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UP के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के घर से मिले 11 लाख रुपये के पुराने नोट

ED के छापे में बेनामी संपत्तियों के सबूत भी मिले.

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गायत्री प्रजापति पर आरोप है कि उत्तर प्रदेश में खनन मंत्री रहते हुए उन्होंने तमाम अनियमितताएं कीं. (फोटो- India Today)
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अभिषेक त्रिपाठी
31 दिसंबर 2020 (Updated: 31 दिसंबर 2020, 08:13 AM IST) कॉमेंट्स
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उत्तर प्रदेश की सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति के अमेठी स्थित घर पर 30 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) का छापा पड़ा. करीब 11 लाख रुपए के पुराने नोट बरामद हुए, पांच लाख रुपए के सादे स्टाम्प पेपर मिले, करीब डेढ़ लाख रुपए कैश और सौ से अधिक बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज मिले हैं. आरोप है कि गायत्री प्रजापति की लखनऊ, कानपुर, मुंबई, सीतापुर समेत छह से ज्यादा शहरों में संपत्तियां हैं. ये बेनामी संपत्तियां करीबी रिश्तेदारों, निजी सहायकों और ड्राइवरों के नाम पर ली गई हैं. कौन हैं गायत्री प्रजापति गायत्री प्रसाद प्रजापति ने 1995 के करीब समाजवादी पार्टी जॉइन की थी. 1996 और 2002 में अमेठी से लड़े. हारे. लेकिन जुगाड़ू प्रवृत्ति होने के कारण मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव से अच्छे संपर्क बने. 2012 में फिर टिकट मिला. इस बार गायत्री ने अमेठी जीत लिया. विधायक बने. सपा की सरकार बनी, तो फरवरी 2013 में मंत्री पद भी मिल गया. सिंचाई मंत्री बने. इसी साल जुलाई में मंत्रिमंडल फेरबदल हुए, तो स्वतंत्र प्रभार दिया गया. फिर जनवरी 2014 में मिला खनन मंत्री का पद. लेकिन गायत्री प्रजापति के लिए सबसे बड़ी मुश्किल तब आई, जब खनन मंत्री रहते हुए UP के सात जिलों में अवैध खनन की अनुमति देने का आरोप लगा. NGT के नियमों को ताक पर रखकर यहां खनन को हां कहा गया. 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में CBI को जांच सौंप दी थी. 2019 में CBI ने इसी केस में 12 जगहों पर छापे मारे थे. अब इसी सिलसिले में गायत्री के घर पर छापा मारा गया है. दुष्कर्म का भी आरोप है 2016 में ही चित्रकूट की एक महिला ने आरोप लगाया था कि गायत्री प्रजपाति ने उनके और उनकी बेटी के साथ दुष्कर्म किया. फरवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गायत्री प्रजापति के खिलाफ FIR दर्ज की गई. कुछ दिन फरार रहने के बाद आखिरकार मार्च, 2017 में गिरफ्तारी हुई. करीब साढ़े तीन साल जेल में बिताने के बाद गायत्री को इसी साल 4 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से रेप केस में जमानत मिली. सात दिन बाद ही प्रजापति को फिर गिरफ्तार कर लिया गया, जालसाजी के एक केस में.

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