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नगर पालिका के श्मशान में 'सिर्फ ब्राह्मणों का अंतिम संस्कार', बाकी को कहां मिलता है मोक्ष?

ओडिशा के एक श्मशान घाट में केवल ब्राह्मण समाज के लोगों का अंतिम संस्कार किए जाने का मामला सामने आया है.

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 casteism in odisha kendrapara civic body separate crematorium for brahmins
ओडिशा के केंद्रपाड़ा का श्मशान घाट. (तस्वीर: PTI)
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शुभम सिंह
21 नवंबर 2023 (Published: 08:11 PM IST)
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हिंदू रीति रिवाज (Hindu Religion) में इंसान के देह त्यागने पर उसकी चिता को मुखाग्नि देने की परंपरा है. इसके पीछे मान्यता ये है कि ऐसा करने से उसे मोक्ष प्राप्त होता है. मोक्ष यानी संसार के सभी बंधनों से मुक्ति. लेकिन जो समाज इंसान के मुक्त हो जाने में यक़ीन रखता है, वो जातियों में बंटा है. इसका असर ऐसा है कि इंसान इस दुनिया से रुख़्स्त हो जाने के बाद भी उससे पीछा नहीं छुड़ा पा रहा. ओडिशा से एक मामला सामने आया है. यहां के एक श्मशान घाट में कथित तौर पर केवल ब्राह्मण समाज के लिए अंतिम संस्कार की अनुमति है. किसी और समाज के लोग यहां अंतिम संस्कार नहीं कर सकते.

अंतिम संस्कार में भी जातिवाद

ओडिशा में एक जिला है केंद्रपाड़ा. यहां की नगर पालिका में एक श्मशान घाट के गेट पर बोर्ड लगा हुआ है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक इस बोर्ड पर लिखा है, ‘ये ब्राह्मण श्मशान घाट है’. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस श्मशान घाट में कई वर्षों से केवल उन्हीं लोगों का अंतिम संस्कार किया जा रहा जो ‘जाति से ब्राह्मण’ हैं. बाकी जातियों के लोगों का अंतिम संस्कार पास में ही बनाए गए अलग श्मशान घाट पर होता है.

केंद्रपाड़ा नगर पालिका उत्तरपूर्वी राज्यों में सबसे पुराना नगरीय निकाय बताया जाता है. पीटीआई ने बताया कि राज्य सरकार ने कुछ दिनों पहले ही इसके इन दोनों श्मशानों का रेनोवेशन कराया है. लेकिन यहां चल रही जातिवादी परंपरा के बारे में पता अब चला है.

हल्ला मचा तो संज्ञान लेने का वादा हुआ

श्मशान घाट में जातिवाद का मामला सामने आने के बाद 150 साल पुराने नगरीय निकाय के अधिकारियों ने संज्ञान लेने की बात कही है. पीटीआई के मुताबिक नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी प्रफुल्ल चंद्र बिस्वाल ने कहा,

“इस मामले की हमें सूचना मिली है. हम इस पर संज्ञान ले रहे हैं. जाति के नाम पर हो रहे इस तरह के भेदभाव को ठीक करने का प्रयास करेंगे.”

दलित संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन

केंद्रपाड़ा से सामने आए इस मामले को लेकर वहां के लोगों में रोष है. ओडिशा दलित समाज संगठन के जिला अध्यक्ष नागेंद्र जेना ने कहा कि इस तरह की प्रथा को तत्काल प्रभाव से खत्म किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “मुझे यह जानकर हैरानी हो रही है कि नगर पालिका लंबे वक्त से केवल ब्राह्मणों के लिए श्मशान का रखरखाव कर रही है. ऐसा करके सरकारी संस्थाएं कानून को तोड़ रही हैं और समाज में जातीय भेदभाव को बढ़ावा दे रही है.”

नागेंद्र जेना ने भी मांग की है कि इस कुरुति को तुरंत खत्म किया जाना चाहिए.

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