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एक बार फिर दोहराया जाएगा शाह बानो केस?

1985 में सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो के लिए इस्लाम के कानून के खिलाफ फैसला सुना दिया था. आज एक और मुसलमान औरत ट्रिपल तलाक का शिकार हो कोर्ट पहुंची है.

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Symbolic Image. Source: Reuters
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प्रतीक्षा पीपी
2 जून 2016 (Updated: 2 जून 2016, 01:04 PM IST) कॉमेंट्स
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एक सीधी-साधी, छोटे शहर की मिडिल क्लास मुसलमान औरत का पति एक दिन उसे तलाक दे देता है. ये औरत अपने 15 साल के शादीशुदा जीवन में पहले ही बहुत कुछ सह चुकी थी. और अब उसकी मर्ज़ी के बगैर उसे तलाक दे दिया जाए, ये उसे बर्दाश्त नहीं हुआ. 37 साल की शायरा कोर्ट जा पहुंची. और सिर्फ अपनी फ़रियाद लेकर नहीं. बल्कि इस मांग के साथ कि ट्रिपल तलाक का सिस्टम ख़त्म कर दिया जाए. शायरा की शादी को 15 साल हो चुके हैं. शादी के तुरंत बाद ही उन्हें दहेज़ के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया गया. शायरा के दो बच्चे हुए. लेकिन उसके बाद भी वो प्रेगनेंट होती रही. और उसका पति बिना उसकी मर्ज़ी से उसका अबॉर्शन करवाता रहा. लेकिन अपना घर, अपने रिश्ते, और खानदान का मां बचाने के लिए उसने कभी कोई शिकायत नहीं की. जब इंडिया टुडे की संवाददाता महा सिद्दीकी ने शायरा की मां पूछा, कि उनकी बेटी ने अपनी तरफ से तलाक क्यों नहीं मांगा, मां ने कहा कि उन्हें अंदाजा ही नहीं था कि उनकी बेटी की हालत इतनी खराब है.
शायरा की मां फिरोजा बानो कहती हैं कि उन्हें डर था कि अगर शादी टूट गई तो परिवार की बदनामी होगी. "शायरा का पति हमेशा कहता कि वो तलाक़ ले लेगा. पर हम बहुत सीधे-साधे लोग हैं. अपनी बेटी की शादी को बचाए रखना चाहते थे.
शायरा बीमार थी. अपने मायके गई हुई थी जो उत्तराखंड के काशीपुर में है. उसका कहना है कि उससे झूठ कहकर उसे एक डाक भेजी गई. उसके पति ने उसे फ़ोन कर कहा कि वो प्रॉपर्टी के कागज़ भेज रहा है. और शयारा को ये डाक रिसीव करनी ही पड़ेगी. शायर ने जब लिफाफा खोला तो पाया कि उसमें तलाकनामा है. और इस तरह 15 साल की शादी कुछ मिनटों में ख़त्म हो गई. शायरा ने सोशियोलॉजी में एमए किया है. लेकिन आज तक कभी नौकरी नहीं की. हमेशा अपने पति पर निर्भर रही. और तलाक के वक़्त उसे महज 16 हजार रूपये का मेहर दे कर टालना चाहा. जसके खिलाफ शायरा आज कोर्ट में जा पहुंची है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शायरा के खिलाफ इस्लाम के नियम तोड़ने के आरोप में केस फाइल कर दिया है इधर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्य कमाल फारूकी का कहना है,
इस्लाम से कानून को एक केस के लिए नहीं तोड़ा जा सकता. आज तलाक़ के कानून में बदलाव मांग रहे हैं. कल कहेंगे प्रॉपर्टी के लिए बने कानून बदलो. ये बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
शायरा का केस सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग पड़ा है. और इधर ट्रिपल तलाक के खिलाफ चल रही मुहिम में 50 हजार दस्तखत हो चुके हैं. आने वाला समय शायरा के लिए मुश्किल हो सकता है. लेकिन इसी देश में एक शाह बानो भी हुई थी जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट के इस्लाम के कानून को नजरअंदाज कर दिया था. पढ़िए: मुस्लिमों के ट्रिपल 'तलाक़' के खिलाफ उतरेगा RSS का मुस्लिम विंग

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