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यूं बचाई हिंदू- मुस्लिम परिवारों ने एक-दूसरे की जान

इंसान सब एक जैसे होते हैं. धर्म भूलकर जान बचाने को साथ आए हिंदू-मुस्लिम परिवार. नागपुर में पेश की मिसाल.

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अविनाश जानू
3 जून 2016 (Updated: 3 जून 2016, 03:55 PM IST) कॉमेंट्स
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हिंदू-मुस्लिम का भेदभाव भुलाकर दो परिवार साथ आए. घटना है नागपुर की. उन्होंने एक-दूसरे के घरवालों की जान बचाई. बुधवार को वॉकहार्ड्ट हॉस्पिटल में शहर में पहला किडनी स्वैप ट्रांसप्लांट हुआ. किडनी स्वैप ट्रांसप्लांट माने किडनी की अदला-बदली. 30 साल का खामगांव का एक आदमी. कंपटी का 35 साल का एक आदमी. दोनों लम्बे समय से डायलिसिस पर थे. उन्हें किडनी की जरुरत थी. दोनों के परिवार वाले उनकी जान बचाना चाहते थे. अपनी किडनी देकर. पर घरवालों का ब्लड ग्रुप उनसे नहीं मिल रहा था. इसलिए डॉक्टर ने सलाह दी. किडनी आपस में बदल लो. दोनों के घरवालों ने किडनी की अदला-बदली कर ली. दोनों की जान बच गई. खामगांव के मरीज की बहन का कहना है, डॉक्टर कोलते हमारे लिए भगवान के जैसे हैं. हम ऐसे किडनी की अदला-बदली के बारे में नहीं जानते थे. बस हमें किसी भी तरह से किडनी का इंतजाम करना था. जब हमें पता चला एक मुस्लिम औरत का ब्लडग्रुप भाई से मिलता है. जो अपने पति को किडनी देना चाहती है. तो हमने तुरंत ही किडनी बदलने के लिए हां कर दी. जाति धरम तो आदमी की बनाई हुई चीजें हैं. शरीर तो सारे धर्म के इंसानों का एक जैसा ही होता है. परिवार का सारा पैसा डायलिसिस में खर्च हो चुका था. ट्रांसप्लांट के लिए पैसा खामगांव के अखबारों में सहायता का विज्ञापन देकर और रिश्तेदारों की मदद से जुटाया गया.

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