ज्योति का गुनहगार आजाद ही रहेगा. ये जानकर ज्योति की मां रोते हुए बोलीं- अब भी सबक नहीं लिया, देश का दुर्भाग्य है ये. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कानून के आगे नहीं जा सकते. दोषी का अधिकार है कि वो अब आजाद रहे. फैसले से खफा दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बोलीं, अब मोमबत्ती नहीं मशाल लेकर निकलें महिलाएं.
जुवेनाइल बिल पर मंगलवार को राज्यसभा में चर्चा हो सकती है, पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर साथ में ये भी कह दिया कि कांग्रेस समर्थन करे.
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ज्योति की मां रूंधे गले के साथ बोलीं- फैसला बताता है कि औरत के साथ धोखा होता रहा है. आगे भी होता रहेगा. कानून में कोई रूल नहीं था तो ये बच गया. पर बाकियों को तो फांसी की सजा दिलवाओ. मुझे पता था कि कोर्ट ऐसा ही फैसला सुनाएगी. मैं हैरान नहीं हूं. कोर्ट अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर सकती थी, पर नहीं किया.
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जुवेनाइल बिल में क्या होगा चेंज?
कानून बदलने की बात हो रही है. जुवेनाइल बिल में नाबालिग की उम्र घटाकर 16 साल करने की बात हो रही है. ज्योति गैंगरेप के सबसे कम उम्र का दोषी अब बालिग हो चुका है. और एक एनजीओ की निगरानी में ऑब्जर्वेशन होम में रखा गया है. रविवार को ही अब बालिग दरिंदा रिहा हुआ था.
आधी रात को खटकाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
नाबालिग दोषी की रिहाई रोकने के लिए ज्योति की मां-बाप, सुब्रमण्यम स्वामी ने भी कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने नाबालिग दोषी की रिहाई रोकने को लेकर शनिवार आधी रात को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रिहाई कायम रखने का फैसला आया. स्वाति मालिवाल वही हैं, जिनके महिला आयोग के अध्यक्ष बनने को लेकर काफी विवाद हुआ था.