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विदेशी चंदे पर सरकारी एजेंसी ने सवाल किया तो किसानों ने टका सा जवाब दे दिया

भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहान) के बारे में बैंक से डिटेल मांगी गई है

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जिस बीकेयू एकता उग्रहान संगठन को मिल रहे विदेशी चंदे के बारे में जानकारी मांगी गई है, वो किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है.
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अमित
21 दिसंबर 2020 (Updated: 21 दिसंबर 2020, 11:13 AM IST) कॉमेंट्स
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किसान आंदोलन के लिए विदेश से आ रहे पैसों पर सरकारी एजेंसियों की नजरें टिक गई हैं. भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहान) को मिल रहे इन पैसों के बारे में सवाल किए जा रहे हैं. पंजाब की जिस बैंक में संगठन का खाता है, उसके मैनेजर से विदेशी मुद्रा विभाग ने पूछा है कि विदेश से डोनेशन के बाबत संगठन का रजिस्ट्रेशन है कि नहीं.
'2 महीने से आ रहा विदेशों से चंदा'
बीकेयू (एकता-उग्रहान) उन किसान संगठनों में से एक है, जो 3 किसान कानूनों के लेकर दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक, पिछले 2 महीने में बीकेयू (एकता-उग्रहान) के 8 लाख रुपए विदेशी चंदे के तौर पर अकाउंट में आए हैं. बीकेयू (एकता-उग्रहान) ने अपने वकीलों से संपर्क किया है, और समन आने पर जवाब देने की तैयारी कर ली है.
किसानों ने क्या कहा है?
आजतक संवाददाता अरविंद कुमार ओझा के अनुसार, दिल्ली के बॉर्डर पर किसान नेताओं ने आंदोलन में विदेशी फंडिंग की बात पर जवाब दिया. मंच से कहा गया कि
यह आंदोलन सिर्फ पंजाब के किसानों का नहीं, पूरे देश के किसानों का है. विदेशों में बैठे भाई-बहन अपनी मिट्टी से प्यार की वजह से चंदा भेज रहे हैं. जब सरकार ने देखा कि इतने बड़े-बड़े लंगर लग चुके हैं तो वह घबराई हुई है. इसलिए सरकार आरोप लगा रही है. हमारे कई साथियों को सरकारी एजेंसी नोटिस भेज रही है. हम डरने वाले नहीं है, न ही पीछे हटने वाले है. सरकार जितना चाहे जोर लगा ले.
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किसानों का कहना है कि सरकार उनका खानपान और आराम देखकर परेशान है, और किसान संगठनों को नोटिस भेज रही है.

क्या होता है FCRA रजिस्ट्रेशन?
रिजर्व बैंक के नियम के मुताबिक, किसी भी तरह का विदेशी चंदा लेने के लिए संस्था को फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेशन (Foreign Contribution (Regulation) Act) एक्ट यानी FCRA के तहत रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है. 1976 में जब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं तो पहली बार फ़ॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट लाया गया. साल 2010 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने पहली बार इसमें एक कड़ा संशोधन किया. जिसके तहत पॉलिटिकल नेचर की संस्थाओं की विदेशी फ़ंडिंग पर रोक लगा दी गई. मोदी सरकार ने भी FCRA के नियम-कायदों में बदलाव किए हैं. अब सभी रजिस्टर्ड संस्थाओं को वित्त वर्ष के खत्म होने के 9 महीनों के भीतर ऑनलाइन रिपोर्ट जमा करनी होती है. इसमें विदेशों से होने वाली आय और खर्च का पूरा विवरण देना होता है. इनमें रसीदें और भुगतान खाता, बैलेंस शीट आदि की स्कैन कॉपी भी दाखिल करनी होती हैं.

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