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अब काहे का डर जब साथ है आपके 9 नंबर

अब तक यहां हर इमरजेंसी के लिए सिर्फ एक खंभा है. 100 नंबर. उसी पर सिर पटक लेते हैं

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आशुतोष चचा
30 दिसंबर 2015 (Updated: 30 दिसंबर 2015, 06:20 AM IST) कॉमेंट्स
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हॉलीवुड की पिच्चर देखे हो न. हिरोइन के घर की छत पर धपाक से कुछ गिरता है तो क्या होता है. वो दौड़ के चोंगा वाले फोन से 911 डायल करती है कि नहीं. वो अंग्रेजी वाला 911 है. वैसी सर्विस अब इंडिया में भी आने वाली है. लेकिन इसमें सिर्फ 9 से काम चल जाएगा. अब तक यहां हर इमरजेंसी के लिए सिर्फ एक खंभा है. 100 नंबर. उसी पर सिर पटक लेते हैं. ये नंबर पुलिस का है. कुछ पक्का नहीं है कि उठेगा भी कि नहीं. इमरजेंसी के लिए कोई भरोसेमंद नंबर तो होना ही चाहिए था. इसका आइडिया पेश किया था मेनका गांधी ने. वो इस वक्त देश की महिला और बाल विकास मंत्री हैं. महिलाओं की सिक्योरिटी का ठीक ठाक इंतजाम है नहीं हमारे पास. कामकाजी महिलाओं पर तो अटैक होते ही रहते हैं. घर में भी सुरक्षित नहीं. उस खतरनाक स्थिति में हेल्प लेने के लिए एक इमरजेंसी नंबर लांच करना बहुत जरूरी था. maneka_gandhi पहले तो इस पर कर्री बहस हुई कि फोन में एक्स्ट्रा बटन रखी जाए. कि कोई ऐप ही रख दिया जाए. लेकिन इस डिबेट में जीत 9 नंबर की हुई. 9 नंबर अब पैनिक बटन(डरभुतहा सुने हो न) का काम करेगा. देर तक 9 दबाने पर आपकी लोकेशन ट्रेस हो जाएगी और जल्दी ही हेल्प भी पहुंच जाएगी. सभी सर्विस प्रोवाइडर को ये सुविधा देनी होगी. अगर सब ठीक से चला तो नहीं रहेगा डर. काहे कि पास रहेगा 9 नंबर.

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