सबरीमाला मंदिर की मूर्तियों का सोना चोरी, गोल्ड प्लेट का वजन 4 किलो कम निकला
मूर्तियों को 1999 में आधिकारिक मंजूरी के बाद स्थापित किया गया था और इन पर 40 साल की वॉरंटी थी. लेकिन सिर्फ 6 साल बाद ही प्लेटिंग में खराबी आने लगी. 2019 में मरम्मत और दुबारा सोना चढ़ाने का काम शुरू हुआ.

केरल हाई कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर की मूर्तियों पर चढ़ाई गई सोने की परत के वजन में आई कमी की जांच के आदेश दिए हैं. जस्टिस राजा विजयराघवन वी और केवी जयकुमार की बेंच ने बताया कि 2019 में जब सोने से मढ़ी प्लेटें हटाई गईं, तब उनका वजन 42.8 किलो था. लेकिन चेन्नई की एक कंपनी को प्लेटिंग के लिए सौंपते समय उनका वजन घटकर 38.25 किलो रह गया.
कोर्ट ने कहा, “बिना वजह सोने के वज़न में इतनी बड़ी कमी गंभीर मामला है, जिसकी विस्तृत जांच ज़रूरी है.”
मूर्तियों को 1999 में आधिकारिक मंजूरी के बाद स्थापित किया गया था और इन पर 40 साल की वॉरंटी थी. लेकिन सिर्फ 6 साल बाद ही प्लेटिंग में खराबी आने लगी. 2019 में मरम्मत और दुबारा सोना चढ़ाने का काम शुरू हुआ.
विवाद तब उठा जब त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (TDB) ने 2019 में बिना अदालत या स्पेशल कमिश्नर को बताए गोल्ड-प्लेटेड प्लेटें उतार दीं. इन्हें बाद में निजी प्रायोजक भक्त उन्नीकृष्णन पोट्टी ने चेन्नई की कंपनी स्मार्ट क्रिएशन को सौंपा. तब तक प्लेटों का वजन घटकर 38.25 किलो रह गया था. प्लेटिंग के बाद वजन थोड़ा बढ़कर 38.65 किलो हुआ, लेकिन फिर भी मूल वजन से बहुत कम रहा.
हाई कोर्ट ने TDB के चीफ विजिलेंस एंड सिक्योरिटी ऑफिसर (पुलिस अधीक्षक रैंक) को पूरी जांच करने, सभी रिकॉर्ड खंगालने और तीन हफ्तों में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए. साथ ही, सभी रजिस्टर विजिलेंस ऑफिसर को सौंपने और TDB से पूर्ण सहयोग करने को कहा.
सबरीमाला मंदिर में ये सोने से मढ़ी हुई द्वारपालक मूर्तियां मंदिर की धरोहर और वास्तुकला की अहम पहचान मानी जाती हैं. आदेश में अदालत ने न केवल सोने की कमी बल्कि प्रशासनिक लापरवाही पर भी सख्ती दिखाई. कोर्ट ने कहा कि इतनी कीमती वस्तुएं ‘लापरवाही से एक निजी प्रायोजक को सौंप दी गईं.’
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