डेढ़ लाख लोग लंदन की सड़कों पर उतरे तब ब्रिटेन के PM फुटबॉल देख रहे थे, अब बोले- 'हम झुकेंगे नहीं'
London Anti-immigration Rally में शामिल लोगों की सबसे बड़ी चिंता Britain में बढ़ते अवैध इमिग्रेशन को लेकर थी. लोग हाथों में सेंट जॉर्ज का लाल-सफेद झंडा और यूनियन जैक लहराते हुए 'हम अपना देश वापस चाहते हैं', 'नाव रोको', 'टॉमी' जैसे नारे लगा रहे थे.

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने रविवार, 14 सितंबर को लंदन की सड़कों पर हुई एंटी-इमिग्रेशन रैली पर तीखी प्रतिक्रिया दी, जो बाद में हिंसक रैली में तब्दील हो गई थी. स्टार्मर ने साफ कहा कि ब्रिटेन दक्षिणपंथी ताकतों के आगे कभी नहीं झुकेगा, जो हिंसा को छिपाने के लिए देश के झंडे का इस्तेमाल करते हैं.
ब्रिटेन की राजधानी लंदन की सड़कों पर शनिवार, 13 सितंबर 2025 को बड़ा राजनीतिक तूफान देखने को मिला, जब धुर-दक्षिणपंथी नेता टॉमी रॉबिन्सन के बुलावे पर 'यूनाइट द किंगडम' नाम से विशाल रैली निकाली गई. इस रैली में पुलिस के मुताबिक करीब 1.10 लाख से 1.50 लाख लोग जुटे. शुरुआत में रैली शांतिपूर्ण रही, लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, माहौल गर्माने लगा और आखिर में ये रैली हिंसा में बदल गई.
इस एंटी-इमिग्रेशन रैली पर प्रतिक्रिया देते हुए पीएम कीर स्टार्मर ने X पर लिखा,
"लोगों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का अधिकार है. यह हमारे देश के मूल्यों का मूल है.
लेकिन हम यह कभी कबूल नहीं करेंगे कि अपना काम कर रहे पुलिस अधिकारियों पर हमला किया जाए या लोग अपने बैकग्राउंड या अपनी त्वचा के रंग की वजह से सड़कों पर डरे-सहमे महसूस करें.
ब्रिटेन एक ऐसा देश है जो सहिष्णुता, विविधता और सम्मान पर गर्व से बना है. हमारा झंडा हमारे विविध देश का प्रतिनिधित्व करता है और हम इसे उन लोगों के हाथों में कभी नहीं सौंपेंगे जो इसे हिंसा, डर और आपस में फूट डालने के सिंबल के तौर पर इस्तेमाल करते हैं."
हालांकि, रैली वाले दिन कीर स्टारमर ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे रखी थी. उन्होंने इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया था. प्रदर्शन के दिन स्टार्मर अपने बेटे के साथ एमिरेट्स स्टेडियम में आर्सेनल का फुटबॉल मैच देख रहे थे.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, रैली में शामिल लोगों की सबसे बड़ी चिंता ब्रिटेन में बढ़ते अवैध इमिग्रेशन को लेकर थी. लोग हाथों में सेंट जॉर्ज का लाल-सफेद झंडा और यूनियन जैक लहराते हुए 'हम अपना देश वापस चाहते हैं', 'नाव रोको', 'टॉमी' जैसे नारे लगा रहे थे. लोगों का कहना था कि वे अपने देश की पहचान, संस्कृति और आजादी को बचाना चाहते हैं, जो उन्हें लगता है कि प्रवासियों के कारण खतरे में पड़ गई है.
बहुत से लोगों ने यह भी कहा कि वे अपनी भाषा और जीवनशैली बचाने के लिए लड़ रहे हैं. भीड़ ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के खिलाफ भी अपशब्दों का इस्तेमाल किया और ‘कीर स्टारमर एक निकम्मा है’ गाने की धुन पर नारे लगाए.
इस रैली के पीछे सबसे बड़ा नाम टॉमी रॉबिन्सन है. उनका असली नाम स्टीफन याक्सली-लेनन है. उन्होंने 2009 में राष्ट्रवाद और मुसलमानों के खिलाफ 'इंग्लिश डिफेंस लीग' की स्थापना की थी. इस बार की रैली को रॉबिन्सन ने ब्रिटेन में ‘संस्कृतिक क्रांति की शुरुआत’ बताया.
रॉबिन्सन ने इस रैली की तारीफ करते हुए इसे ब्रिटिशों का 'जागना' बताया. उन्होंने कहा,
“ब्रिटेन आखिरकार जाग गया है और यह कभी खत्म नहीं होगा.”
उन्होंने आगे कहा,
“आज ग्रेट ब्रिटेन में एक सांस्कृतिक क्रांति की चिंगारी है. यह पल हमारा है.”
रॉबिन्सन ने भारी भीड़ को संबोधित करते हुए इस प्रदर्शन को 'देशभक्ति की लहर' बताया.
