पटना: बड़े अधिकारी के पीटने का वीडियो वायरल हुआ, लेकिन डर-दबाव के चलते FIR भी न हो सकी
अधिकारियों के झगड़े में एक गरीब श्रमिक से काम तक छिन गया.

बिहार की राजधानी पटना. इससे सटे एक शहर है दानापुर. इस इलाके का एक वीडियो इस वक्त काफी वायरल हो रहा है. लोग आपस में जोरदार बहस करते दिख रहे हैं. काली शर्ट पहने एक व्यक्ति दो-तीन लोगों से धक्का-मुक्की करते भी दिख रहा है. छानबीन करने पर पता चला कि ये वीडियो 16 मई का है. घटना दानापुर रेलवे स्टेशन के सामने की है.
जो व्यक्ति काली शर्ट में दिख रहा है, वो पटना के DTO (डिस्ट्रिक्ट ट्रांसपोर्ट ऑफिसर) हैं. नाम अजय कुमार ठाकुर है. वो गुस्से से जिन दो लोगों को धक्का देते और मारते दिख रहे हैं, उनमें से एक सिविल डिफेंस वॉलंटियर विनोद पासवान हैं, दूसरे राजस्व अधिकारी विवेक कुमार हैं.
@NitishKumar
— Ranjan Sharma ( Thinking Different ) (@RanjanS47222223) May 16, 2020
@PIB_Patna
@IPRD_Bihar
@ravishndtv
@yadavtejashwi
#IndiaFightsCorona
Vivek Deep a Revenue Officer (Gazetted) Danapur, Patna along with a labor working in quarantine centre Danapur Circle office was beaten by DTO Patna A.K.Thakur who was drunk. DTO must be suspended. pic.twitter.com/cy98Ld7xDj
इस झड़प का कारण आखिर था क्या?
शुरू से शुरुआत करते हैं. दानापुर रेलवे स्टेशन पर इस वक्त देश के कई हिस्सों से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें आ रही हैं. इन ट्रेनों से मज़दूरों के आने के बाद उन्हें खाना देकर या खिलाकर बसों के ज़रिए उनके ज़िलों तक पहुंचाया जा रहा है. इस काम में राजस्व विभाग के अधिकारी, सिविल डिफेंस के वर्कर और परिवहन विभाग के लोग लगे हुए हैं. 16 मई को भी मज़दूरों को घर पहुंचाने का काम चल रहा था, बसों में उनके लिए खाना रखा जा रहा था. उसी दौरान सिविल डिफेंस और परिवहन विभाग के कर्मचारियों के बीच बहस हो गई थी.
अब ये बहस क्यों हुई? DTO कैसे इसमें आ गए? ये जानने के लिए 'दी लल्लनटॉप' ने सभी पक्षों से बात करने की कोशिश की.
विनोद कुमार, जो इस वक्त अपने गांव में हैं, उन्होंने बताया,
'हम लोग (सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स) मज़दूरों की बसों में खाना रखवा रहे थे. पूरा अंदर नहीं जा रहे थे, सामने की तरफ ही खाना रख रहे थे. ड्राइवर को कह दिया था कि मज़दूर आएंगे, तो उन्हें खाना दे देना. उसी वक्त परिवहन के आदमी आए, पूछा कि खाना ऐसे क्यों रखा है? हमने कहा कि बीमारी फैल रही है, हमें भी अपनी सुरक्षा की चिंता है, इसलिए हम खाना यहीं रख रहे हैं. इतने में वो गुस्सा हो गए. चिल्लाने लगे. फिर हम टेंट पर वापस चले गए. विवेक जी के पास भी वो लोग आ गए. विवेक जी ने कहा कि आप चले जाइए, वो खुद अपने कर्मचारियों को समझा देंगे. फिर उन्होंने DTO को बुला लिया. वो आए और सीधा हमें मार दिया. विवेक जी बीच-बचाव करने आए, तो उनका मास्क भी उतार दिया. उन्हें भी मार दिया.'
विनोद ने बताया कि अगले दिन वो खगौल पुलिस थाने भी गए. मामला दर्ज कराने. कई घंटों तक बैठे रहे, लेकिन SHO नहीं मिले. फिर वो अपने गांव चले गए. रात में विनोद एक भोज में खाना खा रहे थे, तभी उन्हें पता चला कि कुछ पुलिसवाले उनके घर आए हैं. डर के मारे वो अपने घर ही नहीं गए. अगले दिन उन्हें DM (जिला पदाधिकारी) कुमार रवि के आवास पर बुलाया गया. विनोद गए. वहां कुछ और अधिकारियों समेत DTO अजय भी मौजूद थे. DM ने उनसे कहा कि काम का प्रेशर रहता है, इस वजह से ये सब (झगड़े वाली बात) हो जाता है, इसलिए वो (विनोद) DTO से सुलह कर लें और मामला सुलझा लें. विनोद मान गए.

