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चंद्रबाबू नायडू के दिल्ली में एक दिन के उपवास का खर्च जानकर मुंह खुला रह जाएगा!

एक दिन के विरोध का खर्च कितना पड़ा सरकार को...

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चंद्रबाबू नायडू सरकार ने एक दिन के विरोध में खर्च किए 11 करोड़ रुपए
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12 फ़रवरी 2019 (Updated: 12 फ़रवरी 2019, 01:39 PM IST)
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तेलुगू देशम पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू नए बवाल में फंस गए हैं. ये बवाल कट रहा है उनकी केंद्र सरकार के विरोध में की गई 'धर्म पोरत दीक्षा' में किए खर्चे की वजह से. नायडू सरकार ने एक दिन का विरोध दर्ज कराने के लिए 11 करोड़ खर्च कर दिए हैं.
टीडीपी आंध्र प्रदेश के लिए 'विशेष राज्य' के दर्जे की मांग कर रही है. यह मांग स्वीकृत न होने पर, चंद्रबाबू नायडू ने 11 फरवरी को दिल्ली में एक दिन का उपवास रखा. केंद्र सरकार के विरोध में. इस विरोध प्रदर्शन को उनकी पार्टी ने 'धर्म पोरत दीक्षा' नाम दिया है.
नायडू सरकार ने राज्य के खजाने से 1.12 करोड़ रुपए तो बस 2 स्पेशल ट्रेनों को बुक करने में खर्च कर दिया है.
20 बोगियों वाली 2 स्पेशल ट्रेनों को इच्छुक पार्टियों के नेताओं, संस्थाओं, एनजीओ आदि के लिए बुक किया गया है. मुख्यमंत्री नायडू के नेतृत्व में 11 फरवरी 2019 को दिल्ली में एक दिन लंबे दीक्षा समारोह (विरोध) में शामिल होने के लिए यह व्यवस्था की गई है.
विरोध प्रदर्शन में ट्रेन पर 1.12 करोड़ खर्च किए टीडीपी सरकार ने
विरोध प्रदर्शन में ट्रेन पर 1.12 करोड़ खर्च किए टीडीपी सरकार ने

इसके अलावा नायडू सरकार ने 10 करोड़ के खर्चे के लिए एक और ऑर्डर निकाला. यह ऑर्डर एक दिन के विरोध में होने वाले खर्चे के लिए निकाला गया है. 6 फरवरी के सरकारी ऑर्डर में लिखा है कि -
आंध्र के अलग-अलग हिस्सों से विरोध में भाग लेने वालों के ट्रांसपोर्ट और 'अन्य खर्च' के लिए यह राशि स्वीकृत की गई है.
ट्रांसपोर्ट और अन्य खर्च पर 10 करोड़ की राशि स्वीकृत की आंध्र सरकार ने
ट्रांसपोर्ट और अन्य खर्च पर 10 करोड़ की राशि स्वीकृत की आंध्र सरकार ने

आंध्रप्रदेश को 'विशेष राज्य' का दर्जा न देने के कथित अन्याय के खिलाफ विपक्ष के कई नेता दिल्ली स्थित आंध्र भवन में साथ आए. इसमें कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी, ममता बनर्जी, जम्मू-कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूख अब्दुल्ला, अरविंद केजरीवाल, मुलायम सिंह, शरद यादव शामिल थे. इनके अलावा एनडीए के सहयोगी दल शिवसेना से संजय राउत भी शामिल हुए.
आंध्रप्रदेश के विभाजन के बाद राज्य को पिछड़ा और आर्थिक रूप से कमजोर हो जाने की बिनाह पर मांगे जा रहे विशेष राज्य के दर्जे के लिए इतना खर्चा किया गया. प्रधानमंत्री ने खुद भी 10 फरवरी को आंध्रप्रदेश में अपने भाषण में इस पर सवाल उठाए.
टीडीपी ने अपनी सफाई में कहा,
'धर्म पोरत दीक्षा' का आयोजन 2017 से अब तक हर साल राज्य के 11 जिलों में कराया जाता है. यह कोई राजनीतिक प्रोग्राम नहीं है. बस इस बार इसका आयोजन दिल्ली में किया गया है.



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