नेपाल के पीएम बोले- चीन और इटली से ज्यादा खतरनाक है भारतीय वायरस
भारत से नेपाल के रिश्ते तल्ख हो गए हैं.
Advertisement

नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली (बाएं) और भारत के पीएम नरेंद्र मोदी. (File Photo)
सीमा विवाद के चलते भारत और नेपाल के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है. नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने 19 मई को वहां की संसद में भारत के खिलाफ बयानबाजी की. कोरोना वायरस पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि बाहर से लोगों के आने की वजह से वायरस को कंट्रोल करना मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि भारतीय वायरस अब चीन और इटली की तुलना में ज्यादा घातक लग रहा है.ओली ने कहा कि जो लोग अवैध चैनलों के जरिए भारत से आ रहे हैं, वे देश और कुछ स्थानीय प्रतिनिधियों में वायरस फैला रहे हैं.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा इलाके नेपाल के हैं. और किसी भी कीमत पर वो इन इलाकों को नेपाल के नक्शे में मिलाकर रहेंगे. उन्होंने कहा कि भारत से इस बारे में राजनीतिक और कूटनीतिक दोनों स्तर पर बात की जा रही है.Nepal PM KP Oli in Parliament yesterday, “Indian virus looks more lethal than the one that came from Wuhan (China), Italy and Dubai (UAE)...”@PM_Nepal
— Geeta Mohan گیتا موہن गीता मोहन (@Geeta_Mohan) May 20, 2020
@MofaNepal
@IndiaInNepal
#CoronavirusPandemic
#coronavirus
#COVID19
#lockdown
pic.twitter.com/dqTnkofP4z
विवाद क्यों हुआ?
बता दें कि 8 मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत और चीन को जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन किया. यह सड़क उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले को लिपुलेख दर्रे से जोड़ती है. कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्री इसी रास्ते से जाते हैं. नेपाल का दावा है कि भारत ने उसके इलाके में सड़क बनाई है. लिपुलेख दर्रा उसका हिस्सा है. भारत का कहना है कि उसने अपने हिस्से में ही सड़क बनाई है. इसी को लेकर भारत और नेपाल के बीच तनातनी है. नेपाल में भारत के खिलाफ प्रदर्शन भी हुए हैं.

भारत के लिपुलेख दर्रे तक सड़क बनाने पर नेपाल में काफी विरोध-प्रदर्शन भी हुए हैं. (Photo: AP)
अब नेपाल के पीएम ने क्या कहा?
इसी मामले पर ओली ने नेपाल की संसद में बयान दिया. उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने नेपाल के नए राजनीतिक नक्शे को स्वीकार कर लिया है. इसमें लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा तीनों इलाके नेपाल की सीमा में हैं. उन्होंने कहा,
ये इलाके नेपाल के हैं. भारत ने वहां पर सेना तैनात कर इसे विवादित इलाका बना दिया. भारतीय सेना के वहां होने से नेपाली लोग वहां जा नहीं पा रहे. भारत ने 1962 से वहां पर सेना तैनात कर रखी है. हमारी पुरानी सरकारें और शासक इस मसले को उठाने से हिचकते रहे. लेकिन हम इन जगहों को वापस लेकर रहेंगे. अब यह मसला भुलाया नहीं जाएगा. अगर कोई गुस्सा होता है तो हमें फर्क नहीं पड़ेगा.

नक्शे में जो लाल निशान में जगह दिख रही है वही है लिपुलेख दर्रा. यह भारत, नेपाल और चीन सीमा के पास पड़ता है. (Google Map)
चीन के दबाव को नकारा
ओली ने कहा कि उम्मीद है कि भारत सच्चाई के रास्ते पर चलेगा. उनका देश भारत से मजबूत रिश्ते चाहता है. नेपाल डिप्लोमेसी के रास्ते भारत के संपर्क में है. उन्होंने भारतीय सेना प्रमुख मनोज नरवाने के बयान पर भी पलटवार किया. कहा कि जो कुछ भी नेपाल कर रहा है, वह अपनी मर्जी से कर रहा है.
बता दें कि सेना प्रमुख ने कहा था कि नेपाल किसी और देश के कहने पर सीमा विवाद का मसला उठा रहा है. उनका इशारा चीन की ओर था.
और क्या कहा?
उन्होंने इन आरोपों पर भी जवाब दिया कि उनकी कु्र्सी चीन की मदद से बची. ओली ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं एक विदेशी राजदूत ने उनकी सरकार गिरने से बचाई. ऐसे लोगों को याद रखना चाहिए कि यह सरकार नेपाल के लोगों ने चुनी है. ऐसे में कोई भी उन्हें सत्ता से बाहर नहीं कर सकता है.
नेपाल भारत के बीच झगड़े को समझने के लिए यह वीडियो देखिए-
Video: नेपाल को 'लिपुलेख दर्रे' के पास भारतीय सड़क पर आपत्ति क्यों?

.webp?width=60)

