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16 साल की लड़की ने कहा- "सेक्स के लिए सहमत थी", कोर्ट बोला- "इससे कोई मतलब नहीं"

कोर्ट ने लड़की के बॉयफ्रेंड को जमानत नहीं दी.

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फाइल फोटो
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सोम शेखर
6 दिसंबर 2022 (Updated: 7 दिसंबर 2022, 07:06 AM IST)
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दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एक नाबालिग लड़की के रेप के आरोपी की ज़मानत ख़ारिज करते हुए कहा है कि नाबालिग की सहमति क़ानून की नज़र में सहमति नहीं है. 

10 जून, 2019 को लड़की के पिता ने अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. पुलिस ने तलाश की और एक महीने बाद लड़की उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में मिली. आरोपी के साथ ही. उसे घर लाया गया. पुलिस ने आरोपी के ख़िलाफ़ IPC की 363 (अपहरण), 376 (बलात्कार) और धारा 366 (अपहरण या किसी महिला को उसकी शादी के लिए मजबूर करना) के साथ POCSO की संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया.

हालांकि, जब लड़की को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, तो उसने अपने बयान में कहा कि आरोपी उसका बॉयफ़्रेंड है और वो अपनी मर्ज़ी से उसके साथ रह रही थी. सहमति से उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए. इसी बयान की बिनाह पर आरोपी ने ज़मानत की अपील की थी. लेकिन हाई कोर्ट ने ज़मानत अर्ज़ी को ये कहते हुए ख़ारिज कर दी कि घटना के समय (यानी 2019 में) लड़की नाबालिग थी और आरोपी 23 साल का था; शादीशुदा था. आरोप ये भी हैं कि व्यक्ति ने लड़की के आधार कार्ड के साछ छेड़छाड़ की थी. उसे SDM दफ़्तर ले जाकर, उसके आधार कार्ड में जन्म का साल 2002 से बदलकर 2000 करवा दिया था. अदालत ने अपने आदेश में इस क़रतूत को बेहद गंभीर अपराध माना है. जस्टिस जसमीत सिंह ने कहा,

''नाबालिग लड़की के आधार कार्ड में जन्म तिथि बदलवाना एक गंभीर अपराध है. ऐसा लगता है कि आरोपी इसके जरिए फ़ायदा उठाना चाहता था, कि जब वो उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए, तो वो नाबालिग न हो."

आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि उसे ज़मानत दे दी जानी चाहिए क्योंकि 2019 से ही वो हिरासत में है और मामले में चार्जशीट पहले ही दायर की जा चुकी है. लेकिन, कोर्ट ने जमानत अर्ज़ी ख़ारिज कर दी. यही कहते हुए कि जब ये घटना हुई, तो लड़की 16 साल की थी और उसकी सहमति क़ानून की नज़र में मान्य नहीं है.

लड़की फ्रेंडली है इसका ये मतलब नहीं कि वो सेक्स के लिए राज़ी हैः बॉम्बे हाईकोर्ट

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