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चार लोगों को मारने से पहले चेतन ने ट्रेन में क्या-क्या किया था, साथी कॉन्सटेबल ने सब बता दिया

चेतन किसी की बात नहीं सुन रहा था. इस कारण ASI ने हमारे इंस्पेक्टर हरिश्चंद्र को फोन किया. उन्होंने मुंबई सेंट्रल कंट्रोल को इस बारे में बताने के लिए कहा.

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FIR registered in Jaipur Mumbai Express firing case in which 4 people got kill including an ASI Teekaram Meena.
जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस में फायरिंग के मामले में FIR दर्ज़ हो गई है. (फोटो क्रेडिट - एएनआई)
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प्रज्ञा
1 अगस्त 2023 (Updated: 1 अगस्त 2023, 02:19 PM IST) कॉमेंट्स
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जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस हत्याकांड मामले में FIR दर्ज हो गई है. इंडिया टुडे से जुड़े सौरभ वक्तानिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें RPF के एक जवान अमय घनश्याम ने अपना बयान दिया है. 26 साल के अमय ने बताया कि रेलवे सुरक्षा बल (RPF) में कुछ जवानों की मेल पैसेंजर ट्रेनों में एस्कॉर्ट के रूप में नियुक्ति होती है.

अमय बताते हैं कि 28 जुलाई को उनकी ड्यूटी सौराष्ट्र मेल में लगी थी. उनके साथ ASI टीकाराम मीणा, हवलदार नरेंद्र परमार और चेतन सिंह को भी नियुक्त किया गया. ये ट्रेन मुंबई सेंट्रल से रात 9 बजकर 5 मिनट पर निकली. हम इसी रात सूरत पहुंचे. यहां से वापस जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस ट्रेन से मुंबई के लिए निकले.

अमय कहते हैं ये हमारा हमेशा का सफर होता है. लगभग एक हफ्ते यही चलता है. उन्होंने बताया,

"30 जुलाई को भी पहले की तरह हमारी टीम रात 9 बजकर 5 मिनट पर सौराष्ट्र मेल से निकली. कॉन्स्टेबल चेतन सिंह और मेरे पास 20 राउंड वाली ARM राइफल थीं. वहीं ASI टीकाराम मीणा और हेड कॉन्स्टेबल नरेंद्र परमार के पास 10 राउंड वाली पिस्तौल थीं."

‘टीकाराम मीणा के साथ थी चेतन सिंह की ड्यूटी’

अमय ने बताया कि वे देर रात 1 बजकर 11 मिनट पर सूरत पहुंचे. यहां से 2 बजकर 53 मिनट पर जयपुर-मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस से वापस मुबंई की तरफ जा रहे थे. इस ट्रेन में ASI टीकाराम मीणा और कॉन्स्टेबल चेनत की ड्यूटी एसी कोच में थी. अमय और हेड कॉन्स्टेबल नरेंद्र परमार स्लीपर कोच में तैनात थे. वो आगे कहते हैं,

"ट्रेन छूटने के आधे घंटे बाद मैं B2 कोच में ASI से मिला. उनके साथ चेतन और तीन टीसी भी थे. तब टीकाराम मीणा ने मुझे बताया कि चेतन की तबीयत ठीक नहीं है. वो वलसाड स्टेशन पर उतरना चाहता है. मैंने चेतन को छूकर देखा कि उसे बुखार है या नहीं. तब मुझे पता नहीं चला कि उसे बुखार है. ASI उसे समझा रहे थे कि दो-तीन घंटे की ड्यूटी बाकी है. वो मुंबई तक ट्रेन में ही आराम कर ले."

अमय ने कहा कि चेतन किसी की बात नहीं सुन रहा था. इस कारण ASI ने हमारे इंस्पेक्टर हरिश्चंद्र को फोन किया. उन्होंने मुंबई सेंट्रल कंट्रोल को इस बारे में बताने के लिए कहा. फिर ASI ने कंट्रोल में फोन किया. वहां से कहा गया कि चेतन को यही कहा जाए कि कुछ ही देर की ड्यूटी बाकी है. उसके खत्म होने तक ट्रेन में ही आराम कर ले.

‘किसी की बात नहीं सुन रहा था चेतन’

अमय ने बताया कि ASI टीकाराम मीणा ने चेतन को समझाया. वो फिर भी नहीं सुन रहा था. उसने कहा कि वो कंट्रोल से बात करना चाहता है. फिर उसकी बात सहायक सुरक्षा आयुक्त (ASC) सुजीत कुमार पांडे से कराई गई. अमय ने कहा,

"चेतन किसी की बात नहीं सुन रहा था. ASI के कहने पर मैं उसके लिए कोल्ड ड्रिंक लाया, लेकिन उसने नहीं पी. तब ASI ने कहा कि मैं उसकी राइफल ले लूं और उसे आराम करने दूं. मैं चेतन सिंह को B4 कोच में ले गया. वहां एक खाली सीट पर उसे लेटने के लिए कहा. मैंने उसकी राइफल ले ली. और बगल वाली सीट पर बैठ गया."

