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कौन हैं अनन्या अग्रवाल और सुनंदा वशिष्ठ, जिन्होंने इंटरनेशनल प्लैटफॉर्म पर पाकिस्तान की बोलती बंद कर दी

अब पाकिस्तान कश्मीर और अयोध्या मामले पर कभी कुछ नहीं बोलेगा.

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इंटनेशनल लेवल पर पाकिस्तान की बेइज्जती करने के बाद सोशल मीडिया पर सुनंदा वशिष्ठ और अनन्या अग्रवाल की काफी तारीफ हो रही है.
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अभिषेक
16 नवंबर 2019 (Updated: 16 नवंबर 2019, 10:49 AM IST)
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अनन्या अग्रवाल और सुनंदा वशिष्ठ. ये वो दो नाम हैं जिन्होंने इंटरनेशनल फोरम पर पाकिस्तान की झोला भर के बेइज्जती की है. ऐसी खतरनाक वाली बेइज्जती कि पाकिस्तान शायद ही कभी कश्मीर और अयोध्या का मामला इंटरनेशनल लेवल पर लेकर जाने की गलती करेगा. वैसे ये लिखना भी अतिश्योक्ति होगी क्योंकि पाकिस्तान अपनी आदतों से कभी बाज नहीं आ सकता. खैर अब मुद्दे पर आते हैं और पूरा मामला विस्तार से बताते हैं. समझाते हैं कि भारत की इन दो बेटियों ऐसा क्या बोला कि पाकिस्तान इंटरनेशनल फोरम पर शर्म के मारे बगलें झांकने लगा. दरअसल यूनेस्को के हेड ऑफिस पेरस में जनरल कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ. इसके 40वें सेशन में पाकिस्तान के एजुकेशन मिनिस्टर शफाकत महमूद ने कश्मीर का मसला उठाते हुए यूनेस्को से कहा-
'जम्मू कश्मीर और कश्मीर के लोगों के मौलिक अधिकारों बहाल करने और प्रतिबंध हटाने को लेकर आप अपने नैतिक अधिकार का इस्तेमाल करें. कश्मीर में पिछले 100 दिन से कफ्यू जारी है. 80 लाख से ज्यादा कश्मीरियों के मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है.'
इसके साथ ही शफाकत महमूद ने अयोध्या मामले पर भी टिप्पणी की, उन्होंने भारत में अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को यूनेस्को के धार्मिक मूल्यों के खिलाफ बता दिया. पाकिस्तान के शिक्षा मंत्री का वीडियो देख लीजिए. शफाकत महमूद के इस बयान का भारत ने कड़ा विरोध किया. पाकिस्तान के इस बयान का सॉलिड जवाब यूनेस्को में इंडियन डेलिगेशन को लीड कर रहीं अन्नया अग्रवाल ने दिया. उन्होंने राइट टू रिप्लाई का इस्तेमाल करते हुआ कहा-
भारत के खिलाफ पाकिस्तान झूठ, छल और कपट करके प्रोपेगेंडा फैला रहा है. हम यूनेस्‍को को भारत के खिलाफ जहर उगलने के मंच के तौर पर इस्‍तेमाल करने की पाकिस्‍तान की कोशिशों की कड़ी निंदा करते हैं. अयोध्या मामले में भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पाकिस्तान ने बिल्कुल गलत टिप्पणी की है. पाकिस्तान की ये दखलंदाजी भारत की सोवरनिटी (संप्रभुता) का उल्लंघन है. पाकिस्तान के इसी विक्षिप्त व्यवहार का ही नतीजा है कि उसकी अर्थव्यवस्था तबाह हो गई है. इसी वजह से वहां कट्टरपंथ के साथ आतंकवाद के डीएनए ने गहरी जड़ें जमा ली हैं. 
अनन्या अग्रवाल ने आगे कहा-
2018 में पाकिस्‍तान फ्रेजाइल स्‍टेट इंडेक्‍स में 14वें नंबर  पर था. पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान संयुक्‍त राष्‍ट्र के मंच को परमाणु युद्ध की धमकी देने के लिए इस्‍तेमाल कर चुके हैं. इमरान ने सितंबर 2019 में संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा के एक सत्र में धमकी दी थी कि अगर दो परमाणु हथियार संपन्‍न देशों के बीच युद्ध हुआ तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा. क्‍या यहां मौजूद लोग इस बात पर भरोसा करेंगे कि पाकिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने हाल ही में ओसामा बिन लादेन और हक्‍कानी जैसे आतंकियों को पाकिस्‍तानी हीरो बताया था.
अनन्या अग्रवाल ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यों पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा भी उठाया, उन्होंने कहा-
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं. बंटवारे के बाद जहां पाकिस्‍तान में 23 फीसदी अल्‍पसंख्‍यक थे, वो आज घटकर 3 फीसदी रह गए हैं. पाकिस्‍तान में ईसाई, सिख, हिंदू, शिया, पख्‍तून, सिंधी और बलोच समुदाय के लोगों को ईश निंदा कानून, आपत्तिजनक टिप्‍पणी व जबरन धर्म परिवर्तन के जरिये हर दिन परेशान किया जाता है. आज पाकिस्‍तान में महिलाओं को ऑनर किलिंग, एसिड अटैक, जबरन निकाह, बाल विवाह और जबरन धर्म परिवर्तन के जरिये प्रताड़ित किया जा रहा है. लेकिन पाकिस्तान अपने यहां अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार की रक्षा करने की बजाय भारत को बदनाम करने में लगा हुआ है.
