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फिलिस्तीन के पास अब बस 10 दिन? इजरायल का ये प्लान भूखा मार देगा

न्यूज़ रपटों से पता चल रहा है कि इस क्षेत्र में मानवीय सहायता को बंद करने की योजना है. तर्क तो यही दिया जा रहा है कि इरादा हमास के उग्रवादियों को भूखा मारने का है. मगर इससे सैकड़ों-हज़ारों फ़िलिस्तीनी बिना भोजन या पानी के फंस सकते हैं.

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israel pm benjamin netanyahu
इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू. (फ़ोटो - रॉयटर्स)
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सोम शेखर
14 अक्तूबर 2024 (Updated: 14 अक्तूबर 2024, 08:44 PM IST)
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इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उत्तरी ग़ाज़ा में वो सैन्य अभियान तेज़ और उग्र करने जा रहे हैं. इज़रायल की सेना (IDF) रहवासियों से इलाक़े खाली करने और दक्षिण की ओर जाने के लिए कह रही है. न्यूज़ रपटों से पता चल रहा है कि इस क्षेत्र में मानवीय सहायता को बंद करने की योजना है. तर्क तो यही दिया जा रहा है कि इरादा हमास के उग्रवादियों को भूखा मारने का है. मगर इससे सैकड़ों-हज़ारों फ़िलिस्तीनी बिना भोजन या पानी के फंस सकते हैं.

असोसिएटेड प्रेस ने छापा है कि यह योजना देश के रिटायर्ड जनरलों ने बनाई है. उन्होंने ही नेतन्याहू और इज़रायली संसद को रिपोर्ट सौंपी है. इसके मुताबिक़, उत्तरी ग़ाज़ा को ‘क्लोज़्ड मिलिट्री एरिया’ घोषित कर दिया जाएगा. क्षेत्र ख़ाली करने के लिए एक हफ़्ते का समय मिलेगा. जो लोग नहीं जाएंगे, उन्हें लड़ाका माना जाएगा. सैन्य नियमों के तहत ये सैनिकों को उन्हें मारने की अनुमति देता है. उन्हें खाना, पानी, दवा और ईंधन जैसी ज़रूरी सप्लाई से वंचित करता है.

जनरलों का प्लान

इस योजना को 'जनरल की योजना' (Generals' Plan) कहा जा रहा है. इसे हमास के नेतृत्व को ख़त्म करने और आम जनता पर उनकी पकड़ को तोड़ने के इरादे से बनाया गया है. इस योजना के मास्टरमाइंड हैं, जियोरा एलैंड. पहले राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रमुख थे. उनका मानना ​​है कि साल भर से चल रहे युद्ध को ख़त्म करने और हमास के पास जो इज़रायली बंधक बचे हैं, उनको रिहा करने का यह एकमात्र तरीक़ा है. उन्होंने BBC से कहा,

चूंकि हमने पिछले नौ या दस महीनों में ग़ाज़ा के उत्तरी हिस्से को घेर लिया है, इसलिए हमें सभी तीन लाख निवासियों से कहना चाहिए कि जो अभी भी ग़ाज़ा के उत्तरी हिस्से में रहते हैं, उन्हें यह क्षेत्र छोड़ना होगा. उन्हें निकालने के लिए इज़रायल सुरक्षित रास्ते देगा. दस दिन के समय में जो निकल गया, सो निकल गया. उसके बाद यह पूरा क्षेत्र एक सैन्य क्षेत्र बन जाएगा. सभी बचे हुए हमास लड़ाकों या नागरिकों के पास दो ही विकल्प होंगे: या तो आत्मसमर्पण करें या भूख से मरें.

जियोरा एलैंड ने प्लान तो बना लिया है. मगर जो संख्या वो बता रहे हैं, वो संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार लगभग चार लाख है.

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प्रस्ताव के बावजूद, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इज़रायल की सरकार इस कथित जनरल्स प्लान को अपनाएगी या नहीं. AP ने इज़रायली सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल नादव शोशनी से जब इस बारे में पूछा, तो उन्होंने इससे इनकार किया. हालांकि, एक दूसरे अधिकारी ने AP को बताया कि योजना लागू की जा चुकी है. कुछ हिस्सों में काम शुरू है.

एक और अधिकारी ने पुष्टि की है कि नेतन्याहू ने योजना की समीक्षा की थी. लेकिन इस बात का कोई संकेत नहीं दिया कि इसे मंज़ूरी दी गई है या नहीं. हालांकि, ऐसा लगता है कि इज़रायल पहले से ही उत्तरी ग़ाज़ा पर शिकंजा कस रहा है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़, इस महीने खाना-पानी या दवा ले जाने वाले किसी भी ट्रक ने इस क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया है.

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