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जज को भेजी ‘मरने की बद्दुआ’, कोर्ट से सीधा कोठरी पहुंचे वकील साहब!

जज और वकील के बीच की जिरह चल रही थी. मगर इस कस्टडी केस ने जल्द ही एक खतरनाक मोड़ ले लिया. पैरवी कर रहे वकील को जज को जान से मारने की धमकी देने के आरोप में जेल भेज दिया गया. कोर्टरूम ड्रामा की ये सनसनीखेज खबर अमेरिका के वेस्टचेस्टर काउंटी की है.

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Lawyer threatens judge
जज को भेजी 'मरने की बद्दुआ'
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दिग्विजय सिंह
16 जून 2025 (Published: 09:23 AM IST) कॉमेंट्स
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बचपन में मां-बाप सिखाते हैं- बड़ों से तमीज़ से बात करो, गुस्से में खुद पर काबू रखो. लेकिन एक वकील साहब हैं, जो कानून के दरवाजे तक पहुंचते-पहुंचते अपना दिमाग घर पर ही छोड़ आए. अब सजा भुगतने की बारी है.

हम बात कर रहे हैं न्यूयॉर्क के यॉन्कर्स शहर के वकील निकोलस लियो की, जो बच्चों की कस्टडी को लेकर पहले ही परेशान थे, लेकिन गुस्से में आकर उन्होंने सारी हदें पार कर दीं. उन्होंने जो किया, वो ना तो वकील को शोभा देता है, ना ही किसी जिम्मेदार पिता को.

क्या किया वकील साहब ने?

NY Post की खबर के मुताबिक वकील साहब ने सीधे-सीधे जज सुसन कैपेसी को धमकी भरे टेक्स्ट मैसेज भेज डाले. एक नहीं कई सारे मैसेज. वो भी कोई मामूली वाले नहीं, धमकी भरे. वकील साहब के कुछ मैसेज को आप भी पढ़ लीजिए, 

मैं तुम्हें पीटने वाला हूं.

काश तुम आज रात कार में जलकर मर जाओ.

मैंने महीनों चेतावनी दी थी. अगर तुमने मेरे बच्चे मुझसे लिए, तो अंजाम अच्छा नहीं होगा.

अब भला सोचिए, अदालत का फैसला पसंद ना आए तो आप जज को जला ही देंगे?

कोर्ट में क्या हुआ?

शुक्रवार 13 जून को निकोलस लियो को अदालत में पेश किया गया. जज जॉन पैट्रिक कॉलिन्स ने उनको बिना ज़मानत के हिरासत में भेज दिया और साफ-साफ कहा कि अब जमानत भूल जाओ, अगली सुनवाई बुधवार को होगी.

साथ ही जज ने एक सुरक्षा आदेश (प्रोटेक्शन ऑर्डर) भी जारी किया, जिसके तहत लियो अब जज सुसन कैपेसी के आस-पास भी नहीं फटक सकते.

डीए मैडम ने क्या कहा?

वेस्टचेस्टर की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी सुसन काकेसी ने इस मामले पर कड़ा बयान दिया. बोलीं,

न्यायपालिका पर बढ़ते हमलों के दौर में, ये बर्ताव बेहद खतरनाक है.

उन्होंने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स की 2024 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा,

जजों को डराने-धमकाने की हरकतें लोकतंत्र की जड़ें कमजोर करती हैं. ये कतई बर्दाश्त नहीं होंगी.

मुद्दे की बात

कस्टडी केस हो या कोई और विवाद, न्यायपालिका पर भरोसा टूटेगा तो कानून का शासन भी डगमगाएगा. निकोलस लियो का केस सबक है उन लोगों के लिए जो कोर्ट के फैसलों से नाराज़ होकर न्याय के मंदिर में गुंडागर्दी करने की सोचते हैं.

अब देखना ये है कि अगली सुनवाई में क्या होता है. क्या लियो को अपनी गलती का पछतावा होगा, या फिर कानून अपना मजबूत डंडा दिखाएगा? 

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