'कन्हैया डॉक्टर बनेंगे तो मरीजों का इलाज कैसे करेंगे'
मिल गए एक और ज्ञानदेव आहूजा. वह कन्हैया विरोधी हैं, पर उन्हें नहीं पता कि हर PhD सफेद कोट वाला डॉक्टर नहीं बनाती.
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फोटो - thelallantop
''तुम लोगन का खाली बोलै से मतलब बा. मुंह खोला और भक्क से बोल देओ.''
कनपुरिया कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ने यह लाइन अपने एक स्टैंडअप में कही थी. यह मेरी जुबान पर इस तरह शामिल हुई है कि घन-घन बाजने वाले थोथे चनों के लिए अकसर निकल आती है. आज हम इसे 'निरंजन पाल जी' को समर्पित करना चाहते हैं.
निरंजन पाल जी कौन हैं?
राइट विंग हिंदू संगठन है 'वीर सेना'. फेसबुक पर 8100 से कुछ ज्यादा लाइक. कवर फोटो में लिखा है, 'राम सेतु को तोड़ना हिंदुत्व पर प्रहार एवं महाप्रलय को निमंत्रण है.' इसी वीर सेना के नुमाइंदे हैं निरंजन पाल. निरंजन जी उन लोगों के आदर्श उदाहरण हैं, जिनके तथ्य दुरुस्त नहीं होते, लेकिन अपने विचार वो बड़े यकीन- बड़े कॉन्फिडेंस- से सामने रखते हैं. बात जेएनयू वाले कन्हैया कुमार के बारे में है जिनसे उनके धार्मिक पृष्ठभूमि वाले नाम के बावजूद राइट विंग वाले नाराज हैं. निरंजन भी कन्हैया के राजनीतिक उभार पर चिंता जता रहे थे. लेकिन इस दौरान उन्होंने जो कह दिया, उसके बाद कहने को कुछ बचा नहीं.उन्होंने कहा, 'हम जानते हैं कि कन्हैया जेएनयू से पीएचडी कर रहा है और देश को तोड़ने की धमकी दे रहा है. ऐसे लोग जब डॉक्टर बन जाएंगे तो मरीजों का इलाज कैसे करेंगे?'उन्होंने ऐसा कहा तो एकबारगी सभा में वैसा सन्नाटा छा गया जैसा शास्त्रार्थ में सबसे बड़े विद्वान के आखिरी वक्तव्य के बाद छा जाता है. किसी ने हिम्मत करके बताया कि महोदय आपसे त्रुटि हो रही है. कन्हैया जो हैं, वो मेडिसिन की पढ़ाई नहीं कर रहे. साहित्य में पीएचडी कर रहे हैं. लेकिन निरंजन अपने वचन पर अडिग. वो क्यों मानें भला. तपाक से जवाब दिया, 'तो? बनेंगे तो वो डॉक्टर ही ना? और फिर मरीज उनके पास आएंगे ही.'