अमय ने आगे कहा,

"चेतन ज़्यादा देर तक सोया नहीं. 10-15 मिनट में ही उठकर बैठ गया. उसने मुझसे अपनी राइफल मांगी. मेरे मना करने पर वो मुझसे झगड़ने लगा. वो बहुत गुस्से में आ गया था. राइफल नहीं देने पर वो मेरा गला दबाने लगा. उसने मेरे हाथ से राइफल छीन ली. और वहां से चला गया."

‘चेतन को समझाने की बहुत कोशिश हुई’

अमय के अनुसार, चेतन के जाने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि उसने गलती से अमय की राइफल ले ली है. उन्होंने तुरंत ASC सुजीत कुमार को फोन कर इस बारे में बताया. उनके कहने पर अमय ने टीम प्रभारी ASI टीकाराम मीणा को सब बताया. फिर दोनों ने चेतन से जाकर बात की, तो उसने अमय की राइफल लौटा दी. और अपनी राइफल ले ली.

अमय ने कहा,

"राइफल लेने के बाद भी चेतन गुस्से में था. टीकाराम मीणा उसे समझाने की कोशिश कर रहे थे. वो लगातार उनसे बहस कर रहा था. वो हममें से किसी की बात नहीं सुन रहा था. तो मैं भी वहां से चला गया. जब मैं जा रहा था तो मैंने देखा कि चेतन अपनी राइफल का सेफ्टी कैच निकाल रहा है. मुझे लगा कि वो फायरिंग कर सकता है. मैंने तुरंत ASI टीकाराम मीणा को बताया. उन्होंने फिर से चेतन को समझाने की कोशिश की. मैं वहां से निकलकर पैंट्री कार की ओर चला गया. इस समय सुबह के 5 बज रहे थे"

अमय ने अपने बयान में आगे कहा,

"करीब आधे घंटे बाद 5 बजकर 25 मिनट पर ट्रेन वैतरना स्टेशन के पास पहुंची. इसी समय RPF के मेरे ही बैच के कॉन्स्टेबल कुलदीप राठौड़ ने मुझे फोन किया. उन्होंने बताया कि मेरी टीम के प्रभारी ASI पर गोली चली है. मैंने तुरंत हेड कॉन्स्टेबल नरेंद्र कुमार को बताया. वो B5 कोच की तरफ निकला. तभी सामने से दो-तीन यात्री दौड़ते हुए आए. वे बेहद डरे हुए थे. उन्होंने बताया कि चेतन ने ही टीकाराम मीणा पर गोली चलाई है. मैंने नरेंद्र को फोन कर पूछा कि क्या वो ठीक है? उसके बाद कंट्रोल को पूरी जानकारी दी."

'ट्रेन से निकलने के बाद भी गोली चलाता रहा चेतन'

अमय ने बताया कि वे भी B5 कोच की तरफ भागे. जब वो B1 कोच में चढ़ रहे थे तो उन्हें चेतन आते हुए दिखा. उसके हाथ में राइफल थी. वो डर गए कि कहीं चेतन उन पर भी गोली न चला दे. वो पीछे मुड़कर स्लीपर कोच में ही रुक गए. इसके 10 मिनट बाद किसी ने चेन खींचकर ट्रेन रोकी. तब ट्रेन मीरा रोड और दहिसर स्टेशन के बीच थी. बाहर देखने पर उन्हें चेतन भागते हुए नज़र आया.

अमय ने आगे कहा,

"उसके हाथ में अभी भी राइफल थी. वो फायरिंग की पोजीशन में था. मैंने कोच में यात्रियों से खिड़कियां बंद करने और नीचे झुकने को कहा. मैं बाहर देख रहा था कि चेतन क्या कर रहा है. वो अपनी राइफल तान कर खड़ा था. बीच-बीच में फायरिंग भी कर रहा था. मैंने गोलीबारी की कुछ आवाजें सुनीं. थोड़ी देर के लिए मैं बाथरूम में छिप गया. जब मैं बाहर आया तो चेतन सिंह को मीरारोड रेलवे स्टेशन की ओर ट्रैक पर चलते देखा."

अमय ने बताया करीब 15 मिनट बाद ट्रेन दोबारा चली. वे स्लीपर के कोच नंबर 5 या 6 में थे, तो उन्होंने देखा कि एक यात्री लहूलुहान नीचे पड़ा हुआ है. पैंट्री में भी एक यात्री ऐसी ही पड़ा हुआ था. ट्रेन 6:20 के करीब बोरीवली स्टेशन पर रुकी. तब बोरीवली रेलवे पुलिस ने RPF के साथ मिलकर घायलों को प्लेटफार्म पर उतारा. लेकिन चारों की मौत हो चुकी थी. 

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