'रोज गाली देने, झगड़ने वाले मुस्लिमों को हमारे इलाके में मत बसाओ, दंगे हो सकते हैं'
अफसोस! ये अपील गुजरात के वडोदरा में कुछ लोगों ने की है.
Advertisement

फोटो क्रेडिट: Reuters, symbolic image
देश बदल रहा है. लोगों की सोच बदल रही है. पर कुछ लोग अब भी पुराने ढर्रे पर कायम हैं. 'वो बुरा है. मैं अच्छा. क्योंकि मेरा धर्म ये है. उसका धर्म वो है.' पर ये बात अगर इस हद तक आ जाए कि ये कहा जाने लगे कि उस धर्म के लोग गंदे होते हैं, इसलिए उन्हें हमारे इलाके में न बसने दिया जाए. तो माफ कीजिएगा. पहली लाइन गलत साबित होती है. देश नहीं बदल रहा है.गुजरात का वडोदरा. वहीं एक जगह है, सुलेमान चॉल. झुग्गी झोपड़ी वाला इलाका है. करीब 300 मुस्लिम फैमिली का बसेरा. पर क्योंकि विकास की कई परिभाषाएं हैं. अपने तर्क हैं. तो उसी विकास के नाम पर 'स्लम फ्री वडोदरा' कैंपेन चल रहा है. बस फिर क्या. 300 झुग्गी झोपड़ियां तोड़ दी गईं और 300 मुस्लिम फैमिली समेत सैकड़ों लोग बेघर. अब इन लोगों को फिर से बसाने का काम भी करना है. इसलिए फैसला हुआ कि कपुरई नाम की जगह में झुग्गी झोपड़ी टूटने की वजह से बेघर हुए लोगों को बसाया जाएगा. लेकिन ये बात कपुरई में रह रहे लोगों को पसंद नहीं आ रही है. द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, कपुरई के स्थानीय लोगों ने वडोदरा म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन को मुस्लिम फैमिली को बसाने के खिलाफ खत लिखा है. खत में कहा गया,
'मुस्लिमों को हमारे इलाके में आने से शांति प्रभावित होगी. क्योंकि मुस्लिमों की डेली एक्टिविटी में गाली बकना और झगड़ना शामिल है.'बता दें कि कपुरई हनुमान टेकरी से एक किलोमीटर दूर है. ये वही जगह है जहां 2002 में हुए दंगों के दौरान मुस्लिम परिवार द्वारा चलाए जाने वाली बेस्ट बेकरी आउटलेट को जला दिया गया था. हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई थी. सुलेमान चॉल में 318 झुग्गियों को तोड़ा गया था. सिविक बॉडी ने झुग्गियों के टूटने से उजड़े हुए लोगों को बसाने के लिए ड्रॉ निकालने का फैसला किया. इसके लिए 218 परिवार चुने जाने थे. जिन्हें बेसिक सर्विस फॉर अर्बन पुअर (BSUP) के तहत बसाने का फैसला किया गया. कपुराई के लोगों ने ये सुनने के बाद वडोदरा स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन डॉ जिगेशा सेठ से मिलने का फैसला किया. स्थानीय लोगों से साइन कराया एक मैमोरेंडम दिया, जिसमें कहा गया:
'अतीत में बेस्ट बेकरी कांड के बारे में पूरी दुनिया जानती है. ये कपुरई के इलाके दाबहोई रोड में रहने वाले लोगों के लिए तकलीफ देह रहा. कुछ लोगों को अब भी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है. VMC ने बीते 40 सालों से परेशानी का सबब बनी सुलेमान चॉल की झुग्गियों को तोड़ा. ये शहर के वेस्टर्न इलाकों के लिए खुशी का मौता है. लेकिन हम VMC के सुलेमान चॉल के मुस्लिम परिवारों को हमारे इलाके में बसाने का विरोध करते हैं. रोज गाली बकना और झगड़ने से उनकी एंटी सोशल सोच बदल नहीं सकती. उन परिवारों को यहां बसाने से आपराधिक घटनाएं, हमले, और दंगे हो सकते हैं. हम ये डिमांड करते हैं कि सुलेमान चॉल के लोगों को यहां न बसाया जाए.'सुलेमान चॉल से उजाड़े गए एक मुस्लिम परिवार ने कहा, 'हम अपने परिवार के साथ कपुरई शिफ्ट होने के लिए तैयार हैं. लेकिन पहले ये विरोध खत्म होना चाहिए. हम सब लोग गरीब हैं. यहां की ज्यादातर औरतें हिंदू घरों में काम करती हैं. कपुरई के लोगों को विरोध समझ से परे है.'