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हरियाणा: 14 साल की बच्ची का यौन शोषण करने वाला गणतंत्र दिवस का ख़ास गेस्ट था

वाह खट्टर सरकार. वाह.

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लल्लनटॉप
29 जनवरी 2018 (Updated: 29 जनवरी 2018, 05:36 AM IST)
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पंचकुला में डिस्ट्रिक्ट लेवल पर गणतंत्र दिवस फंक्शन मनाया गया. और जिन लोगों को सम्मान के तौर पर स्टेज पर बुलाया गया, उनमें शामिल था SPS राठौड़. वो DGP, जिसे 14 साल की लड़की के यौन शोषण का दोषी पाया गया था. हम बात कर रहे हैं रुचिका गिरहोत्रा केस की. अगर आपको याद न हो, तो बता दें कि इस वाकये के बाद के बाद रुचिका के परिवार को लगातार शोषण झेलना पड़ा था, जिसके चलते रुचिका ने सुसाइड कर लिया था.

ruchika girhotra

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ राठौड़ फंक्शन में कुर्सियों की पहली पंक्ति में बैठे देखे गए थे.

इस समय हरियाणा सरकार की अगर किसी चीज के लिए सबसे ज्यादा आलोचना हो रही है, तो वो है वहां लगातार हो रहीं रेप की घटनाएं. ऐसे समय में भारत के गणतंत्र को मनाने के लिए इस आदमी को गेस्ट के तौर पर बुलाना, वो भी तब जब उसकी वजह से एक परिवार उजड़ गया हो, हमें बताता है कि हरियाणा औरतों के लिए कैसी जगह है.


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राठौर (बीच में)

रुचिका गिरहोत्रा का पूरा केस और 26 साल तक चलने वाले केस के बाद राठौड़ को न के बराबर मिलने वाली सजा ये साफ़ करती है कि एक ताकतवर आदमी के सामने एक औरत की अस्मिता और एक परिवार की इज्ज़त के कोई माने नहीं हैं

राठौड़ ने रुचिका का यौन शोषण किया. मगर ये काफी नहीं था. उस पर चले लंबे केस के बाद उसे महज 18 महीने की सजा हुई. ये सजा भी उसे काटनी नहीं पड़ी, क्योंकि वो सीनियर सिटीजन था और केस की सुनवाइयों के दौरान 6 महीने पहले ही जेल में काट चुका था.

जिस पल राठौड़ के खिलाड़ यौन शोषण की शिकायत हुई, उसी पल से रुचिका और उसकी एक सहेली के परिवार का जीना दूभर कर दिया गया. क्योंकि ये लोग वाकये के गवाह थे. इन दोनों परिवारों को बाकायदा टॉर्चर किया गया.


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आराधना

रुचिका के पिता एक बैंक में मैनेजर थे. रुचिका की मां की मौत हो चुकी थी. वो सेक्रेड हार्ट स्कूल कि स्टूडेंट थी और हरियाणा लॉन टेनिस असोसिएशन में टेनिस सीखती थी. असोसिएशन का हेड था राठौड़, जो अपने घर में ही असोसिएशन का ऑफिस चलाता था. अगस्त 1990 में उसने अपने ऑफिस में रुचिका का यौन शोषण किया. उस वक़्त उसकी सहेली आराधना वहां मौजूद थी.

जब रुचिका का परिवार पुलिस के पास गया, तो उसे स्कूल से निकाल दिया गया. राठौड़ की बेटी भी उसी की क्लास में पढ़ती थी. स्कूल से निकालने की वजह फीस न देना बताई गई. बाद में कोर्ट में कहा गया कि रुचिका को बुरे चरित्र की लड़की होने की वजह से स्कूल से निकाला गया था.


रुचिका के छोटे भाई आशू के खिलाफ फर्जी केस बनाकर उसे पुलिस ने धर लिया. बाद में उसने कोर्ट में बताया कि पुलिस ने उस पर गाड़ी चोरी का आरोप लगाकर उसे धर लिया था, जिसके बाद उसे जमीन पर लेटाकर उसकी टांगों पर रोलर चलाया गया. रोलर में 4 पुलिस वाले बैठे थे. राठौड़ ने से टॉर्चर करते हुए उससे कहा कि वो अपने बहन और पिता से कहे कि वो केस वापस ले लें.

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एसपीएस राठौड़

'उसके बाद वो लोग मुझे हथकड़ी में बांधकर मेरे घर ले गए और पिता और बहन को दिखाते हुए बोले कि अगर उन्होंने कंप्लेंट वापस नहीं ली तो उनका भी यही हाल होगा.'

कोर्ट में राठौड़ की पत्नी ने बताया कि रुचिका के पिता सुभाष का किसी औरत से अफेयर चल रहा था. वो बच्चों पर ध्यान नहीं देते थे, जिसकी वजह से उनके बच्चे बिगड़ गए थे.

2012 में पंचकुला के CBI कोर्ट ने दो केस बंद किए. पहला आशू का मर्डर अटेम्पट और दूसरा जाली डॉक्यूमेंट बनाना. सुभाष इतनी बुरी तरह टूट गए कि उन्होंने न्याय के रखवालों से हर तरह की उम्मीद छोड़ दी. उन्होंने कहा था, 'हमारे साथ धोखा हुआ है. हमें वक़्त ने 20 साल पीछे भेज दिया है.'

लेकिन रुचिका की सहेली आराधना के मां-बाप ने हिम्मत नहीं हारी. आनंद प्रकाश और मधु प्रकाश लड़ते रहे.


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आराधना के पेरेंट्स आनंद और मधु प्रकाश

आनंद ने बताया था:


राठौड़ ने मेरे खिलाफ 9 से भी ज्यादा चार्जशीट दाखिल करवाईं. सरचार्ज नोटिस भी थे. मुझे नौकरी से दो साल से लिए सस्पेंड किया गया, मगर मुझे इससे और लड़ने की प्रेरणा मिलती रही. उसकी ताकत की वजह से मुझे स्टेट गवर्नमेंट ने प्रीमेच्योर रिटायरमेंट दे दिया. मैं इसके खिलाफ हाई कोर्ट गया. केस अब भी चल रहा है.

रुचिका की सुसाइड की वजह राठौड़ था, ये कभी साबित नहीं हो पाया.

राठौड़ को दोषी साबित हुए दो साल हो गए हैं. रिटायरमेंट को 16 साल हो गए हैं. अब हरियाणा सरकार उसे गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में बुलाकर जनता को क्या संदेश दे रही है? ये वही आदमी है, जिसने पुलिस फ़ोर्स में होते हुए एक नाबलिग लड़की का यौन शोषण किया. फिर अपनी पूरी ताकत लगाकर उनके घर को उजाड़ दिया.

17 जनवरी को ADGP अंबाला रेंज आरसी मिश्रा ने कहा था, रेप तो समाज का हिस्सा हैं.

जब सरकार का रेप जैसे जघन्य अपराधों की तरफ ये रवैया है, तो फिर हम क्यों ये बात सोचने में अपना दिमाग खपाते हैं कि रेप कम क्यों नहीं होते?



ये आर्टिकल सबसे पहले डेली ओ पर लगा था. वेबसाइट की इजाज़त से हम इसका अनुवाद कर आपको पढ़वा रहे हैं.

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