गुजरातियों का बोलबाला है भाई. 2015 का ज्ञानपीठ पुरस्कार भी एक गुजराती को जाएगा. नाम है रघुवीर चौधरी.
गुजरात यूनिवर्सिटी में हिंदी विभाग के प्रोफेसर हैं. नामवर सिंह की सदारत वाली चयन समिति ने उन्हें चुना है. रघुवीर को अगले साल यह पुरस्कार मिलेगा और इसे पाने वाले वह 51वें शख्स होंगे. पुरस्कार के तौर पर उन्हें 11 लाख रुपये, वाग्देवी की प्रतिमा और सर्टिफिकेट मिलेगा.
5 दिसम्बर, 1938 को गांधीनगर के बापूपुरा गांव में जन्मे चौधरी 80 से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं. 1960 में बीए करने के बाद उन्होंने हिंदी में एमए की परीक्षा पास की. उन्होंने कई कविता, उपन्यास, कथा और नाटक लिखे हैं. जिनमें 'अमृता', 'वेणुवत्सला', 'सोमतीर्थ' और 'रुद्रमहालय' आदि ज्यादा मशहूर हैं.
साल 1977 में उन्हें प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है.