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पाकिस्तान में पुलिसवालों को 6 महीनों से नहीं मिली सैलरी, आतंक की फंडिंग जारी है

पाकिस्तान की हालत रस्सी पर चलते बाजीगर जैसी होती जा रही है. FATF की नजरों से बचने के लिए दिखावटी गिरफ्तारियां, आतंकी कैंपों का खैबर की तरफ शिफ्ट होना और खजाने में इतना भी न बचना कि पुलिस वाले की तनख्वाह निकल सके. खैबर पख्तूनखवा के एक जवान का वीडियो इसी बदहाली की तस्दीक कर रहा है.

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Cops in Pakistan Khyber Pakhtunkhwa make reel under not received salary from six months financial crisis
रील में अपना दर्द बयां करता पुलिसकर्मी (PHOTO-India Today)
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मानस राज
11 दिसंबर 2025 (Published: 08:15 AM IST)
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पाकिस्तान की माली हालत ऐसी है कि अब उसे छुपाने की कोशिश भी बेमानी लगती है. बस दुनिया को दिखाने के लिए कुछ गिरफ्तारियां कर दीं, वरना FATF कब का ग्रे से ब्लैक की खाई में धकेल देता. ऊपर से जितना भी पैसा अंदर आता है, उसका रास्ता सीधे उन अड्डों की तरफ मुड़ जाता है जहां से दहशत का धंधा पलता है. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में जिन कैंपों को नेस्तनाबूद किया था, उन्हें चंद महीनों में खैबर की तरफ सरकाना शुरू कर दिया गया. हालत ये कि सरकारी खजाना कर्मचारियों की तनख्वाह तक नहीं निकाल पा रहा. इसी कंगाली की गूंज अब खैबर पख्तूनखवा से निकली है, जहां टूरिस्ट पुलिस (Khyber Tourist Police Salary) का एक जवान वीडियो बनाकर बता रहा है कि उसे छह महीने से सैलरी नसीब नहीं हुई और उसकी तरफ कोई देखने वाला भी नहीं है.

पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर शेयर की गई इस इमोशनल क्लिप ने लोगों में गुस्सा भड़का दिया है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक वीडियो सामने आने के बाद खैबर पख्तूनख्वा सरकार द्वारा देश के कुछ सबसे व्यस्त टूरिस्ट डेस्टिनेशंस की सुरक्षा के लिए बनाई गई स्पेशल यूनिट के कामकाज की फिर से जांच शुरू हो गई है. वीडियो में, परेशान दिख रहे ऑफिसर ने स्वात, एबटाबाद, नारन, काघन, कलाम, चित्राल और दूसरे खास टूरिस्ट इलाकों में तैनात जवानों को हो रही गंभीर आर्थिक और मानसिक परेशानी के बारे में बताया. जवान ने कहा, 

छह महीने हो गए हैं. हमारी सैलरी और सर्विस एक्सटेंशन अभी भी पेंडिंग हैं. लगातार दबाव और बेइज्जती से हम थक गए हैं. मैं अभी भी ड्यूटी कर रहा हूं, लेकिन पीने के पानी जैसी बेसिक जरूरतें भी पूरी नहीं हो रही हैं.

टूरिस्ट पुलिस अधिकारियों का कहना है कि घर पर भारी आर्थिक दबाव के बावजूद वे रोज ड्यूटी पर आ रहे हैं, और उनमें से कई लोग किराया, घर के खर्च और स्कूल की फीस तक देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पीक टूरिस्ट सीजन के दौरान ट्रैफिक मैनेज करने, यात्रियों की मदद करने, झगड़े सुलझाने और इमरजेंसी ऑपरेशन में सहायता करने के लिए लंबे समय तक काम करने, लेकिन पैसे न मिलने से उनकी निराशा और बढ़ गई है.

अधिकारियों और अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, लंबे समय से पेमेंट न होने की वजह बजट जारी होने में देरी, प्रशासनिक रुकावटें और सीजनल हायरिंग से जुड़ी दिक्कतें हैं. लोगों को डर है कि अगर स्थिति ऐसी ही बनी रही, तो पर्यटकों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है. जनता, मीडिया और अपने कर्मचारियों के बढ़ते दबाव के बीच खैबर पख्तूनख्वा टूरिज्म डिपार्टमेंट ने संकेत दिया है कि सैलरी जारी करने वाली फाइल आखिरकार आगे बढ़ गई है. अधिकारियों का कहना है कि पेमेंट जल्द ही क्लियर हो सकता है. हालांकि अभी भी इस पर संदेह है, क्योंकि पहले भी इसी तरह के आश्वासन दिए गए थे, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

वीडियो: तारीख: खैबर के पश्तून जो पाकिस्तान को तबाह करने पर तुले हैं

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