स्वैगर लोग BMW गाड़ियों को इसी नाम से बुलाते हैं. स्यापा: बवाल-ए-जान अर्थात किसी का दिया हुआ बंबू वरक: मिठाई का वो चमकीला भाग जो मुंह पोंछने पर भी होठों पर रह जाता है और दुनिया को पता चल जाता है कि आपने काजू की बर्फी या मोतीचूर के लड्डू खाए हैं. आतम-सम्मान: सेल्फ-रिस्पेक्ट ___: कवि खुद की अश्लीलता पर शर्मिंदा हैं पर शरीर के पिछले भाग की ओर इशारा कर रहे हैं  

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