15 साल की बच्ची खड़ी रो रही थी, कि ऑटो वाले अंकल आए
इस ऑटो वाले की कहानी हम आपको बता चुके हैं. शायद याद भी हो. न याद हो तो जान लो. उसने एक बार फिर ऊंचा काम किया है.

वो ऑटो वाला याद है जिसके बारे में हमने कहा था कि उसका नंबर मिले तो सेव कर लेना. और खबर भी तो किए थे. अरे वहीं दिल्ली के संगम विहार में रहने वाला कुमार. उसका पूरा नाम अनिल कुमार है. खोए बच्चों को उनके घर पहुंचाता है. बंदे ने पुलिस से भी टाई-अप किया हुआ है. और जरूरत पड़ने पर उनकी भी मदद लेता है.
संडे को अनिल ने 15 साल की एक बच्ची को उसके पेरेंट्स से मिलवाया. बच्ची दिल्ली के नेहरू प्लेस पर अकेले घूम रही थी. अनिल तीन-चार ऑटो वालों के साथ सुबह के 7 बजे वहां सवारी के चक्कर में खड़ा था. तभी अचानक उसकी नजर बच्ची पर पड़ी. वो रो रही थी. पहले तो कुमार ने थोड़ी देर उसे नोटिस किया. ये कंफर्म करने के लिए कि वाकई वो गुम हो गई है. फिर वो उसके पास गया और उससे उसका नाम पता पूछा. वो और रोने लगी. कुमार ने उसे पानी दिया और शांत कराया. खाने के लिए पूछा पर उसने मना कर दिया.
बच्ची ने कुमार को बताया कि उसके सौतेले चाचा संगम विहार में रहते हैं. वो उनके घर से लौट रही थी. घर का रास्ता भूल गई. नेहरू प्लेस पेडस्ट्रैन अंडरपास के नीचे चार-पांच लड़कों ने उसके साथ छेड़-छाड़ भी किया. वो कुमार को लेकर उस जगह पर गई. तब तक लड़के भाग गए थे.
कुमार बच्ची को उसके पेरेंट्स के पास ले जाना चाहता था पर बच्ची अपने घर का पता भूल गई थी. उसे बस इतना याद था कि उसके पेरेंट्स साउथ दिल्ली के जैतपुर इलाके में रहते हैं. बच्ची को अपनी दादी के घर का पता मालूम था. वो कालकाजी में एक घर में काम करती है.
कुमार बच्ची को लेकर कालकाजी पुलिस स्टेशन गया. और सारी कहानी बताई. पुलिस वालों ने कुमार का बयान रिकॉर्ड कर लिया और बच्ची को लेकर उसी के ऑटो में बंगले पर गए जहां उसकी दादी काम करती है. घर का मालिक बच्ची को पहचान गया और उसकी दादी को बुलाया. दादी ने बच्ची के पेरेंट्स को कॉल किया. और बच्ची अपनी पेरेंट्स के पास पहुंच गई. पुलिस ने कुमार को उसके काम के लिए अवॉर्ड देने का फैसला किया है.