रेल कर्मचारियों की धमकियों के बावज़ूद, तेजस भारत की पहली प्राइवेट ट्रेन हो सकती है
जानिए फुली-एयर कंडीशन्ड ट्रेन तेजस का पूरा इतिहास.
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तेजस एक्सप्रेस भारत की पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन है.
भारत की पहली प्राइवेट ट्रेन का नाम मालूम चल गया है. ये होगी दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस. न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से ये खबर दी है. दिल्ली से लखनऊ के बीच की रेल दूरी है 479 किलोमीटर. इस रूट पर फिलहाल सबसे तेज़ रफ़्तार ट्रेन है हमसफ़र एक्सप्रेस. ये सवा छह घंटे में यात्रा पूरी करती है.
रेलवे का 100-डे अजेंडा
रेल मंत्रालय ने 100 दिनों का अपना एक अजेंडा तय किया था. इसमें एक प्रस्ताव ये भी था कि फिलहाल प्रयोग के लिए दो ट्रेनें प्राइवेट सेक्टर को सौंपी जाएं. ये दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस इसी 100-डे अजेंडा का हिस्सा है. IRCTC से कहा गया है कि वो इस संबंध में 10 जुलाई तक अपना फाइनल प्रस्ताव सौंपे. प्लानिंग के मुताबिक, इस निजीकरण की योजना के तहत IRCTC को फिलहाल दो ट्रेनें सौंपी जाएंगी. इसके बदले वो भारतीय रेलवे को सालाना एक लीज़ की रकम देगा. ट्रेन चलाने से जुड़ी जितने ऑन-बोर्ड सर्विसेज होती हैं, उसका जिम्मा IRCTC प्राइवेट ऑपरेटर्स के सुपुर्द करेगा. इसके लिए निविदाएं (बिडिंग) बुलाई जाएंगी. जो बोली जीतेगा, उसे कॉन्ट्रेक्ट मिलेगा.
रेलवे कर्मचारी संगठन पहले ही इसके खिलाफ धमकी दे चुके हैं
रेलवे के इस कदम का एक मकसद तो ये बताया गया कि यात्रियों को ट्रेन में विश्वस्तरीय सेवा मिल सके. जैसे- साफ सफाई. सुरक्षा. बेहतर सुविधाएं. दूसरी सबसे बड़ी मंशा रेलवे को घाटे से उबारकर एक कमाऊ सिस्टम बनाने की भी होगी. सरकार के इस फैसले की काफी आलोचना हो रही है. इसे रेलवे के निजीकरण की तरफ पहला बड़ा कदम बताया जा रहा है. देशभर की रेलवे यूनियनों ने इस प्रस्ताव की आलोचना की है. वो इस मुद्दे को लेकर सड़कों पर उतरने की चेतावनी दे चुके हैं. इन चेतावनियों के बावजूद रेलवे मंत्रालय अपने फैसले पर कायम दिख रहा है.
तेजस का इतिहास क्या है? तेजस एक्सप्रेस का ऐलान 2016 में हुआ था. ये भारत की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन है. मई 2017 से इसने चलना शुरू किया. पहली तेजस एक्सप्रेस मुंबई से करमाली (गोवा) के लिए शुरू हुई. 551.7 किलोमीटर का सफ़र ये ट्रेन साढ़े आठ घंटे में पूरा करती है. मुंबई और गोवा के बीच का रूट काफी व्यस्त है. इस रूट पर पर्यटन भी बहुत ज्यादा है. इसी को ध्यान में रखते हुए यात्रियों के लिए कम समय में यात्रा पूरी करने वाली और बेहतर सुविधाएं देने वाली इस ट्रेन को लाया गया. तेजस पूरी की पूरी एयर कंडीशन्ड है. काफी आधुनिक सुविधाएं हैं इसके अंदर. इस ट्रेन के अंदर LED स्क्रीन्स हैं. USB पोर्ट हैं. वाई-फाई, लैपटॉप प्लग जैसी सुविधाएं जो एयरक्राफ्ट्स में होती हैं, वो सब भी हैं. खाना भी काफी बेहतर है. मुंबई-गोवा के बाद इसे मदुरै और चैन्नै के बीच भी शुरू किया गया. इसी तर्ज़ पर और भी व्यस्त रूट्स पर इसे शुरू करने की योजना है. ये ऐसे रूट होंगे, जो 500 किलोमीटर की परिधि में आते हों.बजट में देश के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है, रेलवे भी अपनी क्षमता, सुविधा व निवेश बढ़ाने पर काम करेगी।
रेलवे स्टेशन अपने आप मे आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बन सकता है, जहां यात्रियोँ को सुविधा मिले, लोगों को रोजगार मिले और रेलवे का रेवेन्यू भी बढ़े। pic.twitter.com/WxLQwnC4OX — Piyush Goyal (@PiyushGoyal) July 6, 2019
रेलवे का निजीकरण: शॉर्ट में जानिए पक्ष और विपक्ष रेलवे के निजीकरण की आशंकाएं काफी समय से जताई जा रही हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी इस तरह की बातें हुईं. मगर रेलवे को प्राइवेट सेक्टर के हवाले करना काफी बड़ा मुद्दा है. भावनाओं से भी जुड़ा है. ऐसी आशंकाएं हैं कि अगर रेलवे का प्राइवेटाइजेशन हो जाता है, तो इसका किराया भी काफी बढ़ जाएगा. ये गरीबों की पहुंच से दूर हो जाएगा. फिलहाल रेलवे बोर्ड भारतीय रेल की सेवाओं के लिए किराया तय करता है. रेलवे को निजी हाथों में सौंपने की तरफ़ादारी करने वाले तर्क देते हैं कि सरकार अभी पैसेंसर की ढुलाई में काफी सब्सिडी देती. रेलवे की कमाई का मुख्य ज़रिया माल की ढुलाई है. यात्री भाड़े में सालों-साल बदलाव नहीं होता. क्योंकि किराया बढ़ाने के राजनैतिक परिणाम हो सकते हैं. रेलवे को होने वाले घाटे की सबसे बड़ी वजह यही बताई जाती है. इस घाटे के कारण भारतीय रेलवे की सूरत नहीं बदल पा रही. उन्हें आधुनिक बनाना, ज्यादा सुरक्षित बनाना, रेलवे से जुड़ा बुनियादी ढांचा मजबूत करना, ये सब काफी धीमी रफ़्तार से हो रहा है.Railways infrastructure will need an investment of ₹50 Lakh Cr between 2018-2030, given that capital expenditure outlay of Railways is around ₹1.5-1.6 Lakh Cr per annum
A public-private partnership is proposed to unleash faster development of Railways#BudgetForNewIndia pic.twitter.com/lJZzMFA4ez — Piyush Goyal (@PiyushGoyal) July 5, 2019
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