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इस झील में जाने पर पत्थर बन जाता है शरीर, जानते हैं वजह क्या है?

देखने में बहुत खूबसूरत, लेकिन बेहद खतरनाक.

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नैट्रॉन झील में तैरती लाश(फोटो: सोशल मीडिया और आजतक)
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आर्यन मिश्रा
17 फ़रवरी 2023 (Updated: 17 फ़रवरी 2023, 11:13 AM IST)
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ग्रीक माइथोलॉजी में एक किरदार है 'मेड्यूसा'. फीमेल कैरेक्टर है. बालों की जगह सिर पर सांप जड़े हुए हैं. जिंदा सांप! डरावना दिखाने के अलावा सांपों का ज्यादा कोई काम नहीं है. बस सिर पर लहराया करते हैं. लेकिन ये किरदार खतरनाक है, कैसे? अगर मेड्यूसा किसी ज़िंदा चीज को देख ले, तो वो पत्थर में तब्दील हो जाती है. हालांकि, ये सिर्फ कहानियों में मौजूद काल्पनिक किरदार भर है. लेकिन अगर, हम बताएं कि ऐसी ही एक झील है. देखने में बेहद खूबसूरत, मगर उतनी ही खतरनाक. जहां कोई भी जिंदा चीज जाती है तो वो पत्थर बन जाती है! यही वजह है कि इसे मेड्यूसा लेक भी कहा जाता है. वैसे तो झील का नाम है लेक नैट्रॉन. लेकिन अपनी इस अद्भुत खासियत की वजह से इसे कई और तरह के नाम दिए गए हैं, जिनमें से ‘जॉम्बी लेक’ भी एक है.

नैट्रॉन झील (फोटो: आत तक)
कहां है ये झील?

पूर्वी अफ्रीका में एक देश है तंजानिया. इसी देश के अरूषा क्षेत्र के न्गोरोन्गोरो जिले में नैट्रॉन झील मौजूद है. लोगों का मानना है कि ये झील जादुई है. ये मानना लाजमी भी है. क्योंकि इस झील के आस-पास आपको कई पशु पक्षियों की मूर्तियां मिल जाएंगी. ये असली पशु और पक्षी हैं, जो मूर्तियों में तब्दील हो चुके हैं. इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है. बिल्कुल वैसे ही जैसे इजिप्ट में डेड बॉडीज को लंबे समय तक बचाए रखने के लिए ममीफिकेशन किया जाता था. तभी आज भी इजिप्ट में मिलने वाले ताबूतों के अंदर पट्टी में लिपटे शरीर काफी हद कर सही सलामत होते है. हालांकि, लेक नैट्रॉन में लाशें पट्टियों में लिपटी नहीं मिलती हैं. बावजूद इसके वो सलामत रहती हैं. कारण आगे बताया जाएगा. पहले इस झील की लंबाई चौड़ाई की बात करें तो ये 56 किलोमीटर लंबी और 24 किलोमीटर चौड़ी है.

नैट्रॉन झील(फोटो: आत तक)
चर्चा में कब आई?

एक वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर हैं निक ब्रांट. साल 2013 में वो जब इस झील के पास पहुंचे, तो हैरान रह गए. लाल रंग की झील में जानवरों और पक्षियों की जमी हुई लाशें. ऐसा लग रहा था मानो खून की नदी के बीच जॉम्बी पड़े हों. उन्होंने इस झील की कई तस्वीरें लीं. और लोगों ने जब इन तस्वीरों को देखा तो वो स्तब्ध रह गए. 

झील में जिंदा कौन रह पाता है?