ये सिविल डिफेंस वॉलिंटियर विनोद पासवान हैं. (फोटो- स्पेशल अरैंजमेंट)
अगले दिन वो अपने काम पर वापस पहुंचे. ADM राजीव श्रीवास्तव के पास गए. कहा कि वो दोबारा काम पर आना चाहते हैं, लेकिन उनसे कहा गया कि वो पहले लिखित में ये दें कि पूरे मामले में वो FIR नहीं करेंगे और ऐसा लिखने के बाद नीचे साइन भी करें. विनोद को कुछ गड़बड़ लगी, तो उन्होंने लिखित में ये लेटर देने से इनकार कर दिया. वो कहते हैं,
'मैं डर गया. मुझे लगा कि अगर मैं ये लिखकर दे देता हूं, तो कुछ गलत न हो जाए बाद में मेरे साथ. मैंने कहा कि लिखित में नहीं दूंगा. मेरी कौन-सी सरकारी नौकरी है. प्राइवेट काम ही है मेरा. एक वर्कर ही हूं मैं. कुछ और काम कर लूंगा. तब से मैं बहुत डरा हुआ हूं. कोई मेरा साथ नहीं दे रहा. कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करूं.'
मामले में एक और पक्ष हैं विवेक कुमार. वायरल वीडियो में दिख रहा है कि DTO अजय विवेक का फेस मास्क भी उतारते हैं. फिर उन्हें धक्का देते हैं. सूत्रों से पता चला है कि विवेक को इस घटना में चोट भी लगी थी. इस वजह से वो सात दिनों की छुट्टी पर हैं. वो FIR कराना चाहते हैं, लेकिन उन पर बहुत दबाव बनाया जा रहा है. इस बात का कि वो FIR न करें.

विवेक कुमार और अजय कुमार ठाकुर, वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट में. (फोटो- स्पेशल अरैंजमेंट)
DTO क्या कहते हैं?
अब बात DTO अजय कुमार की. उनसे भी हमारी बात हुई. वायरल वीडियो पर उन्होंने कहा,
'हम लोग तेज़ धूप में काम कर रहे थे. हज़ारों यात्रियों को मैनेज करना था. खाने की ज़िम्मेदारी जिस टीम पर थी, वो बस के सामने की तरफ ही खाना रख दे रही थी. मेरे स्टाफ ने जब सवाल किया, तो वो चिल्लाने लगे. गाली देने लगे. इतने में मेरे स्टाफ के लोग मेरे पास आए और बहस के बारे में बताया. मैं थोड़ी दूरी पर ही था. वहां गया, तो दोनों गुटों के बीच बहस चल ही रही थी. उसे शांत कराने के लिए मैंने कुछ लोगों को धक्का दिया. मारा नहीं. केवल धक्का दिया, ताकि वो बहस शांत हो जाए और हर कोई अपना काम करता रहे. फिर मैं वहां से चला आया.'
इसके अलावा अजय का ये भी कहना है कि केवल वही हिस्सा वायरल हो रहा है, जिसमें वो लोगों को धक्का देते दिख रहे हैं. उसके आगे-पीछे क्या हुआ, वो किसी को नहीं पता. हालांकि ये भी माना कि वो उन्हें थोड़ा गुस्सा आ गया था, क्योंकि वो बहुत देर से धूप में काम कर रहे थे. बहुत सारे लोगों को बसों से भेजना था, इस बीच जब बहस की बात पता चली, तो वो थोड़ा गुस्सा गए थे.
बिहार के कई अधिकारी एक हुए
इस मामले में राज्य के बाकी राजस्व अधिकारी भी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. उन्होंने बिहार के मुख्य सचिव को लेटर लिखा है. मांग की है कि अजय कुमार ठाकुर को गिरफ्तार करके निलंबित किया जाए. हालांकि इस लेटर में ये भी कहा गया है कि अजय घटना के वक्त नशे में थे.
लेटर में कहा गया है कि अजय के खिलाफ 48 घंटे के अंदर कार्रवाई हो. अगर नहीं हुई, तो अधिकारी हड़ताल पर चले जाएंगे. ये लेटर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई बड़े अधिकारियों को भेजा गया है.