अनन्‍या अग्रवाल ने आखिर में उम्‍मीद जताई कि यूनेस्‍को के सदस्‍य किसी भी सदस्‍य की ओर से इस मंच के दुरुपयोग को रोकेंगे. साथ ही ऐसी हर कोशिश को खारिज करने के लिए सभी सदस्‍य देश साथ आएंगे. अनन्या अग्रवाल का वीडियो यहां देखिए- जान लीजिए कौन हैं अनन्या अग्रवाल? अनन्या अग्रवाल देहरादून के डालनवाला की रहने वाली हैं. अनन्या अग्रवाल का चयन आईआरएस में साल 2011-12 में हुआ था. अनन्या ने यूपीएससी प्रशासनिक सेवा परीक्षा में 27वीं रैंक हासिल की थी. अनन्या की स्कूलिंग  सोफिया स्कूल मेरठ, लॉ मार्टिनियर स्कूल लखनऊ और वेल्हम गर्ल्स स्कूल देहरादून से हुई है. उन्होंने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जोधपुर से लॉ की डिग्री ली और बीएससी से ऑनर्स किया. उनकी मां स्नेहलता अग्रवाल भी आईएएस अधिकारी रहीं हैं. अब भारत की दूसरी बेटी सुनंदा वशिष्ठ की बात 15 नवंबर के दिन अमेरिकन कांग्रेस के ह्यूमन राइट टॉम लैंटोस कमिशन की बैठक हुई. जिसमें भारत पर कश्मीर के भीतर ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन के आरोप लगाए गए. इसके अलावा बैठक में जम्मू कश्मीर से 370 हटाए जाने के बाद जो हालात बने हैं उस पर चिंता जाहिर की गई, साथ ही भारत की मंशा पर भी सवाल उठाए गए. बैठक के दौरान जितने भी सवाल उठे, जिन्होंने भी कश्मीर में ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन की वकालत की. सभी को सुनंदा वशिष्ठ ने अपनी बातों से चुप करा दिया. भारतीय मूल की अमेरिकी कॉल्मनिस्ट सुनंदा वशिष्ठ कहा-
मुझे ख़ुशी है कि आज इस तरह की सुनवाइयां हो रही हैं क्योंकि जब मेरे परिवार और हमारे जैसे लोगों ने अपने घरों, आजीविका और जीवनशैली को छोड़ना पड़ा, तब दुनिया चुप बैठी थी. जब मेरे अधिकार छीने गए थे तब मानवाधिकार की वकालत करने वाले लोग कहां थे?
सुनंदा वशिष्ठ ने आगे कहा-
हम कश्मीर में इस्लामी आतंकवाद से लड़ रहे हैं. हमें इस तथ्य का पता होना चाहिए. सभी मौतें पाकिस्तान की ओर से ट्रेनिंग पाने वाले आतंकवादियों के कारण हो रही हैं. दोहरी बातों से भारत को कोई मदद नहीं मिल रही. राजनियक मामलों में भारत को किसी प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं. लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत भारत ने पंजाब और उत्तर पूर्व में अराजकता को हराया है. इस तरह की अराजकता से निपटने के लिए भारत को मज़बूत करने का यह सही समय है ताकि मानवाधिकार से जुड़ी समस्याओं को हमेशा के लिए ख़त्म किया जा सके.
सुनंदा वशिष्ठ ने ये भी कहा कि कश्मीर में कभी जनमत संग्रह नहीं होगा. जनमत संग्रह के लिए ज़रूरी है कि पूरा समुदाय एक फ़ैसला ले. मगर इस मामले में कश्मीर का एक हिस्सा भारत के पास है और दूसरा पाकिस्तान के पास और एक हिस्सा चीन के पास. आख़िर में सुनंदा ने कहा-
भारत ने कश्मीर पर कब्ज़ा नहीं किया और वह हमेशा से भारत का अभिन्न हिस्सा था. भारत की पहचान 70 साल की नहीं है बल्कि यह 5000 साल पुरानी सभ्यता है. कश्मीर के बिना भारत नहीं है और भारत के बिना कश्मीर नहीं.
क्या है टॉम लैंटोस ह्यूमन राइट्स कमिशन? टॉम लैंटोस एचआर कमिशन अमरीकी संसद के लोअर हाउस के रिप्रज़ेंटेटिव्स का बाइलैटरस समूह है. जिसका टारगेट इंटरनेशनल लेवल पर ह्यूमन राइट्स के नियमों की देखरेख करना है. इस कमिशन की ओर से कश्मीर के ताजा हालात पर सुनवाई के लिए बैठक की गई थी जिसमें दो पैनल शामिल हुए थे. पहले पैनल में अमरीका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की कमिश्नर अरुणिमा भार्गव थीं, जिन्होंने भारत कश्मीर में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर अपनी बात रखी. वहीं दूसरे पैनल में सुनंदा वशिष्ठ के अलावे 6 लोग थे. सुनंदा वशिष्ठ एक राइटर, कॉल्मनिस्ट और पॉलिटिकल कमंटेटर होने के अलावे खुद एक पीड़ित कश्मीरी हिंदू हैं जो अमेरिका में रहती हैं.
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