रेप के बाद फेक एनकाउंटर? अब लाश खोदकर निकालेंगे
21 साल की मड़कम हिड़मे धान कूट रही थी. आरोप है कि STF के जवान घर से खींचकर ले गए. जंगल में रेप किया, मार डाला और फिर माओवादियों की वर्दी पहना दी.
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मड़कम हिड़मे की लाश. माओवादियों की वर्दी तो है, पर एकदम साफ-सुथरी.
क्यों?
क्योंकि आरोप है कि एनकाउंटर फर्जी था. उस लड़की से छत्तीसगढ़ पुलिस के जवानों ने रेप किया, फिर मार डाला और माओवादियों की वर्दी पहनाकर इसे एनकाउंटर बता दिया. यह सब हुआ 13 जून को सुकमा जिले के एक जंगल में. अब हाई कोर्ट ने कहा है कि लाश को जमीन से खोदकर निकाला जाए और फैमिली और कैमरे के सामने पोस्टमॉर्टम किया जाए.इस बात से छत्तीसगढ़ पुलिस के आला अधिकारियों के हाथ-पांव फूले हुए हैं. पोस्टमॉर्टम अगर पुलिस की थ्योरी को गलत साबित करता है तो मुख्यमंत्री रमन सिंह के दामन पर भी छींटे तो आएंगे ही.
कहानी मुख़्तसर इस तरह है
सुकमा जिले के गोमपाड़ गांव की बात है. 21 साल की आदिवासी लड़की मड़कम हिड़मे यहां अपने मायके में रहने आई थी. उसकी मां, रिश्तेदारों और गांव वालों का आरोप है कि 13 जून को उसे पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स की एक टीम ज़बरदस्ती उठा ले गई.मां के मुताबिक,
''उस दिन हिड़मे की तबियत ठीक नहीं थी, लेकिन वह काम-काज में हाथ बंटाने के लिए धान कूट रही थी. तभी पुलिस के जवान आ धमके और उसे जबरन उठाकर ले जाने लगे. मैंने रोकने की कोशिश की मगर वे बंदूक की बट और जूतों से हमला करने लगे. उसे वे पास के जंगल में ले गए. कुछ गांव वाले भी वहां शिकार के लिए गए हुए थे. जब उन्होंने मेरी बेटी की चीख सुनी तो वे तीर-कमान लेकर मदद के लिए पहुंचे, लेकिन पुलिस वालों ने उन्हें खदेड़ दिया. दूसरे दिन 14 जून को किसी ने ग्राम सचिव को फोन कर कहा कि मड़कम हिड़मे की लाश चाहिए तो कोंटा थाना आना होगा. मैं गांव वालों के साथ थाने पहुंची तो देखा कि मड़कम की लाश पॉलिथीन में लिपटी सड़क पर पड़ी है. पुलिस वालों ने कहा कि ये माओवादी है, इनका एनकाउंटर कर दिया है. उसके शरीर के कई अंग कटे हुए थे. पुलिस कुछ भी कहे लेकिन मेरा मानना है कि पुलिस वालों ने मेरी बेटी से रेप किया. गांव वालों ने जंगल में झाड़ियों के पास मड़कम की टूटी चूड़ियां देखी थीं. गांव वालों के कहने पर 15 जून को बेटी को दफना दिया गया.''
