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मध्य प्रदेश में थाने के अंदर पत्रकार और रंगकर्मियों को नंगा करने का मामला क्या है?

सोशल मीडिया पर मध्यप्रदेश के सीधी की एक फोटो वायरल है जिसमें एक पत्रकार और कुछ रंगकर्मी थाने के अंदर बिना कपड़ों के खड़े हैं. इन लोगों का आरोप है कि स्थानीय विधायक के कहने पर पुलिस ने कोतवाली के अंदर उनकी पिटाई की और दुर्व्यवहार किया.

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 Sidhi Police Journalist
सीधी पुलिस की हिरासत में बिना कपड़ों के खड़े पत्रकार और रंगकर्मियों की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल है.
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लल्लनटॉप
7 अप्रैल 2022 (Updated: 15 जून 2022, 06:51 PM IST) कॉमेंट्स
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सोशल मीडिया पर वायरल ये तस्वीर मध्य प्रदेश के सीधी जिले की है. कायदे से पता बताएं तो सीधी के जिला कोतवाली की है. बिना कपड़ों के हाथ बांधे खड़े ये लोग पुलिस की हिरासत में हैं. इनमें सबसे किनारे बाईं ओर खड़े शख्स का नाम कनिष्क तिवारी है. कनिष्क एक राष्ट्रीय हिंदी न्यूज चैनल के स्ट्रिंगर हैं. साथ ही 'विन्ध्य टीवी' नाम से अपना यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं. इनके साथ में खड़े लोग रंगमंच यानी थिएटर का काम करते हैं. इंद्रावती नाट्य समिति से जुड़े हुए हैं. इन सभी का आरोप है कि स्थानीय विधायक के कहने पर पुलिस ने कोतवाली के अंदर उनकी पिटाई की और दुर्व्यवहार किया.

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These are bare body journalists standing in the police station, their crime is to run news against the BJP MLA of Madhya Pradesh. Everyone’s number will come!

View attached media content

- Rohit agarwal (@rohitagarwal85) 7 Apr 2022

 

क्या है पूरा मामला?

2 अप्रैल 2022. सीधी पुलिस ने रंगकर्मी और इंद्रावती नाट्य समिति के निदेशक नीरज कुंदेर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. नीरज पर फेक फेसबुक आईडी बनाकर बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला और उनके बेटे गुरुदत्त शुक्ला के बारे में अभद्र टिप्पणी करने का आरोप था. उन पर हुई कार्रवाई के बाद नाट्य समिति से जुड़े लोग कोतवाली पहुंच कर प्रदर्शन करने लगे. नाट्य समिति से जुड़े रंगकर्मी रोशनी प्रसाद मिश्रा ने लल्लनटॉप को बताया,

"कोई एक अनुराग मिश्रा नाम से फर्जी आईडी है. जो बघेली भाषा में विधायक जी के ऊपर टिप्पणी करता रहता है. उनको शंका हुई कि इसके पीछे नीरज है तो उन्होंने पुलिस पर दबाव बनाकर उसे उठवा लिया. जिसके बाद हम लोग कोतवाली के सामने धरने पर बैठ गए. उसी में कुछ बाहरी लोग भी आ गए जो मुख्यमंत्री के खिलाफ नारे लगाने लगे. जिसके बाद उन्होंने हम सबको पकड़कर अंदर बंद कर दिया. वहां सबके कपड़े उतरवा दिए और मारपीट भी की.

एक पत्रकार भी थे वहां पर कनिष्क तिवारी. उनके साथ भी मारपीट की गई. उनको अलग कमरे में ले जाकर भी मारपीट की गई. उनका वीडियो बनाकर शेयर किया गया. नीरज का मोबाइल पुलिस ने 2 तारीख को ही ले लिया था. नीरज जेल में था. इसके बावजूद उस आईडी से पोस्ट आई. नीरज इन सबके पीछे है इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं है. हम कह रहे हैं कि अगर आपके पास सबूत है तो आप उजागर करिए. लेकिन वे (पुलिस) ऐसा नहीं कर रहे."

