मैं पूछूंगा- 'आपने वो फाइल देखी', आप कहना- 'जिंदगी में नहीं देखी'
इशरत केस के गायब कागजों की जांच कर रहे राजनाथ के अधिकारी की रिकॉर्डिंग. गवाहों को खुद ही कोचिंग दे रहे थे कि ये बोलना तो फायदे में रहोगे.
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इशरत जहां
के कुछ कागज गायब हो गए थे. इसकी जांच टीम के चीफ हैं होम मिनिस्ट्री के एडिशनल सेक्रेटरी बीके प्रसाद. लेकिन बताया जा रहा है कि वो गवाहों को पहले ही फोन पर ट्रेनिंग देते हुए पकड़े गए हैं. होम मिनिस्ट्री के पूर्व डायरेक्टर से कह रहे थे, 'मैं आपसे पूछूंगा कि आपने ये पेपर देखा? आपको कहना है कि मैंने ये पेपर नहीं देखा. सीधी सी बात है.'
अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने यह खबर दी है. अखबार का दावा है कि उनके पास इसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग भी है. बीके प्रसाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अंडर काम करते हैं. उनके मंत्रालय ने अपनी जांच में पाया कि वे कागज यूपीए के होम मिनिस्टर पी चिदंबरम के समय गायब हुए थे. एक न्यूज चैनल ने अपने सूत्रों के हवाले से कहा है कि गायब कागजों की जवाबदेही तय करने के लिए सीबीआई जांच भी करवाई जा सकती है. 52 पेज की जांच रिपोर्ट बीके प्रसाद ने बुधवार को ही होम मिनिस्ट्री को सौंपी है. बताया जा रहा है कि इसमें मिसिंग पेपर्स के बारे में कोई निष्कर्ष नहीं दिया गया है.
लेकिन यही बीके प्रसाद अब कथित तौर पर पक्षपातपूर्ण जांच करते पकड़े गए हैं. उन्होंने गवाह को फोन पर बता दिया कि वे उससे कौन से सवाल पूछेंगे और यह भी बता दिया कि उसे जवाब क्या देना है. जवाब है, 'नहीं मैंने वो कागज नहीं देखे.'
इस खुलासे से उस जांच पर सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं, जिसका ऐलान गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 10 मार्च को लोकसभा में किया था. जांच का मकसद यूपीए सरकार के दूसरे एफिडेविट के समय हालात को चिह्नित करना था. दूसरे एफिडेविट में कहा गया था कि इशरत के लश्कर-ए-तैयबा से लिंक
के पर्याप्त सबूत नहीं मिले. इशरत जहां 19 साल की वह लड़की थी जिस पर आतंकी होने का शक था और इस आधार पर गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 15 जून 2004 को उसका और उसके तीन साथियों का एनकाउंटर कर दिया था.

एनकाउंटर के बाद की तस्वीर.
ये रिकॉर्डिंग गलती से हुई, प्रसाद जी बहुत पछता रहे होंगे
25 अप्रैल को दोपहर बाद करीब पौने चार बजे 'इंडियन एक्सप्रेस' ने बीके प्रसाद को फोन किया. बात किसी और केस पर करनी थी. कि चाइना के डेमोक्रेसी एक्टिविस्ट डोल्कुन ईजा को सरकार ने वीजा देने से मना क्यों कर दिया? एक्युरेसी मेंटेन करने के लिए रिपोर्टर इस बातचीत को रिकॉर्ड कर रहे थे. इसी दौरान प्रसाद ने रिपोर्टर को होल्ड पर रहने को कहा और दूसरे फोन पर किसी से बात करने लगे. यह बातचीत इशरत जहां केस की गायब फाइलों के बारे में थी.
बीके प्रसाद.
प्रसाद की बातचीत से साफ था कि वो एक ऐसे अधिकारी से बात कर रहे थे जिसे मामले में अगले दिन अपनी गवाही देनी थी. बाद में अखबार ने पता किया तो पता चला कि प्रसाद अशोक कुमार से बात कर रहे थे जो यूपीए के समय गृह मंत्रालय में डायरेक्टर रहे थे. 1 मार्च 2011 से 23 दिसंबर 2011 तक अशोक कुमार होम मिनिस्ट्री में इंटरनल सिक्योरिटी डिवीजन के डायरेक्टर थे. यही विभाग इशरत जहां केस को डील कर रहा था. इस वक्त अशोक कुमार संसद के हिंदी विभाग में जॉइंट सेक्रेटरी हैं और कोर्ट केसों की मॉनिटरिंग के नोडल ऑफिसर भी हैं.
प्रसाद गायब कागजों की जांच के मुखिया थे. अशोक कुमार गवाह थे. लेकिन प्रसाद ने उन्हें वे सवाल बता दिए जो उनसे अगली सुबह पूछे जाने थे और उसके जवाब देने को कहा.
बीके प्रसाद अशोक कुमार से क्या कहते पकड़े गए:
''मैं आपसे पूछूंगा कि आपने ये पेपर देखा? आपको कहना है कि मैंने ये पेपर नहीं देखा. सीधी सी बात है.''प्रसाद कहते हैं कि आप कुछ और जवाब देंगे तो बात आप पर भी आएगी कि कागजों के गुम होने मे आपका भी रोल था.
''आपको इतना तो कहना होगा कि या तो वो फाइल ही मैंने कभी जिंदगी में डील नहीं की, कभी फाइल को देखने का भी मौका नहीं मिला. ''अखबार ने यह खबर छापने से पहले अशोक कुमार को फोन करके खबर कंफर्म करनी चाही. अशोक कुमार ने माना कि जांच के सिलसिले में बीके प्रसाद ने फोन किया था लेकिन डिटेल बताने से इनकार कर दिया.
"और एक सवाल होगा, क्या आपको किसी ने ये कागज अलग से रखने के लिए दिए? आप बोलोगे, नहीं मेरे को किसी ने नहीं दिया."
प्रसाद की सफाई भी सुन लें
अखबार ने बीके प्रसाद से भी ईमेल के जरिये बात की. उन्होंने कहा कि आप बातचीत 25 अप्रैल की बता रहे हैं और उस दिन और उसके बाद मैंने जिन अधिकारियों से पूछताछ की है उनमें से किसी ने जवाब के तौर पर 'मैंने वो पेपर नहीं देखे' नहीं कहा. हां, जांच के लिए मैंने इनमें से कुछ अधिकारियों को फोन किया था. निजी तौर पर रिक्वेस्ट करने के लिए कि वे पूछताछ के लिए आएं, ऐसे दिन और समय पर जो हमारे और उनके दोनों के लिए मुफीद हो. मैंने फ्री और फेयर एनक्वायरी की है और सारे गवाहों को अपनी बात रखने का मौका दिया गया है.बीके प्रसाद 1983 बैच के तमिलनाडु कैडर के IAS अफसर हैं. 31 मई को वह रिटायर हो रहे थे लेकिन उनका कार्यकाल दो महीने के लिए बढ़ा दिया गया.