दिल्ली के एक्स-विधायक जी फरार हैं, लाख रुपये का इनाम है
नाम है रामबीर शौकीन. कांग्रेस-बीजेपी दोनों से इनकी गलबहियां रही हैं. विचारधारा वगैरह का ज्यादा लोड नहीं है. याद आया?
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पानी गंदा है, पूरा का पूरा.
कारनामे क्या थे? ये कि नीरज बवाना को बदमाश बनाने में मामा रामबीर शौकीन का बड़ा रोल रहा. जब वो बदमाश हो गया तो नाजुक मौकों पर उन्होंने कई बार भांजे को शरण दी.
कौन हैं रामबीर शौकीन?
2013 की 'त्रिशंकु' दिल्ली विधानसभा में रामबीर शौकीन प्रदेश के इकलौते इंडिपेंडेट विधायक चुने गए. इनका एरिया था मुंडका. बीजेपी को 31 सीटें मिली थीं और कांग्रेस को 8. अरविंद केजरीवाल की नई नवेली AAP ने 28 सीट लेकर दोनों का खेल बिगाड़ दिया था. सरकार बनाने के लिए जब पार्टियां समर्थन की अपील और चैलेंज कर रही थीं, तब रामबीर शौकीन अचानक नखरेवाली नानी बन गए थे.वो बीजेपी के समर्थन को तैयार थे, लेकिन कह रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद उनसे मुलाकात करें और डिप्टी सीएम का पद ऑफर करें. ऐसा न होना था, न हुआ. कांग्रेस के बाहरी समर्थन से AAP ने सरकार बना ली. मन मारकर रामबीर शौकीन ने भी AAP सरकार को सपोर्ट कर दिया.लेकिन कुछ ही दिनों में उनका AAP सरकार से मोहभंग हुआ और वह समर्थन वापसी की चिट्ठी एलजी को सौंप आए. AAP के पास अब भी बहुमत था, उनकी सेहत पर फर्क नहीं पड़ा. लेकिन अब रामबीर शौकीन के अंदाज बदल गए. वह खुलकर नरेंद्र मोदी के पक्ष में आ गए. बोले पार्टी जॉइन करना बाद की बात है, पर MP के इलेक्शन में मोदी जी को सपोर्ट कर रहा हूं. https://youtu.be/kyDwvcPhmxQ?t=27s दो-चार दिनों में ही उन्होंने कह दिया कि केजरीवाल से बेहतर काम कर सकता हूं और सीएम बनना चाहता हूं. खबर आई कि इस सिलसिले में वह कांग्रेस और बीजेपी नेताओं से मिलेंगे. https://www.youtube.com/watch?v=ti3U-JTgkXY फिर मौका आया 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव का. रामबीर शौकीन का पूरा रुख बीजेपी में जाने का था और अखबार की खबरों में इस बाबत सुगबुगाहटें भी सूत्रों के हवाले से नुमाया हो रही थीं.

बड़ी लंबी जंप मारी भाई! 2013 में बीजेपी को लुभाया कि समर्थन चाहिए तो डिप्टी सीएम का पद दो, मोदी जी आकर मिलो. भाव नहीं मिला तो AAP सरकार को समर्थन कर दिया. फिर थोड़े ही दिनों में फिर मोदीराग गाने लगे. लेकिन चुनाव से ठीक पहले सेक्युलरिज्म की याद आई और कांग्रेस में शामिल हो गए.