लेकिन एक पक्षी है, जो इस झील में अच्छे से फलता फूलता रहता है, बावजूद इसके कि ये झील इतनी भयानक है. यहां तक कि ये उनके बच्चों के पालन पोषण और प्रजनन के लिए सबसे बेहतर और सुरक्षित स्थान है. हर साल लाखों की संख्या में यहां ये पक्षी जमावड़ा लगाते हैं. ये पक्षी है फ्लेमिंगो. शुतुरमुर्ग जैसे लंबे सख्त पैर और बगुले जैसी बनावट वाला ये पक्षी देखने में बेहद खूबसूरत लगता है. झील के लाल-गुलाबी पानी में लंबे समय तक रहने और इसके पानी का सेवन करने की वजह से इस पक्षी का रंग गुलाबी हो जाता है. कुदरत ने इस पक्षी को कुछ खास सहन शक्तियां दी हैं, जिस वजह से ये इस झील के जहरीले पानी को आसानी से पचा लेता है.

नैट्रॉन झील पर मौजूद फ्लैमिंगो पक्षी(फोटो: आत तक)
पत्थर कैसे बन जाते हैं ? 

पत्थर वाला राज समझने से पहले आपको pH समझना होगा. तो pH रसायन विज्ञान का एक टर्म है. किसी भी चीज के एसिडिक या एल्कलाइन नेचर को जांचने-नापने के लिए इस्तेमाल होता है. इसे नापने के लिए एक स्केल का इस्तेमाल किया जाता है. इस स्केल में जीरो से चौदह तक लेवल होते हैं. जीरो लेवल सुर्ख लाल से शुरु होते हुए गहरे नीले रंग तक जाता है. सहूलियत के लिए हम एक ग्राफिकल तस्वीर लगा दे रहे हैं. समझने में आसानी होगी. वैसे तो इसका हमारे रोजमर्रा के जीवन में काफी महत्व है, लेकिन कम ही लोग इस पर इतना ध्यान देते हैं. उदाहरण के तौर पर, जैसे पानी का पीएच अगर सात है तो ही वो पीने लायक होता है, इससे ज्यादा या कम पीने वाले को नुकसान पहुंचा सकता है.

पीएच स्केल(फोटो: यूएस सरकार)

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस झील का पानी आम झीलों के मुकाबले ज्यादा एल्कलाइन है. नैट्रॉन झील के पानी का pH लेवल 10.5 तक मापा गया है. ये लेवल लगभग अमोनिया के pH जितना ही है. इस झील के इतने एल्कलाइन होने का कारण है इसके पास मौजूद ओल दोइन्यो लेंगाई (Ol Doinyo Lengai) ज्वालामुखी. मसाई भाषा में इसका मतलब होता है पहाड़ों का देवता. 

नैट्रॉन झील के तट पर मौजूद तंजानिया के शख्स की फोटो(फोटो: आत तक)

ये दुनिया का एकमात्र ऐसा ज्वालामुखी है जिसके लावा में नैट्रोकार्बोनाइट्स पाए जाते हैं. गौर करें, तो पता चलेगा कि झील का भी नाम इसी लावा से मिलता जुलता है. लावा पर वापस आते हैं. ये एक खास तरह का लावा है. जिसमें सोडियम, पोटैशियम और कैल्शियम कार्बोनेट की काफी ज्यादा मात्रा पाई जाती है. लेकिन इसमें सिलिका की मात्रा कम होती है, जिस वजह से ये काफी तेजी से बहता है. खास बात ये है कि इस लावा का तापमान बाकी लावा के मुकाबले कम होता है और ये ठंडा होकर जल्दी जम जाता है. 

अब आस-पास में ऐसे केमिकल होंगे, तो जाहिर है झील पर इसका असर पड़ेगा ही. नैट्रॉन झील ने इन पहाड़ियों से सोडियम कार्बोनेट समेत बाकी के नैट्रोकार्बोनइट खनिज भी खुद में सोख लिए हैं. जिस वजह से झील का पानी काफी ज्यादा नमकीन और एल्कलाइन भी है. इस कारण झील में जाने वाले ज्यादातर जानवर ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रह पाते हैं और इस तरह के केमिकल्स की वजह से उनके शरीर के सड़ने की प्रक्रिया बहुत धीमी हो जाती है. यही वजह है कि झील में उनके शव बहुत लंबे समय तक पड़े रहते हैं.

वीडियो: आंखों के सामने झील में डूब गई बस, अंदर बैठे लोग देखते रह गए, CCTV में कैद

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