राज्य के बाकी राजस्व अधिकारियों ने बिहार सरकार को ये लेटर लिखा है.
कुछ कार्रवाई हुई भी या नहीं?
सिविल डिफेंस DGP अरविंद पांडेय ने भी घटना का वीडियो फेसबुक पर डाला है. एक पोस्ट भी लिखा है. अजय कुमार ठाकुर के खिलाफ IPC की धारा 353 (पब्लिक सर्वेंट पर उसके काम के दौरान हमला करना, उसे डराना) और SC/ST एक्ट के तहत एक्शन लेने की मांग की. 'दी लल्लनटॉप' ने अरविंद पांडेय से भी बात की. उनका कहना है कि उन्होंने SSP (सीनियर सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस) उपेंद्र शर्मा को लिखित में जानकारी दे दी है, लेकिन मामले में चूंकि अभी तक किसी ने FIR नहीं की है, इसलिए कार्रवाई नहीं हो सकी है.
SSP उपेंद्र शर्मा को हमने कई बार कॉल लगाया, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी.
इस पूरे मामले में DM कुमार रवि का भी जिक्र विनोद ने किया था. हमने उनसे भी बात की. सवाल किया कि क्या उन्होंने विनोद को अपने घर बुलाकर DTO अजय से सुलह करने को कहा था? जवाब में DM ने कहा,
'आप पुलिस में हैं क्या? हमसे पूछताछ क्यों कर रहे हैं? किसी ने कोई आवेदन तो दिया नहीं. देगा, तो हम करेंगे कार्रवाई. हम बहुत लोगों से मिलते हैं, अभी कुछ नहीं कह सकते कि किससे मिले थे, किससे नहीं. अगर कोई भी पक्ष कुछ लिखकर दे तो कार्रवाई करेंगे.'
इतना कहकर फोन ही काट दिया. बीच में जिक्र हुआ था ADM राजीव श्रीवास्तव का. उन्हें भी हमने कई दफा फोन किया, लेकिन वो हमेशा बिज़ी ही रहे.
इतने लोगों से बातचीत का नतीजा क्या निकला?
नतीजा देने वाले हम कोई नहीं होते. लेकिन इतना तो समझ आ गया है कि इस पूरी भसड़ और विवाद में अगर किसी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, तो वो हैं विनोद. उसका कहना ये है कि वो बीच में पिस रहे हैं. लॉकडाउन में वैसे भी लोगों के पास काम नहीं है. ले-देकर उन्हें एक काम मिला था, इस पूरी झड़प ने उनसे वो काम भी छीन लिया. वो दुखी हैं, परेशान हैं, इस उम्मीद में हैं कि जल्द ही सब 'नॉर्मल' हो जाएगा.
वीडियो देखें: संभल: सड़क को लेकर विवाद हुआ, तो SP के दलित नेता और उनके बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी

.webp?width=60)