दूसरी तरफ, टेस्ला के CEO और अमेरिकी बिजनेसमैन एलन मस्क ने इस रैली को और ज्यादा चर्चा में ला दिया. उन्होंने वीडियो लिंक के जरिए रैली के समर्थन में एक भाषण दिया. मस्क ने कहा,
“आप हिंसा चाहें या ना चाहें, हिंसा आपके पास आ रही है. या तो लड़ो, या मर जाओ, मुझे लगता है, यही सच है.”
मस्क ने ब्रिटिश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि बेकाबू प्रवास की वजह से ब्रिटेन की पहचान मिट रही है और यह अब तेज हो चुकी है. मस्क ने प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की सरकार भंग करने की भी मांग की.
एलन मस्क के बयान पर ब्रिटेन की राजनीति में हलचल मच गई. लिबरल डेमोक्रेट नेता एड डेवी ने मस्क पर भड़कते हुए कहा,
“हमारा लोकतंत्र इतना कीमती है कि इसे विदेशी तकनीकी दिग्गजों का खिलौना नहीं बनाया जा सकता. एलन मस्क को ब्रिटिश लोगों या हमारे अधिकारों की कोई परवाह नहीं है. उन्हें बस अपनी और अपने अहंकार की परवाह है.”
उनकी पार्टी ने एलन मस्क के बयान को 'घिनौना' बताया. पार्टी ने कहा कि राजनीति में हिंसा की कोई जगह नहीं है.
रैली में फ्रांस के धुर-दक्षिणपंथी नेता एरिक जेमूर ने भी हिस्सा लिया और ‘ग्रेट रिप्लेसमेंट थ्योरी’ की बात की. उन्होंने कहा कि यूरोप के देशों में मुस्लिम देशों और दक्षिण से आए लोगों के कारण मूल निवासी पीछे होते जा रहे हैं. जेमूर ने कहा, “अब आप और हम उनके गुलाम हो रहे हैं, जिन पर हम पहले राज करते थे.”
दी हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, रैली के दौरान पूरे लंदन में भारी पुलिसबल तैनात था. करीब 1,000 से ज्यादा अफसरों को तैनात किया गया था. लेकिन जैसे-जैसे हिंसा भड़की, पुलिस को और भी जवान बुलाने पड़े. दंगा रोकने वाली यूनिट को बुलाया गया, पुलिस घुड़सवार दस्ते भी लगाए गए.
डेलीमेल की खबर में मेट पुलिस ने बताया कि अभी तक 25 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन कई और की पहचान कर ली गई है और उन पर आने वाले दिनों में कार्रवाई की जाएगी. इस दौरान 26 पुलिसवाले भी घायल हुए.
ब्रिटेन की गृह मंत्री शबाना महमूद ने पुलिस अधिकारियों पर हमला करने और उन्हें घायल करने वाले प्रदर्शनकारियों की निंदा की. उन्होंने चेतावनी दी कि उन्हें कानून का सामना करना पड़ेगा. महमूद ने कहा,
“शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार इस देश का मूलभूत अधिकार है. मैं पुलिस का धन्यवाद करती हूं जिन्होंने आज के ज्यादातर विरोध प्रदर्शन को शांतिपूर्ण बनाने के लिए कड़ी मेहनत की. आपराधिक गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति को कानून की पूरी सजा का सामना करना पड़ेगा.”
रैली की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें लोगों को इस्लामिक स्टेट, मुस्लिम ब्रदरहुड और फिलिस्तीन के झंडे जलाते और फाड़ते हुए देखा जा सकता है. कुछ लोगों ने इन झंडों को फाड़ते हुए तालियां बजाईं और नारे भी लगाए. इसके अलावा स्टेज से एक गाना भी चला जिसमें पश्चिमी देशों को 'मिडिल ईस्ट' जैसा बनते हुए दिखाया गया.
टॉमी रॉबिन्सन की 'यूनाइट द किंगडम' रैली के विरोध में 'मार्च अगेंस्ट फासिज्म' नाम से काउंटर प्रोटेस्ट हुआ, जिसमें करीब 5,000 लोग शामिल हुए. स्टैंड अप टू रेसिज्म की काउंटर रैली में लेबर पार्टी की सांसद डायन एबॉट ने भाषण दिया और कहा,
“ये प्रदर्शन नस्लभेदी हैं. ये लोग महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ हैं, ये समान वेतन का विरोध करते हैं, और उत्पीड़न को मजाक समझते हैं. हम सबको एकजुट होकर इनके खिलाफ खड़ा होना होगा.”
उन्होंने आगे कहा, “हमें यकीन है कि हम इन फासिस्ट ताकतों को हराएंगे.”
एंटी-इमिग्रेशन रैली दिखाती है कि ब्रिटेन में प्रवास और सांस्कृतिक पहचान को लेकर तनाव अब और गहराता जा रहा है. जहां एक तरफ कुछ लोग इसे देशभक्ति की लहर कह रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ बहुत से लोग इसे नफरत और बांटने का जरिया मानते हैं.
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