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प्रकाश सिंह बादल ने पद्म अवॉर्ड लौटा दिया, PM मोदी ने उन्हें 'भारत का नेल्सन मंडेला' कहा था

किसान आंदोलन के सपोर्ट में पंजाब के एक और बड़े नेता ने ऐसा किया है.

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ये तस्वीर मई 2019 की है. पीएम मोदी और प्रकाश सिंह बादल बात करते नज़र आ रहे हैं. (फोटो- PTI)
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लालिमा
3 दिसंबर 2020 (Updated: 3 दिसंबर 2020, 11:05 AM IST) कॉमेंट्स
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कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का आंदोलन बड़ा रूप लेता जा रहा है. इस आंदोलन को अब कई नामी लोगों का सपोर्ट भी मिलने लगा है. समर्थन देने वाले अहम लोगों की लिस्ट में अब पंजाब के पूर्व सीएम और शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रकाश सिंह बादल का नाम भी जुड़ गया है. प्रकाश सिंह बादल ने किसानों के सपोर्ट में अपना पद्म विभूषण लौटा दिया है. उन्हें 2015 में ये सम्मान दिया गया था.

'इंडिया टुडे' के हिमांशु मिश्रा की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व सीएम ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को तीन पन्नों की लंबी चिट्ठी लिखी और कृषि कानूनों का विरोध किया. अपना सपोर्ट किसानों को देते हुए सरकार के एक्शन की आलोचना की. प्रकाश सिंह ने अपने लेटर में लिखा,

"मैं इतना गरीब हूं कि किसानों के लिए कुर्बान करने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है. मैं जो कुछ भी हूं किसानों की वजह से हूं. और अगर किसानों का अपमान हो रहा है तो सम्मान रखने का कोई फायदा नहीं."

पूर्व सीएम का कहना है कि तीन कृषि कानूनों से सरकार ने किसानों को धोखा दिया है, इसलिए पूरे देश के किसान इतनी ठंड में सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

कभी पीएम मोदी ने कहा था 'नेल्सन मंडेला' प्रकाश सिंह बादल वही नेता हैं, जिन्हें पीएम नरेंद्र मोदी ने 'भारत का नेल्सन मंडेला' कहा था. बात थी 11 अक्टूबर, 2015 की. दिल्ली में जयप्रकाश नारायण की 113वीं जयंती के मौके पर एक प्रोग्राम का आयोजन किया गया था. यहीं पर पीएम मोदी और प्रकाश सिंह बादल भी मौजूद थे. पीएम ने कहा था,

"बादल साहब यहां बैठे हैं... ये भारत के नेल्सन मंडेला हैं. बादल साहब जैसे लोगों का एकमात्र अपराध ये था कि उनके राजनीतिक विचार उन लोगों से अलग थे जो सत्ता में थे."

पीएम मोदी का इशारा उस वक्त कांग्रेस की तरफ था, जो ठीक एक साल पहले तक यानी 2014 तक सत्ता में थी. खैर, पीएम मोदी के बोलने के बाद बादल ने भी अपनी बात रखी और कहा कि कांग्रेस ने देश के लिए कुछ अच्छा नहीं किया. पीएम की तारीफ में कहा,

"लेकिन अब, मिस्टर मोदी के नेतृत्व की सरकार को सत्ता में लाकर देश ने बड़ा बदलाव किया है. ये सरकार देश के प्राचीन गौरव को बहाल करने के लिए बिना थके कोशिश कर रही है, महान राष्ट्रीय नायक जयप्रकाश नारायण की आकांक्षाओं को पूरा कर रही है."

एक और नेता ने किया अवॉर्ड वापस प्रकाश सिंह बादल के अलावा राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा भी किसान आंदोलन के सपोर्ट में आए हैं. उन्होंने भी पद्म भूषण सम्मान भारत सरकार को लौटा दिया है. ये अवॉर्ड सुखदेव को साल 2019 में मिला था. 'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, ढींढसा ने फोन पर हुई बातचीत में कहा,

"मैंने अपना पद्म भूषण अवॉर्ड लौटा दिया है, क्योंकि किसान पिछले दो महीनों से धरना दे रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है. जब बीजेपी सरकार हमारे बुज़ुर्गों को इग्नोर कर रही है, जिन्होंने अपना प्रदर्शन दिल्ली की सीमाओं पर शिफ्ट कर लिया है, ऐसे में ये अवॉर्ड मेरे लिए कोई मतलब का नहीं है."

सुखदेव कभी शिरोमणि अकाली दल (SAD) का हिस्सा थे, लेकिन सुखबीर सिंह बादल के साथ विवाद के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी. शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) की स्थापना की, जो कि कुछ साल पहले भी अस्तित्व में थी, लेकिन SAD में मर्जर हो गया था. हालांकि सुखदेव ने दोबारा इसकी स्थापना की. अभी वो SAD(D) के चीफ हैं. अकाली दल पहले से विरोध में SAD शुरू से ही कृषि कानूनों के विरोध में हैं. जब ये कानून पार्लियामेंट में बिल के तौर पर पास हुआ था, तभी अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने इन कानूनों को किसानों के साथ धोखा बताया था.

30 खिलाड़ी भी मेडल-सम्मान लौटाने को तैयार

'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, अर्जुन अवॉर्डी सज्जन सिंह चीमा के नेतृत्व में 30 से ज्यादा पूर्व  खिलाड़ियों ने किसानों के समर्थन में अपने मेडल-सम्मान लौटाने का फैसला किया है. इन खिलाड़ियों में गुरमेल सिंह और सुरिंदर सिंह सोढी का नाम भी शामिल हैं, दोनों ही पूर्व हॉकी प्लेयर हैं और 1980 समर ओलिंपिक्स में फील्ड हॉकी में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे थे.

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