मड़कम की मां, उसकी लाश की तस्वीर के साथ
पुलिस कुछ और कहती है, गवाह कुछ और
छत्तीसगढ़ पुलिस की थ्योरी अलग है. उनके मुताबिक, हिड़मे नक्सल कैडर थी और किस्ताराम प्लाटून नंबर 8 की मेंबर थी. उसे गोमपाड़ गांव के पास के जंगलों में मार गिराया गया. मामले को AAP नेता और एक्टिविस्ट सोनी सोरी ने जोर-शोर से उठाया. AAP और कांग्रेस ने अपनी-अपनी फैक्ट फाइंडिंग टीमें वहां भेजनी चाहीं, लेकिन आरोप है कि पुलिस ने उन्हें गांव तक पहुंचने ही नहीं दिया. इसके बाद सोनी सोरी उपवास पर बैठ गईं.कैसे कमज़ोर पड़ा पुलिस का बयान
जब हिड़मे की लाश की तस्वीर सामने आई तो पुलिस की थ्योरी में बहत्तर छेद निकले. हिड़मे के घर वालों का कहना था कि हिड़मे को जब पुलिस वाले ले गए तो उसने साड़ी पहन रखी थी. जबकि लाश मिलने पर उसने माओवादियों की यूनिफॉर्म पहन रखी थी.इसी के आधार पर AAP स्टेट कनवेनर संकेत ठाकुर ने हाईकोर्ट में अर्जी लगा दी. उन्होंने कोर्ट को हिड़मे की लाश का एक फोटो पेश किया, जिसमें उसने नक्सल यूनिफॉर्म पहन रखी थी, लेकिन वह यूनिफॉर्म बेहद साफ और प्रेस की हुई थी. न धूल मिट्टी के निशान थे, न पहनने से आए मोड़ के निशान. उससे एनकाउंटर का कोई संकेत नहीं मिल रहा था. और सबसे ज्यादा शक पैदा करने वाली चीज़ ये थी कि हिड़मे पर करीब बीसों गोली चलाई गई थी, लेकिन एक भी गोली का निशान उसके कपड़ों पर नहीं दिख रहा था. ठाकुर का कहना है कि इससे शक होता है कि पहले हिड़मे को मारा गया, फिर उसे यूनिफॉर्म पहनाई गई.इधर मड़कम हिड़मे के मारे जाने के उसकी नई वर्दी पहने हुई तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. लेकिन पुलिस वाहवाही लूटने में लगी रही. बवाल हुआ तो सुकमा के एसपी ईके एलेसेना ने कहा, 'आरोपों से कोई फर्क नहीं पड़ता और उनके पास सारे सवालों का जवाब है. हिड़मे माओवादी थी और वो एनकाउंटर में ही मारी गई. पोस्टमॉर्टम के बाद शरीर का हर हिस्सा अलग-थलग हो ही जाता है.'
STF ने हिड़मे को कंफ्यूजन में उठा लिया?
कुछ समय बाद जो एक नई खबर निकल कर आई, वो ये थी कि पुलिस असल में तो किसी और ही मड़कम हिड़मे को पकड़ने गई थी. लेकिन उठा लाई किसी और को. बताया जा रहा है कि ये दूसरी मड़कम हिड़मे वही है जिसके पति को पुलिस ने 15 और आदिवासियों के साथ 2001 में मार डाला था. और उसने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.आरोप है कि इस मामले के सभी गवाह निबटाए जा चुके थे, सिर्फ मड़कम हिड़मे ही जिंदा बची थी. जिसे मारने के लिए वो गोमपाड़ गांव पहुंचे थे, लेकिन किसी दूसरी ही मड़कम हिड़मे को उठा ले गए. जिससे कथित रेप के बाद उसकी हत्या कर दी. यहां मड़कम के पक्षकारों का आरोप ये भी है कि उस मड़कम हिड़मे को पुलिस अब भी मारने के लिए खोज रही है.
हिड़मे की मां, मड़कम लक्ष्मी ने ट्राइबल एक्टिविस्ट हिमांशु कुमार से फोन पर बात की. उन्होंने बताया कि हिड़मे की कुछ दिन पहले ही शादी हुई थी और वह मायके आई हुई थी. ये भी बताया कि जब उसकी लाश लेकर आए तो हिड़मे के ब्रेस्ट और पेट से योनि तक चाकू से चीरे जाने के निशान थे.
कोर्ट के नए फैसले से उम्मीद
इधर 15 जून से सोनी सोरी उपवास पर बैठी थीं. पुलिस उन्हें हिड़मे के गांव जाने, और उसकी लाश देखने से रोक रहे थे, जिसके खिलाफ सोनी का ये उपवास था. 21 जून को ढेरों कार्यकर्ता लोगों के साथ मिलकर हिड़मे को न्याय दिलाने के लिए सड़क पर उतर आए.फिर 23 जून को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने उम्मीद बंधाने वाला फैसला दिया. हिड़मे की लाश को जहां दफनाया गया था वहां से खोद निकालने का आदेश दिया गया. अब सच के सामने आने का इंतजार है.
इनपुट: पारुल