नमाज पढ़ रहे थे शरणार्थी, इजरायल ने गिरा दिया बम, 100 से ज्यादा लोगों की जान ले ली
Israel Army ने Gaza City के एक स्कूल पर हवाई हमला किया है. जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. और दर्जनों लोग घायल हुए हैं.
गाजा के एक स्कूल पर इजरायली सेना (Israel airstrike) के हमले में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. और दर्जनों लोग घायल हुए हैं. गाजा के इस स्कूल में विस्थापित फिलिस्तीनी नागरिकों ने शरण ले रखी थी. हमास के मीडिया कार्यालय ने एक बयान जारी कर बताया है कि ये हमला गाजा सिटी के दराज तुफाह इलाके में स्थित अल ताबाईन स्कूल पर हुआ. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ये हमला तब हुआ, जब शरणार्थी सुबह की नमाज अदा कर रहे थे. जिसके चलते बड़ी संख्या में लोग मारे गए. बयान में आगे बताया गया कि मेडिकल टीम शवों को निकालने की कोशिश कर रही है.
उधर, इज़रायली सेना ने भी शनिवार को स्कूल पर हमला करने की बात को माना है. उसका कहना है कि ये हवाई हमला हमास के एक कमांड सेंटर को टारगेट करके किया गया था. इसमें आतंकवादी छिपकर हमले की योजना बना रहे थे. सेना ने ये भी कहा कि विस्थापित लोगों का कैंप हमले की जगह से बिल्कुल सटा हुआ था और एक मस्जिद में स्थित था.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली सेना ने आगे बताया कि उसने इस ऑपरेशन के लिए हवाई निगरानी, खुफिया जानकारी और सटीक हथियारों का इस्तेमाल किया ताकि आम नागरिकों को कम से कम नुकसान पहुंचे. इजरायली सेना ने गाजा में मरने वालों की संख्या पर तुरंत कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया.
गाजा में इजरायल के सैन्य अभियान का मकसद हमास को खत्म करना है. इस इस्लामी समूह के लड़ाकों ने 7 अक्तूबर को दक्षिणी इजरायल में हमला किया था. जिसमें 1200 से ज्यादा लोग मारे गए थे. और 250 से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया गया था. इनमें अधिकतर आम नागरिक थे.
फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायल में गाजा के हमले के बाद से अब तक गाजा में इजरायली हमले में 40,000 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं. इसमें आम नागरिक और हमास के लड़ाके दोनों शामिल हैं. फिलिस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, इजरायली हमले में ज्यादातर आम नागरिक मारे गए हैं. वहीं इजरायल का मानना है कि उसके हमले में कम से कम एक तिहाई फिलीस्तीनी लड़ाके मारे गए हैं.
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संयुक्त राज्य अमेरिका, मिस्र और कतर गाजा में गाजा और इजरायल के बीच फिर से सीजफायर लागू कराने की कोशिशों में लगे हैं. 15 अगस्त को इसके लिए बातचीत का एक नया दौर निर्धारित किया गया है. क्योंकि ईरान और उसके लेबनानी सहयोगी हिजबुल्लाह के एक्टिव होने के चलते मिडिल ईस्ट में एक व्यापक संघर्ष की आशंका बढ़ रही है. ईरान, हमास का भी समर्थन करता है.
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