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छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में 7 नक्सलियों की मौत

इस साल अब तक अलग-अलग एनकाउंटर में 112 नक्सली मारे जा चुके हैं.

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Chhattisgarh Naxal encounter
सुबह 11 बजे शुरु हुई थी मुठभेड़. (फोटो- पीटीआई)
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साकेत आनंद
23 मई 2024 (Updated: 23 मई 2024, 09:07 PM IST) कॉमेंट्स
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छत्तीसगढ़ पुलिस ने नारायणपुर और बीजापुर जिले की सीमा पर सात नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया है. पुलिस के मुताबिक, 23 मई की सुबह 11 बजे सुरक्षाबलों की एक टीम नक्सल विरोधी अभियान के लिए निकली थी. इसी दौरान उन पर कथित रूप से नक्सलियों ने फायरिंग कर दी. इसके बाद वहां मुठभेड़ शुरू हो गई. पुलिस का कहना है कि कम से कम 7 वर्दी पहने नक्सली मारे गए हैं. एनकाउंटर अब भी जारी है.

इंडिया टुडे से जुड़े इमरान खान की रिपोर्ट के मुताबिक,  21 मई को ही सुरक्षाबलों को नारायणपुर बीजापुर जिले के बॉर्डर इलाके में नक्सलियों के होने की सूचना मिली थी. इसके बाद नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बस्तर जिले के डीआरजी और बस्तर फाइटर्स के साथ STF की टीमें मिलकर संयुक्त अभियान चला रही थी. 23 मई को भी सुरक्षाबलों की टीम उस इलाके में पहुंची. सुबह 11 बजे उन पर फायरिंग शुरू हो गई. इसके बाद से सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच एनकाउंटर जारी है.

नारायणपुर SP प्रभात कुमार ने मीडिया को बताया कि एनकाउंटर साइट से सात हथियार भी बरामद किए गए हैं. उनके मुताबिक, मुठभेड़ अब भी जारी है.

इस घटना के साथ, इस साल सुरक्षाबलों के साथ अलग-अलग एनकाउंटर में अब तक 112 नक्सली मारे जा चुके हैं. पिछले महीने की 30 तारीख को भी सुरक्षाबलों ने नारायणपुर और कांकेर बॉर्डर पर एक मुठभेड़ में 10 नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया था. पुलिस ने बताया था कि इनमें 3 महिला नक्सली भी शामिल थीं. 16 अप्रैल को भी कांकेर में एनकाउंटर के दौरान 29 नक्सली मारे गए थे.

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इस महीने की 10 तारीख को बीजापुर के पीडिया गांव में सुरक्षाबलों ने 12 नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया था. ऑपरेशन के दौरान डीआरजी का एक जवान भी घायल हुआ था. तब बीजापुर के एसपी ने कहा था कि पीडिया के जंगलों में करीब 150 नक्सलियों के होने की सूचना मिली थी. इसके बाद ही कार्रवाई की गई थी. इस ऑपरेशन में करीब 800 सुरक्षाबल शामिल थे.

हालांकि इस एनकाउंटर के बाद ग्रामीणों ने दावा किया था कि जिन्हें सुरक्षाबलों ने मारा, वे आम लोग थे. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना के दो दिन बाद ग्रामीणों ने बीजापुर जिला कलेक्टरेट के सामने प्रदर्शन किया था और अपने परिवार वालों के शवों को लौटाने की मांग की थी. इन लोगों ने एनकाउंटर को फर्जी बताया था.

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