The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • hindu mahasabha Swami Chakrapani written letter to president claimed corona vaccine contains cow blood needs screening

'गौमूत्र पार्टी' करने वाले स्वामी बोले- कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाएंगे, इसमें गाय का खून है!

कहा है- भले ही जान चली जाए, लेकिन धर्म नष्ट नहीं होना चाहिए.

Advertisement
Img The Lallantop
गौमूत्र पार्टी से चर्चा में आए स्वामी चक्रपाणि ने दावा किया है कि कोरोना की वैक्सीन में गौरक्त मिला है. उन्होंने बाकायदा इसके लिए राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है.
pic
अमित
28 दिसंबर 2020 (Updated: 28 दिसंबर 2020, 11:49 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
गौमूत्र पार्टी याद है न आपको. जी हां वही वाली पार्टी, जिसमें गौमूत्र पीकर कोरोना को पटकनी देने का दावा किया गया था. उसी गौमूत्र पार्टी वाले हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने कोरोना की वैक्सीन को लेकर अब बड़ा दावा कर दिया है. स्वामी चक्रपाणि का दावा है कि कोरोना वैक्सीन में गाय का खून मिला है, इसलिए इसे देश में इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए. याद रहे कि वैक्सीन का विरोध मुस्लिम संगठनों ने भी सुअर की चर्बी और खून मिले होने की वजह से किया था.
स्वामी चक्रपाणि ने अपने दावे को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक ज्ञापन भी भेजा है. ज्ञापन क्या, दो पेज की चिट्ठी है जिसमें तफ्सील से बताया गया है कि कोरोना वैक्सीन से कैसे हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है. चक्रपाणि ने अपने ज्ञापन को बाकायदा ट्विटर पर भी पोस्ट किया है. इसमें कहा गया है-
जिस प्रकार कोरोना के नाम पर पूरे देश ही नहीं दुनिया में मंदिरों के कपाट बंद रखे गए और शराब की दुकानें खुली रखी गईं. ये घोर कलयुग का प्रतीक है. सुनने में आ रहा है कि अमेरिका या अन्य देशों में जो वैक्सीन या दवा बनाई जा रही है, उसमें गाय का खून मिलाया जा रहा है. इससे हिंदुओं की भावनाएं आहत होती हैं. आप सरकार को आदेश दें कि पहले विश्वास करें, फिर इस्तेमाल करें, के सिद्धांत पर कोई भी दवा देश में लाने से पहले देश को भरोसा दिलाएं.

Sale(719)
हिंदू महासभा के स्वामी चक्रपाणि ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर कहा है कि भारत में वैक्सीन लाने से पहले उसकी जांच की जाए कि कहीं उसमें गौरक्त तो नहीं मिला है.

स्वामी चक्रपाणि ने की थी गौमूत्र पार्टी स्वामी चक्रपाणि ने कोरोना काल में महामारी से बचने के लिए मार्च 2020 में गौमूत्र पार्टी का आयोजन किया था. इसमें दावा किया गया था कि जो कोई गौमूत्र का सेवन करेगा, वह कोरोना से बचा रहेगा. उन्होंने राष्ट्रपति को लिखे लेटर में भी साफ किया कि उन्हें गाय के मूत्र या गौमूत्र, गोबर और पंचगव्य जैसी सात्विक चीजों के इस्तेमाल में कोई दिक्कत नहीं है. हालांकि गौरक्त या गौमांस का इस्तेमाल किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उनका कहना है-
भले ही जान चली जाए, लेकिन धर्म नष्ट नहीं होना चाहिए. इसी वजह से जब तक इस बात का भरोसा नहीं हो जाता कि कोरोना को लेकर जो वैक्सीन तैयार की गई है, उसमें गाय का खून नहीं है, तब तक हम वैक्सीन नहीं लगवाएंगे.
कहां से आई गाय के खून की बात?
द लल्लनटॉप ने स्वामी चक्रपाणि से पूछा कि वह दावे के साथ कैसे कह सकते हैं कि कोरोना की वैक्सीन में गाय का खून मिला हुआ है? इस पर उन्होंने कहा-
हमने इस तरह की कई रिपोर्ट पढ़ी हैं. हम नहीं कहते कि हर वैक्सीन में गाय का खून मिला ही होता है. मेरा कहना सिर्फ इतना है कि कोई भी वैक्सीन मंगाकर आम लोगों को देने से पहले इस बात की जांच कर ली जाए कि कहीं उसमें गाय का खून तो नहीं है. लगवाने के बाद धर्म भ्रष्ट होने पर हम क्या कर सकेंगे. वैसे भी पाश्चात्य सभ्यता के लोग किसी न किसी तरह से हिंदू धर्म को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते ही रहते हैं.
हमने भी कोरोना की वैक्सीन में गाय के खून को लेकर अपने स्तर पर जानकारी जुटाई. हमें इससे जुड़ी कोई सीधी रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें गाय के खून को कोरोना वैक्सीन में डालने की बात कही गई हो. हमें सितंबर में द प्रिंट वेबसाइट पर छपी खबर
से एक रिसर्च के बारे में पता चला. उस रिपोर्ट के अनुसार, Indian Council of Medical Research (ICMR) और कोरोना की वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने एक रिसर्च पेपर में कुछ जिक्र किया है. इसके अनुसार कोरोना की वैक्सीन (Covaxin) में नवजात पशु का ब्लड सीरम मिलाया गया है. ये ब्लड सीरम नवजात पशु की गर्भनाल से निकाला जाता है. हालांकि रिपोर्ट में ये जिक्र नहीं है कि वह पशु कौन सा है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कोरोना की वैक्सीन पहली वैक्सीन नहीं है, जिसमें ये सीरम मिलाया गया है. पहले भी वैक्सीन को बनाने में इस तरह के सीरम का इस्तेमाल किया जाता रहा है.
 
सुअर की चर्बी पर पहले ही बवाल चल रहा है कोरोना वैक्सीन में गौरक्त की बात आने से पहले इसमें सुअर की चर्बी होने पर वबाल पहले ही चल रहा है. कुछ मुस्लिम संगठनों का दावा है कि चीन की कोरोना वैक्सीन में सुअर की चर्बी मिलाई गई है. इस पर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सरकार से चीन की वैक्सीन न मंगावाने की गुजारिश की है. दरअसल वैक्सीन में जिलेटिन नाम का पदार्थ मिलाया जाता है. ऐसा वैक्सीन को जल्दी खराब होने से बचाने के लिए किया जाता है. लेकिन वैक्सीन बनाने वाली बड़ी कंपनी फाइजर और तमाम दूसरी कंपनियों ने यह साफ किया है कि उनकी वैक्सीन में सुअर का फैट नहीं है. हालांकि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की "यूएई फतवा काउंसिल" (UAE Fatwa Council) ने इस विवाद के बावजूद कोरोना वैक्सीन को मुसलमानों के लिए जायज़ करार दिया है.
भारत सरकार फिलहाल कोरोना वैक्सीन को देश में लाने की तैयारी में जोरों से जुटी है. राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर तैयारी में लगी हैं. देश के चार राज्यों में कोरोना वैक्सीन लगाने के सिस्टम का ट्रायल भी शुरू किया जा रहा है. दो दिन तक चलने वाले इस ट्रायल में कोरोना वैक्सीन देने के प्रोसेस को चेक किया जाएगा, जिससे ऐन मौके पर कोई दिक्कत न हो.

Advertisement