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UN ने गांजे को खतरनाक ड्रग्स की लिस्ट से हटा दिया है, इससे क्या फर्क पड़ेगा?

1961 से अफीम, हेरोइन जैसे नशीले पदार्थों की लिस्ट में था गांजा

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भांग या गांजे को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने सख्त पाबंदियां लगा रखी थीं, अब भारत समेत 27 देशों ने इसमें ढील देने का समर्थन किया है. (सांकेतिक तस्वीर)
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4 दिसंबर 2020 (Updated: 4 दिसंबर 2020, 02:41 PM IST) कॉमेंट्स
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संयुक्त राष्ट्र ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. cannabis (गांजा) को सबसे खतरनाक मादक पदार्थों की लिस्ट से हटाने का. भारत ही नहीं, 27 से ज्यादा देशों ने इस सिलसिले में हुई वोटिंग में इसके पक्ष में वोट दिया. पिछले 59 सालों ये सख्त पाबंदियों वाली लिस्ट में था. यूनाइटेड नेशंस यानी UN के इस फैसले का क्या असर होगा, आइए बताते हैं.
1961 से लगी हैं पाबंदियां
संयुक्त राष्ट्र के 1961 में मादक पदार्थों पर हुए अधिवेशन में गांजे को शेड्यूल 4 में शामिल किया गया था. इस लिस्ट में अफीम और हेरोइन जैसे नशीले पदार्थ भी रखे गए हैं. गांजा और चरस दोनों इस लिस्ट में हैं. गांजे को कैनबिस और चरस को कैनबिस रेजिन कहा जाता है. इस लिस्ट में जो चीजें हैं, उन पर काफी सख्त पाबंदियां हैं.
50 से भी ज्यादा देशों में दवा के तौर पर कैनबिस के इस्तेमाल की इजाज़त है. अमेरिका के कुछ राज्यों और कैनडा में इसके आम इस्तेमाल की भी इजाज़त दे दी गई है. कई लोग गांजे को हेल्थ के लिए एक बड़ा खतरा बताते हैं. कुछ इसके मेडिकल बेनिफिट्स की ओर इशारा करते हैं. पिछले दशकों में गांजे को लीगल करने की मांग बढ़ी है. दुनिया के कई हिस्सों में इसे लीगल कर दिया गया है.
भांग या गांजे के मेडिसनल गुणों को देखते हुए लंबे समय से इन पर पाबंदियों में ढील देने की मांग हो रही थी. इसी के मद्देनजर UN के कमीशन ऑफ नारकोटिक ड्रग्स के सालाना सेशन में इस पर वोटिंग कराई गई. 53 देशों ने वोट डाले. एक देश यूक्रेन एब्सेंट रहा. 27 देशों ने कैनबिस को खतरनाक ड्रग्स की लिस्ट में से हटाने के लिए हां में वोट डाले. इनमें भारत के साथ अमेरिका और कई यूरोपियन देश भी शामिल रहे. वहीं, चीन, रूस, पाकिस्तान जैसे 25 देशों ने गांजे पर पाबंदियों में ढील दिए जाने के प्रस्ताव के विरोध में वोट दिया.
वोटिंग के बाद संयुक्त राष्ट्र ने अपने स्टेटमेंट में कहा,
1961 के सिंगल कन्वेंशन ऑन नार्कोटिक ड्रग्स के चौथे शेड्यूल में से कैनबिस को हटाने का निर्णय लिया गया है. इस लिस्ट में कैनबिस बेहद खतरनाक और लत लगाने वाली ड्रग्स जैसे हेरोइन के साथ लिस्टेड थी. 59 सालों से कैनबिस पर सबसे कड़ी पाबंदियां लगी रहीं. इस वजह से इसका इस्तेमाल मेडिकल जरूरतों के लिए भी बेहद कम किया जाता रहा.
अब क्या फर्क पड़ेगा?
सख्त पाबंदियों वाली लिस्ट से गांजे के हटने के फैसले के बाद UN का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गांजे को जिस तरह रेगुलेट और कंट्रोल किया जाता है, उसमें कुछ बदलाव आ सकता है. हालांकि 'इंडियन एक्सप्रेस' में छपी रिपोर्ट कहती है कि अलग-अलग देशों में इससे जुड़े कानूनों में जब तक बदलाव नहीं होगा, तब तक इसे लेकर मौजूद नज़रिए में बदलाव आना मुश्किल है.
भारत में फिलहाल NDPS एक्ट के तहत कैनबिस को रखना, बेचना, यूज करना दंडनीय अपराध है. अब देखना ये है कि UN के साथ इस तरह का स्टैंड लेने के बाद क्या भारत अपने कानून में भी गांजे/चरस को लेकर कोई बदलाव करता है या नहीं.
होता क्या है कैनबिस?
गांजे को दूसरे नामों से भी जाना जाता है, जैसे कि Marijuana (मैरुआना). Weed (वीड). Stuff (स्टफ). माल. Pot (पॉट). Grass (ग्रास). लेकिन ये सब गली-मोहल्ले वाले नाम हैं. इसका साइंटिफिक नाम है Cannabis (कैनेबिस). कैनेबिस एक पौधा होता है. इसकी कई वैराइटी होती हैं, जिनमें से दो नस्ल बहुत फेमस हैं- Cannabis Sativa और Cannabis Indica.
Cann गांजा और चरस का सेवन एक केमिकल रिएक्शन को जन्म देता है, जिससे नशा होता है. (सांकेतिक तस्वीर)


भारत में हज़ारों साल से गांजे का सेवन किया जाता रहा है. अथर्ववेद में इसकी गिनती पांच महान पौधों में है. 1985 से पहले इस पर कोई रोक-टोक नहीं थी. 1985 में राजीव गांधी की सरकार NDPS यानी Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act लेकर आई, तब से गांजे पर बैन है. गांजे के बारे में पूरी जानकारी यहां पढ़ी जा सकती है.

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