शाहरुख़ खान की फिल्म हर बार किसी न किसी से टकराती ही है. चाहे 'जब तक है जान' 'सन ऑफ सरदार' से टकरा जाए. 'ओम शांति ओम' 'सांवरिया' के आगे आ जाए. इस बार रणवीर सिंह और शाहरुख़ की फ़िल्में आमने-सामने हैं. रणवीर शाहरुख़ से 18 साल पीछे बॉलीवुड में आए हैं. पर देखना ये कि किसकी फिल्म आगे निकल जाती है?
फिल्में पिच्चरहॉल पहुंच चुकी हैं रिव्यू आने लगे हैं. 'द इंडियन एक्सप्रेस' में शुभ्रा गुप्ता लिखती हैं कि रणवीर अच्छे लगे हैं,उनके बाद किसी और को बाजीराव के तौर पर इमेजिन करना मुश्किल होगा. दीपिका प्यारी लगी हैं पर रणवीर के साथ जमी नही हैं. अच्छी हिस्टोरिकल फिल्म हो सकती थी लेकिन कपड़ों और डायलॉग तले दबकर कॉस्टयूम ड्रामा रह गई. उनने फिल्म को पांच में डेढ़ स्टार दिए हैं.
बात करें 'दिलवाले' की तो हिन्दुस्तान टाइम्स ने रोहित शेट्टी मार्का स्टंट और एक मिनट की हंसी देने वाले डायलॉग्स की तारीफ की है. लेकिन फिल्म की स्क्रिप्ट को ढ़ीला और कहानी को बेजा तेज बताया है. जो फिल्म को नीचे घसीटती है.
फर्स्टपोस्ट पर गायत्री गौरी ने इसे भंसाली की 'मुगले आजम ' बताया है. फिल्म उत्तम तो नही लेकिन यादगार, और बांधकर रखने वाली है.
मिड-डे पर शुभा शेट्टी-साहा ने पहले ही फिल्म में कोई गहराई खोजने वालों को चेताया है. कीर्ति और वरुण की बात करते हुए काजोल-शाहरुख़ की केमेस्ट्री के आगे फीका बताया है. रोहित शेट्टी को बहुत भाव न देने वाले भी काजोल-शाहरुख़ को देखने जा सकते हैं. फिल्म को पांच में से तीन स्टार मिले हैं.
कौन सी फिल्म ज्यादा चलेगी. इसके पीछे और भी वजहें हैं. एक ओर जहां 'दिलवाले' को मल्टीप्लैक्स में ज्यादा जगह मिली है. इरोस ने 'बाजीराव मस्तानी' के लिए एकलखिड़किया सिनेमाघरों पर फोकस किया था. 'इरोस' ने सलमान की 'बजरंगी भाईजान' के रिलीज के वक़्त ही सिनेमाघर चलाने वालों से हुंकारी भरवा ली थी कि वो 'बाजीराव मस्तानी' भी चलाएंगे. 'बाजीराव मस्तानी' को इसका फायदा भी मिल सकता है.
ये बाद की रही कि दोनों फिल्मों में पैसे ज्यादा कौन कमाती है. लेकिन दोनों ने नाम पहले ही दिन खूब कमा लिया है.
बीजेपी युवा मोर्चा पुणे में 'बाजीराव मस्तानी' का विरोध करता नजर आया.
https://twitter.com/ANI_news/status/677724762731319296
वही बीजेपी युवा मोर्चा जबलपुर में 'दिलवाले' का विरोध नजर करता आया.
https://twitter.com/ANI_news/status/677724762731319296