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चीनी वैज्ञानिकों ने ऐसा ग्लू बनाया है, 3 मिनट में जोड़ देगा टूटी हड्डी

हर साल दुनिया भर में लाखों-करोड़ों लोग हड्डी टूटने की समस्या से जूझते हैं. पारंपरिक तरीके महंगे और दर्दनाक हैं. मेटल इम्प्लांट करने से संक्रमण या दूसरी सर्जरी का खतरा रहता है, लेकिन 'Bone Glue' इस समस्या का समाधान है. क्या है ये ‘बोन ग्लू’?

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China created the world's first 'bone glue'
चीन ने ऐसा ग्लू बनाया है जो 2-3 मिनट में हड्डियों को जोड़ सकता है. (फोटो: X/@ChinaScience)
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अर्पित कटियार
14 सितंबर 2025 (Updated: 14 सितंबर 2025, 10:58 AM IST)
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चीन के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने एक ऐसा ग्लू (World's First Bone Glue) बनाया है जो टूटी हुई हड्डियों को सिर्फ 3 मिनट में जोड़ सकता है. इस बोन ग्लू का नाम 'Bone-2' रखा गया है. आने वाले समय में यह खोज मील का पत्थर साबित होगी, जो हड्डियों को जोड़ने के लिए मेटल इम्प्लांट की जरूरत को खत्म कर देगी.

क्या है ये ‘बोन ग्लू’?

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वी चीन के झेजियांग प्रांत में लिन जियानफेंग और उनकी टीम ने यह ग्लू बनाया है. लिन, सर रन रन शॉ अस्पताल में एसोसिएट चीफ ऑर्थोपेडिक सर्जन है. उन्होंने दावा किया है कि यह ‘बोन ग्लू’ दो से तीन मिनट के भीतर टूटी हुई हड्डी को जोड़ सकता है. यह ग्लू शरीर में खून से भरे हिस्से में भी मजबूती से चिपक जाता है और पूरी तरह से ‘बायोसेफ’ यानी शरीर के लिए सुरक्षित है. इस बोन ग्लू की आसंजन क्षमता (Adhesion Strength) 200 किलोग्राम से ज्यादा है.

रिपोर्ट के मुताबिक, इस बोन ग्लू को 150 से ज्यादा मरीजों पर सफलतापूर्वक टेस्ट किया जा चुका है. अब तक पारंपरिक तरीके में स्टील की रॉड और स्क्रू लगाने के लिए एक बड़े चीरे की जरूरत पड़ती है. इस 'Bone-2' की एक और खासियत ये है कि यह मेटल इम्प्लांट की तरह शरीर में स्थायी नहीं रहता. हड्डी के ठीक होने पर 6 महीने के भीतर ही यह शरीर के अंदर घुल जाता है, जिससे दूसरी सर्जरी करने की जरूरत खत्म हो जाती है.

कैसे आया बनाने का आइडिया?

लिन जियानफेंग बताते हैं कि उन्होंने पानी के नीचे सीपों को देखा, जो एक पुल से मजबूती से चिपके हुए थे. समुद्र में रहने वाली सीपें चट्टानों से चिपकने के लिए एक खास तरह का चिपचिपा पदार्थ बनाती हैं. लिन ने सोचा कि अगर पानी के अंदर भी सीप इस तरह मजबूती से चिपक सकती हैं, तो खून के अंदर टूटी हुई हड्डियां भी जोड़ी जा सकती है और इस तरह उन्हें बोन ग्लू बनाने की प्रेरणा मिली.

लिन ने बताया कि 2016 में जब वो एक रेजिडेंट डॉक्टर थे, तब उन्होंने देखा कि सबसे अनुभवी सर्जन्स को भी टूटी हुई हड्डी के टुकड़ों को ठीक करने के लिए ऑपरेशन रूम में घंटों बिताने पड़ते थे. जबकि परिणाम अक्सर इतने बेहतर नहीं आते थे.

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हर साल दुनिया भर में लाखों-करोड़ों लोग हड्डी टूटने की समस्या से जूझते हैं. पारंपरिक तरीके महंगे और दर्दनाक हैं. मेटल इम्प्लांट करने से संक्रमण या दूसरी सर्जरी का खतरा रहता है, लेकिन ‘बोन ग्लू’ इस समस्या का समाधान है.

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