चिकन टिक्का के लालच में एक गंगा-चिल्ली का भगवाकरण
एक भुक्कड़ सीगल पंछी चिकन टिक्के के भगोने में कूद गया. निकला तो पूरा गेरुआ.
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पंचतंत्र में एक कहानी थी. रंगा सियार वाली. याद है? तो वो जो एक सियार था चंडरव. उसको एक दिन भूख लगी. खाना ढूंढने शहर भाग गया. कुत्ते दौड़ा लिए. भाग के एक ड्रम में कूद गया. ड्रम में नीला रंग घुला रखा था. बाहर निकला तो पूरा नीला हो गया.वैसा ही किस्सा यूके में हो गया. यूके का एक देश है वेल्स. वहां के एक वेटरनरी हॉस्पिटल में एक सीगल आया.
सीगल एक तरह का पंछी होता है. मतलब कबूतर और बतख के टाइप का. इसको हिंदी में गंगा-चिल्ली कहते हैं.तो उस सीगल को भूख लगी होगी. किचन में उसको खाना दिया गया. इंडियन डिश खाने का शौक़ीन रहा होगा. एक भगौने में मसालेदार चिकन टिक्का मसाला रखा था. ये भुक्खड़ उसमें से छोटे-छोटे पीस निकाल कर खाने लगा. खाते खाते इतना डूब गया कि भगोने में ही गिर गया. किचन स्टाफ ने उसको बाहर निकाला. निकला तो पूरा गेरुआ हो चुका था.
https://www.youtube.com/watch?v=8xEAcxycjzA
लेकिन इन भाईसाब के चेहरे पे कोई शिकन नहीं. कोई अफ़सोस नहीं. लाइक अ बॉस.
जैसे खलीसी बैठी है बाथटब में और उसकी सेविकाएं उसको नहला रही हैं.
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किचन स्टाफ ने उसको बेसिन में धोया. सुखाया. लेकिन ग्रेवी का रंग इत्ता गाढ़ा चढ़ा कि धोने के बाद अभी भी वो पीला ही है. ये भारतीय व्यंजन का असली रंग है. इत्ती आसानी से पीछा नहीं छोड़ेगा.

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