The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Lata Mangeshkar Demise People Started Calling Her Nationalist And Fascist Just After Her Death

लता दी का निधन हुआ नहीं कि एजेंडेबाज़ उन्हें राष्ट्रवादी और फासिस्ट बताने लगे!

किसी शख्सियत की मौत पर इस तरह की प्रतिक्रियाओं का ट्रेंड चल चुका है.

Advertisement
Img The Lallantop
बाएं से दाएं. Lata Mangeshkar द्वारा सावरकर के साथ की फोटो और उनकी जवाहरलाल नेहरू के साथ की फोटो. (फोटो: सोशल मीडिया)
pic
मुरारी
6 फ़रवरी 2022 (Updated: 6 फ़रवरी 2022, 11:23 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
भारत की स्वर कोकिला और दिग्गज गायिका लता मंगेशकर का 6 फरवरी की सुबह निधन हो गया. भारत रत्न लता मंगेशकर ने 92 वर्ष की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिस सांस ली. उनके निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. आम और खास, सभी लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने लगे. सभी ने उनकी संगीत विरासत को याद किया. लेकिन इधर सोशल मीडिया पर अलग ही खेल शुरू हो गया. लता मंगेशकर के निधन को कुछ घंटे ही बीते थे कि सोशल मीडिया पर कुछ लोग उन्हें प्राउड हिंदू और राष्ट्रवादी बताने लगे, तो कुछ उन्हें संघी-फासिस्ट कहने लगे. इन लोगों ने लता मंगेशकर के संगीत क्षेत्र में योगदान को तवज्जो देना ज़रूरी नहीं समझा. इस ट्वीट पर नजर डालिए,
"अपनी आखिरी सांस तक हिंदुत्व के लिए दिए गए योगदान को भुलाया नहीं जाना चाहिए. पीढ़ियों को प्रभावित करने के लिए लता जी का धन्यवाद."
एक दूसरे ट्वीट में लिखा गया, "दो राष्ट्रवादी एक फ्रेम में." एक ट्विटर यूजर ने ट्वीट किया,
"ना केवल एक महान गायिका बल्कि अपनी हिंदू पहचान ना छिपाने वाली भीं."
अभिषेक पांडेय नाम के यूजर ने ट्वीट किया,
"भारत रत्न म्यूजिकल आइकन होने के अलावा लता जी कट्टर सांस्कृतिक राष्ट्रवादी थीं."
किसी ने उन्हें ब्राह्मण राष्ट्रवादी बताया. ये ट्वीट देखिए, इस ट्वीट में जो फोटो लगाई गई है, वो उस सेक्शन के लोगों की है, जो लता मंगेशकर को संघी-फासिस्ट बता रहे हैं. मसलन, इस फोटो में लता मंगेशकर के निधन पर घोषित किए गए दो दिन के राष्ट्रीय शोक पर प्रतिक्रिया आई है. प्रतिक्रिया में लिखा गया है,
"दानिश सिद्दीकी का निधन हुआ, लेकिन एक भी शब्द नहीं कहा गया. चलिए, इसको जाने देते हैं. बॉलीवुड के ही कुछ लोगों को ले लेते हैं. इरफान खान, दिलीप कुमार, श्रषि कपूर. किसी को कोई विशेष सम्मान मिला? ये ज्यादा हो गया."
इसी तरह प्रोफेसर मैवरिक नाम के ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया गया,
"सावरकर की प्रशंसक की मौत पर दुखी होने की कोई जरूरत नहीं है. यह एक विरोधाभास है कि भारत के गैर-दक्षिणपंथी लोग कहते हैं कि सावरकर और गोडसे पर मीम बनाना तो नैतिक है, लेकिन उनकी फैनगर्ल के लिए ऐसा करना अनैतिक है."
एक और यूजर ने ट्वीट किया,
"इससे फर्क नहीं पड़ता कि लता मंगेशकर कितनी बेहतरीन गायिका थीं. यह एक तथ्य है कि उसने सावरकर का समर्थन किया और वो एक कट्टर संघी थी."
रेनमैन नाम के यूजर ने ट्वीट किया,
"लता मंगेशकर एक संघी थी और उसने इसे छिपाया नहीं. उसकी आत्मा को उसके कायर हीरो सावरकर के साथ शांति मिले."
इसी तरह तंजीरो टैन नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा गया,
"घृणा से भरी हुई कट्टरपंथी जो खुद को सावरकर की बेटी कहती थी, उसकी मौत हो गई. लिबरल और संघी समाज मृतक को अपमानित ना करने की बात कह रहा है."
मानवीर सिंह नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा गया,
"RIP लता मंगेशकर पोस्ट करने से पहले ध्यान रखना कि वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कट्टर फॉलोवर थी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक एक घृणा फैलाने वाला फासिस्ट समूह है, जो नाज़ीवाद की विचारधारा पर चलता है और जिस विचारधारा से आज देश के अल्पसंख्यक पीड़ित हैं. हां, उसकी आवाज़ अच्छी थी, लेकिन वो फासीवाद की समर्थक थी."
किसी प्रसिद्ध हस्ती के निधन पर इस तरह के रिएक्शन आना कोई नई बात नहीं है. बीते कुछ सालों में ये ट्रेंड बहुत तेजी से बढ़ा है. लोग मृतक का उसके निधन वाले दिन भी सम्मान नहीं करते. अपना एजेंडा लेकर कूद पड़ते हैं. इस बात को नजरअंदज़ज करते हुए कि असल में वो शख्सियत किस वजह से जानी गई और किसी का भी व्यक्तित्व पूरी तरह से ब्लैक एंड व्हाइट नहीं होता.

Advertisement