टैरिफ वॉर में उलझे ट्रंप और जिनपिंग में सुलह कैसे हो गई? इस रिपोर्ट से समझ आ जाएगा
रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप की टैरिफ नीति ने सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका का ही कर डाला. उसके बाद बंटाधार हुआ चीन का.
.webp?width=210)
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सत्ता में आने के बाद से “मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” के नारे के सहारे तमाम देशों पर टैरिफ थोप दिए. ट्रंप के इस कार्यकाल को ऊपर से देखने पर ऐसा जान पड़ता है कि आयात कर ही अमेरिका की आर्थिक नीति का आधार है. लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे अमेरिका को वाकई फायदा हुआ है? येल बजट लैब के एनालिसिस से जो तथ्य सामने आए हैं, वे ट्रंप को तो बिल्कुल पसंद नहीं आने वाले. रिपोर्ट कहती है कि इस नीति से अमेरिका को ही सबसे ज़्यादा नुकसान होता दिखाई दे रहा है.
येल बजट लैब एक पॉलिसी रिसर्च सेंटर है जो अमेरिकी इकॉनमी के लिए फेडरल पॉलिसी प्रपोज़ल का गहराई से एनालिसिस करने के लिए जाना जाता है. इसी की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप की टैरिफ नीति से अमेरिकी अर्थव्यवस्था की विकास दर पर गहरा असर पड़ा है. आशंका है 2025 के सभी US टैरिफ और विदेशी जवाबी कार्रवाई से 2025 और 2026 दोनों में रियल GDP ग्रोथ लगभग 0.5 पर्सेंट पॉइंट कम हो जाएगी. रियल GDP लंबे समय में लगातार 0.25% कम होगी.
आर्थिक दृष्टि से देखा जाए तो यह नुकसान बहुत बड़ा है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 0.35 प्रतिशत GDP का मतलब है लगभग 105 अरब डॉलर, यानी करीब 9.3 लाख करोड़ रुपये का घाटा बनता है. यह रकम लगभग उतनी है जितनी भारत सरकार अपने वार्षिक पूंजीगत खर्च (capital expenditure) पर करती है, जो देश की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद करता है.
YBL की रिपोर्ट के मुताबिक 2025 के आखिर में अमेरिका में बेरोज़गारी दर 0.3 पर्सेंट पॉइंट बढ़ेगी और 2026 में 0.7 पर्सेंट पॉइंट ज़्यादा हो जाएगी. 2025 के आखिर तक पेरोल एम्प्लॉयमेंट 4 लाख 90 हजार कम हो जाएगा. जो 2024 में सालाना $105 बिलियन के बराबर है, जबकि एक्सपोर्ट 16% कम है.
दूसरे देशों पर क्या असर पड़ा?YBL रिपोर्ट यह भी बताती है कि टैरिफ पॉलिसी से अमेरिका के बाद सबसे ज़्यादा नुकसान चीन को हुआ है. चीन की GDP पर भी इस नीति का असर पड़ा है, और उसकी दीर्घकालिक वृद्धि दर में करीब 0.18 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. यानी दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं ट्रंप की टैरिफ नीति की सबसे बड़ी शिकार बनती दिखाई दे रही हैं.
शायद यही वजह है कि दोनों तरफ से बढ़े तनाव के बावजूद, व्यापारिक बातचीत जारी रखने की कोशिशें की जा रही हैं. 30 सितंबर को साउथ कोरिया में राष्ट्रपति ट्रंप और चीन के प्रीमियर शी जिन पिंग के बीच बातचीत हुई. इस बातचीत में ट्रंप ने चीन पर 10 प्रतिशत टैरिफ कम करने पर रज़ामंदी जताई. और बदले में जिन पिंग ने अमेरिका से सोयाबीन खरीदने पर हामी भरी.
बाकी दुनिया पर भी इसका असर पड़ा है, लेकिन नुकसान अमेरिका की तुलना में कम है. दिलचस्प बात यह है कि इस पूरी प्रक्रिया में कुछ देश फायदे में भी रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ को इससे थोड़ा लाभ हुआ है. वे अमेरिका के आर्थिक प्रतिद्वंद्वी तो हैं ही, पर साथ ही उसके घनिष्ठ सैन्य सहयोगी भी हैं. अमेरिका के पड़ोसी देशों में भी असर अलग-अलग रहा. मेक्सिको इस नीति से फायदा उठाने में सफल रहा, जबकि कनाडा को नुकसान झेलना पड़ा.
गौरतलब है कि ट्रंप ने भारत पर भी 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है. साथ ही रूस से तेल खरीदने की वजह से सजा के तौर पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ भी लगाया है. यानी भारत इस समय 50 प्रतिशत टैरिफ झेल रहा है.
वीडियो: डॉनल्ड ट्रम्प ने दी भारत को नई धमकी, कहा-' रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया तो भारी टैरिफ देना होगा...'


