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बिहार में 75 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव, सीएम नीतीश कुमार ने विधानसभा में क्या कहा?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा है. 7 नवंबर को नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में जातिगत सर्वे के आंकड़े रखे और आरक्षण का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा.

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Bihar CM Nitish Kumar proposes extending reservation
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 7 नवंबर को बिहार विधानसभा में राज्य में आरक्षण का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)
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रोहित कुमार सिंह
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7 नवंबर 2023 (Updated: 7 नवंबर 2023, 06:20 PM IST) कॉमेंट्स
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने राज्य में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा है. मंगलवार, 7 नवंबर को नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में जातिगत सर्वे के आंकड़े रखे. इस पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने आरक्षण की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव दिया.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक सीएम नीतीश ने अपने प्रस्ताव में अनुसूचित जाति (SC) के लिए 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 2 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) व अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के लिए 43 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही है. तीनों को मिलाकर आरक्षण हुआ 65 फीसदी. इसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए मिलने वाला 10 प्रतिशत आरक्षण जोड़ें तो टोटल हुआ 75 पर्सेंट आरक्षण.

फिलहाल, बिहार में सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति (SC) के लिए 16%, अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 1%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) के लिए 18% और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 12% आरक्षण और पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए 3% आरक्षण है.

विधानसभा में विस्तृत जाति सर्वे रिपोर्ट पेश करने के बाद एक बहस के दौरान CM नीतीश कुमार ने कहा,

"अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए कोटा बढ़ाने की जरूरत है." 

उन्होंने कहा कि विचार-विमर्श के बाद जरूरी कदम उठाया जाएगा. CM  नीतीश ने कहा कि उनका इरादा इन बदलावों को मौजूदा सत्र में ही लागू करने का है.

बिहार सरकार ने जातिगत सर्वे का शुरुआती आंकड़ा 2 अक्टूबर को जारी किया था. इसमें बताया गया था कि बिहार में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) की कुल आबादी 63 फीसदी से ज्यादा है. वहीं राज्य में अनुसूचित जाति की आबादी 19.65 फीसदी बताई गई थी.

इस सर्वे के आंकड़ों का दूसरा भाग 7 नवंबर को विधानसभा में पेश किया गया. इसमें बताया गया कि किस वर्ग और किस जाति में कितनी गरीबी है. सर्वे के मुताबिक बिहार में अनुसूचित जनजाति में 42.70 फीसदी गरीब परिवार हैं, जबकि अनुसूचित जाति के कुल 42.93 प्रतिशत परिवार गरीब हैं. वहीं सामान्य वर्ग में गरीब परिवारों की संख्या 25.09 फीसदी है. पिछड़ा वर्ग के अंदर 33.16 फीसदी गरीब परिवार हैं. अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) में 33.58 फीसदी गरीब परिवार हैं. 

हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के जातिगत सर्वे को लेकर CM नीतीश और लालू यादव पर आरोप लगाया था. शाह ने कहा था कि सर्वे में मुस्लिम और यादव की आबादी बढ़ाकर दिखाई गई है. नीतीश कुमार ने इस पर भी जवाब दिया. उन्होंने कहा,

“... कुछ लोग कहते हैं कि इस जाति की जनसंख्या बढ़ गई या घट गई लेकिन ये बताइए कि जब इससे पहले जाति आधारित जनगणना नहीं हुई है तो आप कैसे कह सकते हैं कि इस जाति की संख्या बढ़ गई या घट गई?... हम शुरुआत से केंद्र सरकार से कहते आए हैं कि वे भी जातिगत जनगणना करें.”

उन्होंने कहा कि 2022-2021 में जो जनगणना होनी थी, वो नहीं हुई तो जितना जल्दी हो सके उसे शुरू किया जाए.

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