वायरल फोटो में दिख रहे जिन पत्रकार कनिष्क शुक्ला के साथ मारपीट की गई उन्होंने इसके लिए सीधे विधायक को जिम्मेदार बताया. लल्लनटॉप से बात करते हुए उन्होंने कहा,

"मैं मामला कवर करने गया था. मैं यहीं का हूं इसलिए यहां के मुद्दे उठाता रहता हूं. मेरे यूट्यूब चैनल पर 1 लाख 70 हजार लोग जुड़े हुए हैं. मेरी कई खबरें ऐसी हैं, जिनसे उनको लगता है कि ये मेरे खिलाफ खबरें करते हैं. उस दिन मैं वहां थाना प्रभारी से बात कर रहा था. ये लोग आवेदन लिखकर लाए थे तो सबने सिग्नेचर किया तो मैंने कहा कि आप इसे भी ले लीजिए. तब तक नीचे बैठे लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी. इसके बाद थाना प्रभारी के पास विधायक का फोन आता है और वो बिल्कुल आक्रामक हो जाता है. जबकि कोई सार्वजनिक रास्ते पर नहीं बैठा था. सबको लेकर गए और मारपीट की. कपड़े उतरवाकर मारपीट की.

थाना प्रभारी मुझे अलग कमरे में ले गए और कहा कि विधायक के खिलाफ क्यों खबरें चलाते हो, मेरे खिलाफ क्यों खबर चलाते हो? विधायक के लोगों ने हमारी फोटो खींची. हमारे पूरे कपड़े उतरवा दिए थे. एक-एक व्यक्ति को मारा जा रहा था. दो-तीन लोगों के साथ काफी मारपीट की गई. जो लोग हिरासत में थे उनमें से एक ऐसा व्यक्ति था जो किडनी का मरीज था. उसे भी बंद किया गया था. रात भर हमें लॉक-अप में रखा गया. अगले दिन शाम को 6 बजे हमें छोड़ा गया."

वहीं दूसरी तरफ विधायक केदारनाथ शुक्ला के बेटे गुरुदत्त शुक्ला ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. लल्लनटॉप से बात करते हुए गुरुदत्त ने बताया कि उन्होंने 2-3 महीने पहले पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने कहा,

"एक अनुराग मिश्रा नाम की आईडी से लगातार मेरे पिताजी, मेरे, मेरी बहन और जीजाजी के विरुद्ध टिप्पणी की जा रही थी और आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग कर रहे थे. जिसके बाद मैंने पुलिस-प्रशासन को लिखित शिकायत दी थी. साइबर सेल ने तीन महीने तक जांच की और फेसबुक की ओर से मिली जानकारी के बाद कार्रवाई की. एकदम सटीक तो नहीं ध्यान है मुझे, लेकिन 2-3 महीने पहले मैंने शिकायत की थी. पुलिस की जांच में ये पता चला कि नीरज कुंदेर ही ये आईडी चलाते हैं और उनका नंबर रजिस्टर था."

सोशल मीडिया पर फोटो वायरल होने के बाद ये सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर एक पत्रकार और रंगकर्मियों ने ऐसा कौन सा संगीन जुर्म कर दिया कि उनको थाने में नंगा करके रखा गया है? इस सवाल के जवाब में एसपी मुकेश श्रीवास्तव इसे प्रोसेस का हिस्सा बताते हैं. हालांकि वे कहते हैं कि थाने के अंदर की फोटो वायरल कैसे हुई और फोटो किसने खींची, इसकी जांच की जाएगी. लल्लनटॉप से बात करते हुए उन्होंने कहा,

इसमें वस्तुस्थिति ये है कि एक फर्जी फेसबुक आईडी से यहां के जनप्रतिनिधि और उनके पुत्र के खिलाफ अनर्गल बातें लिखी थीं. उसमें जांच और फेसबुक से मिली जानकारी के बाद एक अपराध पंजीकृत व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद कनिष्क तिवारी और 9-10 लोगों ने थाने के बाहर नारेबाजी और अनर्गल बातें कीं. इसके बाद इन्हें भी अरेस्ट किया गया था और पुलिस अभिरक्षा में रखा गया था.

इसमें चूंकि फोटो वायरल हुई है तो हमने अलग से एक जांच आदेशित की है कि ये वायरल कैसे हुई... बाकी जो भी इसमें विभाग और मानवाधिकार के नियम होते हैं उनके हिसाब से कार्रवाई की जाएगी. कई बार लोग फांसी वगैरह लगा लेते हैं. कुछ लोग और एक्शन ले लेते हैं अगर उनकी प्रॉपर तलाशी ना हो. उससे समस्या खड़ी होती है. जो फोटो वायरल हुई है ये नहीं होनी चाहिए थी.

एसपी मुकेश श्रीवास्तव ने कहा कि फोटो वायरल नहीं होनी चाहिए थी. उनका कहना है कि पुलिस इस बात का पूरा ध्यान रखती है कि किसी भी व्यक्ति का 'असम्मान' ना हो.

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