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दफ्तरों में तोड़फोड़ के डर से फेसबुक ने भारत में बजरंग दल को ब्लॉक नहीं किया!

फेसबुक की सिक्योरिटी टीम ने अपने कर्मचारियों पर हमले का भी अंदेशा जताया था.

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एक प्रेजेंटेशन के दौरान फेसबुक के CEO मार्क ज़करबर्ग. फेसबुक पर आरोप लग रहे हैं कि उसने नफरत फैलाने वाले समूहों के खिलाफ एक्शन लेने में नरमी बरती है.
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प्रेरणा
14 दिसंबर 2020 (Updated: 14 दिसंबर 2020, 09:31 AM IST) कॉमेंट्स
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फेसबुक की सिक्योरिटी टीम ने भारत को लेकर कुछ महत्वपूर्ण चेतावनियां दी. ये बात वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में बताई गई है. इस रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक अपने प्लेटफ़ॉर्म पर नफरत फैलाने वालों के खिलाफ इसलिए भी एक्शन नहीं ले पा रहा, क्योंकि उसे भारत में मौजूद अपने बिजनेस और स्टाफ की सुरक्षा की चिंता है.
क्या-क्या लिखा है रिपोर्ट में?
'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' की इस रिपोर्ट के मुताबिक़, जून 2020 में नई दिल्ली के एक चर्च के बाहर बजरंग दल के सदस्यों ने धावा बोला. ये दावा किया कि ये चर्च एक मंदिर के ऊपर बना है. कथित रूप से चर्च के पादरी पर हमला भी किया.  इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया. जहां पर इसे काफी अटेंशन मिला. रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक की सेफ्टी टीम इस नतीजे पर पहुंची थी कि बजरंग दल पूरे भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का समर्थन करता है. ये खतरनाक संगठन के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है और इसे प्लेटफॉर्म से बैन कर दिया जाना चाहिए.
लेकिन बजरंग दल के पेजों और अकाउंट को फेसबुक से नहीं हटाया गया. क्योंकि कथित रूप से फेसबुक की सिक्योरिटी टीम ने चेतावनी दी. कि अगर इस समूह पर कोई एक्शन लिया गया, तो भारत में फेसबुक के बिजनेस और उसके स्टाफ पर आंच आ सकती है. रिपोर्ट में  लिखा है कि फेसबुक की सिक्योरिटी टीम को इस बात की चिंता थी कि सत्ता में मौजूद हिंदू राष्ट्रवादी राजनेताओं के गुस्से को झेलने के साथ-साथ बजरंग दल फेसबुक में काम करने वाले लोगों और उसके ऑफिसेज पर हमला कर सकता है.
बजरंग दल के एक प्रवक्ता ने कहा कि उनके सदस्य किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में भाग नहीं लेते और उनका दूसरे धार्मिक समूहों से कोई मनमुटाव नहीं है.
रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक की सिक्योरिटी टीम ने दो और राइट विंग हिन्दू राष्ट्रवादी ग्रुप्स को बैन करने को लेकर भी आगाह किया था. इनके नाम हैं सनातन संस्था और श्री राम सेना. फेसबुक में कम करने वाले कुछ लोगों के समूह ने आपस में भेजे गए मेल में इस बाबत बात की. कहा कि बजरंग दल और ऐसे ही दूसरे संगठनों का फेसबुक पर रहना भारत में हेट स्पीच को रोकने के लिए किए गए कंपनी के कमिटमेंट पर सवाल खड़े करता है.
Facebook Zuckerburg फेसबुक डेटा प्राइवेसी को लेकर पहले से निशाने पर था. लेकिन अपने प्लेटफॉर्म पर हेट स्पीट और वायोलेंस वाले कंटेंट को लेकर भी अब वह सवालों के घेरे में है.


रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक के ह्यूमन राइट्स स्टाफ ने आंतरिक रूप से भारत को 'टियर एक' देशों की श्रेणी में रखा है. यानी कि ये उन देशों में से एक है जहां पर सामाजिक हिंसा का खतरा काफी ज्यादा है. इसलिए कंपनी को खतरे झेल रही जनसंख्या को सुरक्षित रखने के लिए ज्यादा प्रयास करने की ज़रूरत है.
क्या कहते हैं फेसबुक वाले?
किसी भी पेज या अकाउंट को जब रिपोर्ट किया जाता है, तो उसका रिव्यू होता है फेसबुक में. रिपोर्ट के मुताबिक़, बजरंग दल के ग्रुप का रिव्यू पूरे साल से फेसबुक के पास पड़ा हुआ है.  इंटरनल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सिस्टम में. उसके आगे ब्लॉक्ड लिखा हुआ है. जानकारों का कहना है कि इसका मतलब है कि इस पर  काम रोक दिया गया है. इस पर एक एम्प्लोयी का नॉट भी था, जिसमें ये रिकमेंड किया गया था कि ग्रुप पर बैन न लगाया जाए. क्योंकि बजरंग दल के पॉलिटिकल कनेक्शंस की वजह से मामले में थोड़े पेंच आ गए हैं.
वहीं फेसबुक के प्रवक्ता एंडी स्टोन ने इस मामले पर जवाब देते हुए कहा जिस एम्प्लोयी का ये कमेन्ट है वो डबलिन में है. उसका नजरिया संबंधित टीमों के नज़रियों से मेल नहीं खाता.
फेसबुक की डेंजरस इंडिविजुअल्स एंड ऑर्गेनाइजेशन पॉलिसी ऐसे लोगों और समूहों पर नजर रखती है जो खतरनाक साबित हो सकते हैं. स्टोन के मुताबिक़, ये पॉलिसी पूरे विश्व में लागू होती है, बिना किसी राजनैतिक पोजीशन या पार्टी की मान्यता को ध्यान में रखते हुए. उन्होंने ये भी कहा कि बजरंग दल के रिव्यू प्रोसेस के ब्लॉक्ड होने का मतलब ये नहीं कि इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हो सकती. इसका मतलब ये है कि इस प्रोसेस में अभी कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है. स्टोन के मुताबिक़, सिक्योरिटी टीम ने जो चेतावनी दी थी बजरंग दल के बारे में, उसकी चर्चा भी एक मानक प्रक्रिया का हिस्सा है.
Facebook Report इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद फेसबुक की आलोचना की जा रही है.


बजरंग दल द्वारा पोस्ट किया गया वो वीडियो, जिसमें चर्च पर हमले की घटना दिखाई गई थी, उसे फेसबुक ने हटा लिया है. लेकिन एक्टिविस्ट्स का मानना है कि ऐसे ग्रुप्स जो ऑनलाइन नफरत फैलाते हैं और उसका प्रभाव असल जिंदगी में हो रही घटनाओं पर भी पड़ता है , तो फेसबुक को इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए संभालने की ज़रूरत है.

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